‘राम नाम बिनु अरूझि मरै’ की व्याख्या करें ।

‘राम नाम बिनु अरूझि मरै’ की व्याख्या करें ।

उत्तर :- प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक हिंदी साहित्य के महान संत कवि गुरुनानक के द्वारा लिखित “राम नाम बिनु निर्गुण जगि जनमा” शीर्षक से उद्धृत है । गुरुनानक निर्गुण, निराकार ईश्वर के उपासक तथा हिंदी की निर्गुण भक्तिधारा के प्रमुख कवि हैं। यहाँ राम नाम की महत्ता पर प्रकाश डालते हैं। ‘ प्रस्तुत व्याख्येय पंक्ति में निर्गुणवादी विचारधारा के कवि गुरुनानक राम-नाम की गरिमा मानवीय जीवन में कितनी है इसका उजागर सच्चे हृदय से किये हैं। कवि कहते हैं कि राम-नाम का अध्ययन, संध्यावंदन, सीहिन रंगीन वस्त्रधारण, यहाँ तक कि जटाजूट बढ़ाकर इधर-उधर घूमना, ये सभी, भक्ति-भाव के बाह्याडम्बर है। इससे जीवन सार्थक कभी भी नहीं हो सकता है । राम-नाम की सत्ता को स्वीकार नहीं करते हैं तब तक मानवीय मूल चेतना उजागर नहीं हो सकता है । राम-नाम के बिना बहुत-से सांसारिक कार्यों में उलझकर व्यक्ति जीवनलीला समाप्त कर लेता है।

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Ajit kumar

Sub Editor-in-Chief at Jaankari Rakho Web Portal

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