“मन लेहु पै देहु छटाँक नहीं” से कवि का क्या अभिप्राय है ?

“मन लेहु पै देहु छटाँक नहीं” से कवि का क्या अभिप्राय है ?

उत्तर :- कवि कहते हैं कि प्रेमी में देने की भावना होती है लेने की नहीं। प्रेम में प्रेमी अपने इष्ट को सर्वस्व न्योछावर करके अपने को धन्य मानते हैं। इसमें संपूर्ण समर्पण की भावना उजागर किया गया है।

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