मध्य प्रदेश की नदियां एवं अपवाह तंत्र

मध्य प्रदेश की नदियां एवं अपवाह तंत्र

नदी अपवाह तंत्र

किसी क्षेत्र की जल प्रवाह प्रणाली है जब एक बड़ी नदी अपने जल के साथ अनेक सहायक नदियों का जल लेकर किसी क्षेत्र की ओर बढ़ती है तो मुख्य नदी और सहायक नदियों के द्वारा जो क्षेत्र कवर किया जाता है वह पूरा क्षेत्र उस मुख्य नदी का अफवाह क्षेत्र या बेसिन क्षेत्र कहलाता है ।

मध्यप्रदेश में विंध्य श्रेणी , मेंकल श्रेणी , सतपुड़ा श्रेणी से बहुत सारी नदियां निकलती है इसलिए मध्यप्रदेश को नदियों का मायका कहा जाता है तथा मैकल श्रेणी को मध्य प्रदेश का वाटर शेड कहा जाता है

मध्यप्रदेश में अपवाह तंत्र या बेसिन क्षेत्र

  1. गंगा अपवाह तंत्र
  2. नर्मदा अपवाह तंत्र
  3. ताप्ती अपवाह तंत्र
  4. गोदावरी अपवाह तंत्र
  5. माही अपवाह तंत्र ।

1. गंगा अपवाह तंत्र

यह मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा अपवाह तंत्र है | इसके अंतर्गत मध्यप्रदेश का 2,02070 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र आता है गंगा नदी अपवाह तंत्र के तीन उप अपवाह तंत्र है ।

(A) यमुना अपवाह तंत्र (बेसिन क्षेत्र)

इसका निर्माण निम्न उप अपवाह तंत्र (उप बेसिन क्षेत्र) के माध्यम से होता है ।

  1. चंबल नदी उपअपवाह तंत्र

  2. सिंध नदी उपअपवाह तंत्र

  3. बेतवा नदी उपअपवाह तंत्र

  4. केन धसान नदी उपअपवाह तंत्र

ये सभी उप अपवाह तंत्र यमुना नदी अपवाह तंत्र के माध्यम से गंगा नदी अपवाह तंत्र के भाग हैं ।

मध्यप्रदेश का नदी अपवाह तंत्र (नदी बेसिन क्षेत्र)

(B) सोन नदी अपवाह तंत्र

इसके अंतर्गत जोहिला बनारस गोपाल रिहंद नदी आती हैं जिनके द्वारा सोन अपवाह तंत्र का निर्माण किया जाता है तथा यह सीधे गंगा नदी से जुड़ा हुआ है।

(C) टोंस अपवाह तंत्र

इस अपवाह तंत्र में बीहड़, महान ,ओदा नदी आती है । टोंस नदी , गंगा की सहायक है ।

2. नर्मदा नदी अपवाह तंत्र

यह मध्य प्रदेश का दूसरा बड़ा अपवाह तंत्र इसका क्षेत्रफल 93180 वर्ग किलोमीटर है । इस क्षेत्रफल का 89.8% अपवाह क्षेत्र मध्यप्रदेश में हैं । नर्मदा नदी अपवाह तंत्र के अंतर्गत 41 सहायक नदियां अपना जल एकत्र करती हैं यह मध्य प्रदेश के पूर्व से पश्चिम क्षेत्र में विस्तृत है|

3. ताप्ती नदी अपवाह तंत्र

यह बैतूल मुलताई से निकलकर मध्य प्रदेश महाराष्ट्र , गुजरात में बहते हुए खंभात की खाड़ी में गिरती है ताप्ती नदी की सहायक नदियां पूर्णा, गिरना ,पजारा, वाघुर, बोरी हैं ताप्ती नदी का अपवाह क्षेत्र या बेसिन क्षेत्र 65145 वर्ग किलोमीटर है। मध्यप्रदेश में 9804 वर्ग किलोमीटर अपवाह क्षेत्र रखती हैं ।

4. गोदावरी अपवाह तंत्र

गोदावरी नदी नाशिक त्रंबकेश्वर से निकली है यह प्रायद्वीप भारत की सबसे बड़ी नदी है इसे दक्षिण गंगा या वृद्ध गंगा कहते हैं मध्यप्रदेश में गोदावरी अपवाह तंत्र का विस्तार इसकी सहायक नदी वैनगंगा तथा वेन गंगा की सहायक पेंच , कान्हन , वर्धा , बावनघड़ी आदि नदियों के जल से निर्मित हुआ है।

5. माही नदी अपवाह तंत्र

यह मध्य प्रदेश का सबसे छोटा अपवाह तंत्र है जिसका निर्माण पश्चिमी मध्य प्रदेश में बहने वाली माही नदी एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा किया जाता है ।

मध्य प्रदेश में अपवाह तंत्र का विभाजन

मध्य प्रदेश में अपवाह तंत्र को छः प्रमुख भागों में बांटा गया है

 

अपवाह तंत्र नदियाँ
गंगा अपवाह तंत्र यमुना तंत्र- चंबल, सिंध, जामनी, बेतवा, धसान, केन, पैसुनी, बैािान आदि
टोंस तंत्र- बीहर, ओदा, महान आदि
सोन तंत्र- जोहिला, बनास, गोपद, रिहंद, कन्हार आदि
नर्मदा अपवाह तंत्र बरनार, बंजर, शेर, शक्कर, दूधी, देनवा, तवा, गंजाल
हिरण, हथनी, तिन्दोली, बरना, कन्हार, मान, उटी आदि
ताप्ती अपवाह तंत्र पूर्णा, गिरना, गोपद, अनेर, अंबोरा, बाकी, बुरई, तितूर, उतावली, कालीभीत आदि
गोदावरी अपवाह तंत्र बेनगंगा उपतंत्र- बाघ, वर्धा, बिजना, बामनथड़ी, थिर्री, ठेल, पेंच, वाम,सामरथावर आदि

पेंच उपतंत्र- कन्हान, कुलबेहरा, बावनथड़ी

महानदी अपवाह तंत्र हंसदो, मांड, इब, जोंक, लोंग, तेल आदि
माही अपवाह तंत्र अनस, लरकी, जम्भार, पानम, कून, गोमा आदि
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