लोकतांत्रिक व्यवस्था में नियंत्रण और संतुलन की व्यवस्था से आप क्या समझते हैं ?

लोकतांत्रिक व्यवस्था में नियंत्रण और संतुलन की व्यवस्था से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर- सरकार के कई महत्त्वपूर्ण अंग होते हैं, जो सत्ता के भिन्न-भिन्न रूपों का प्रयोग करते हैं। जैसे न्याय संबंधी कार्य न्यायपालिका, कानूनों के निर्माण संबंधी कार्य विधायिका और कानून का पालन संबंधी कार्य कार्यपालिका। ये त्रिअंगी बँटवारा सरकार के अंगों की स्वतंत्रता तो निर्धारित करता है, किंतु साथ ही साथ संविधान स्थापित करता है। इसी को ‘नियंत्रण और संतुलन की व्यवस्था’ कहा जाता है।

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