रेखाचित्र तथा संस्मरण में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।

रेखाचित्र तथा संस्मरण में अन्तर स्पष्ट कीजिए । 

उत्तर— रेखाचित्र और संस्मरण में अन्तर–रेखाचित्र और संस्मरण दोनों हिन्दी गद्य साहित्य की नवीनतम विधाएँ हैं। दोनों विधाओं के रूप, आकार तथा शिल्प-विधान में पर्याप्त समानता देखने को मिलती है। दोनों का उद्देश्य स्मृति चित्रों को प्रस्तुत करना है। डॉ. शैलेन्द्र मोहन ने लिखा है—” संस्मरण और रेखाचित्र में किसी प्रकार का विरोध नहीं है, कोई मौलिक अन्तर भी नहीं है। वास्तव में इनकी जाति एक ही है, या कहिए कि संस्मरण रेखाचित्र का एक प्रकार मात्र है जिसमें एक व्यक्ति का चित्र होता है और वह व्यक्ति प्रायः वास्तविक होता है, काल्पनिक नहीं।” अतः दोनों में पर्याप्त समानता देखने को मिलती है, फिर भी कुछ अन्तर है, जो निम्न प्रकार से हैं—

(i) रेखाचित्र का सम्बन्ध व्यक्ति या वस्तु से होता है, जबकि संस्मरण का सम्बन्ध देश, काल तथा पात्र तीनों से रहता है।
(ii) रेखाचित्र में पात्र के चरित्र की कुछ प्रमुख विशेषताओं अथवा प्रमुख रेखाओं को उभारा जाता है, जबकि संस्मरण में लेखक सम्पूर्ण परिस्थिति का बिम्ब प्रतिबिम्ब भाव से वर्णन करता है।
(iii) रेखाचित्रकार वर्ण्य विषय का वर्णन करते समय अपने विषय में मौन रहता है, जबकि संस्मरण में लेखक वर्ण्य विषय के साथ-साथ अपना वर्णन भी करता चलता है।
(iv) रेखाचित्र वर्तमान व अतीत दोनों से सम्बन्धित रहता है, जबकि संस्मरण का सम्बन्ध अतीत से ही होता है।
(v) संस्मरण केवल महान् पुरुषों के चरित्र को ही आधार बनाकर लिखे जाते हैं परन्तु रेखाचित्र किसी भी व्यक्ति, वस्तु अथवा घटना का हो सकता है।
(vi) रेखाचित्र लेखन की शैली निश्चित है । रेखाचित्रकार सदैव चित्रात्मक शैली को स्वीकार करता है, जबकि संस्मरण के लिए कोई निश्चित शैली नहीं। इसके लिए लेखक को पूर्ण स्वतंत्रता है।
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