“मनुष्य की अन्तर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति ही शिक्षा है।” इस सम्प्रत्यय की अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए।
“मनुष्य की अन्तर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति ही शिक्षा है।” इस सम्प्रत्यय की अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए।
उत्तर— शिक्षा किसी समाज में सदैव चलने वाली वह सोद्देश्य सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का विकास, उसके ज्ञान एवं कला-कौशल में वृद्धि तथा व्यवहार में परिवर्तन किया जाता है और इस प्रकार उसे सभ्य, सुसंस्कृत एवं योग्य नागरिक बनाया जाता है। इसके द्वारा व्यक्ति एवं समाज दोनों निरन्तर विकास करते हैं। शिक्षा की प्रक्रिया सोद्देश्य, सामाजिक, अविरत, गतिशील एवं विकास की प्रक्रिया है और इसके द्वारा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का विकास, उसके ज्ञान एवं कला-कौशल में वृद्धि तथा व्यवहार में परिवर्तन किया जाता है और उसे सभ्य, सुसंस्कृत एवं योग्य नागरिक बनाया जाता है। इस प्रकार मनुष्य को सभ्य, सुसंस्कृत एवं योग्य नागरिक बनाने में शिक्षा के समस्त उद्देश्य अथवा कार्य समाहित हैं। अत: इससे स्पष्ट होता है कि मनुष्य की अन्तर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति ही शिक्षा है।
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