वर्णनात्मक विधि को स्पष्ट कीजिए। इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

वर्णनात्मक विधि को स्पष्ट कीजिए। इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए। 

                                            अथवा
वर्णन प्रविधि से आप क्या समझते हैं ? इसकी विशेषताओं एवं सीमाओं को लिखिए।
उत्तर— वर्णन प्रविधि—वर्णन प्रविधि, वह प्रविधि है जिसके माध्यम से किसी विषय-वस्तु तथा घटना का छात्रों के समक्ष पूर्ण शाब्दिक चित्र प्रस्तुत किया जाता है। इस प्रविधि के माध्यम से किसी घटना, दृश्य एवं नियम तथा सिद्धान्तों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया जाता है। केवल प्रश्नोत्तर या विवरण प्रविधि से सभी बातें स्पष्ट नहीं होती हैं तथा छात्रों के मानस पर सम्पूर्ण चित्र नहीं बन पाता है। इसके लिए शिक्षक को वर्णन प्रविधि के द्वारा विस्तृत वर्णन करना पड़ता है। वर्णन को विस्तृत विवरण कहना अधिक उपयुक्त है परन्तु इसमें विवरण प्रविधि की विश्लेषण, आलोचना तथा टीका-टिप्पणी की भावना निहित नहीं है।
वर्णन की प्रभावोत्पादकता–वर्णन प्रविधि को प्रभावपूर्ण बनाने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए—
(i) छात्रों के मस्तिष्क पर स्थायी प्रभाव उत्पन्न करने के लिए वर्णन छात्रों की रुचि एवं विकास अवस्था के अनुकूल एवं उपयुक्त होना चाहिए।
(ii) वर्णनीय विषय से तादात्म्य स्थापित करने के लिए छात्रों के मानसिक स्तर तथा सामाजिक पृष्ठभूमि से सम्बन्ध जोड़ना अच्छा रहता है।
(iii) वर्णन करते समय विषय-वस्तु से सम्बन्धित भावों में उतारचढ़ाव, मुद्रा विन्यास तथा स्वर को आरोह-अवरोहकता की अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। अच्छी वर्णन शैली के ये आवश्यक तत्त्व हैं। साथ ही अच्छी वर्णन शैली के लिए भाषा की सरलता, सहजता, सुबोधता एवं स्पष्टता का अपना महत्त्व है।
(iv) वर्णन स्वयं में सम्पूर्ण, सर्वांगपूर्ण, व्यापक एवं बहुपक्षीय हो तो अधिक प्रभावशाली होता है।
वर्णन प्रविधि की विशेषताएँ—वर्णन प्रविधि की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं—
(i) इस प्रविधि का सम्बन्ध किसी व्यक्ति विशेष से नहीं होता है बल्कि सम्पूर्ण जनसंख्या से होता है।
(ii) इस प्रविधि का एक विशिष्ट उद्देश्य होता है, उसी को दृष्टिगत रखकर इसका सम्पादन किया जाता है।
(iii) इस प्रविधि में सदैव स्पष्ट एवं परिभाषित समस्या पर ही कार्य किया जाता है।
(iv) इस प्रविधि की प्रकृति क्रॉस सेक्शनल प्रकार की होती है, अतः यह क्या है, को स्पष्ट करती है।
(v) इस प्रविधि हेतु विशिष्ट एवं कल्पनात्मक नियोजन आवश्यक होता है।
(vi) इस प्रविधि में नियोजन गुणात्मक एवं संख्यात्मक दोनों ही प्रकार का होता है ।
(vii) इस प्रविधि में आँकड़ों की संख्या एवं विश्लेषण में विशेष सावधानी रखने की आवश्यकता होती है।
(viii) इसके अन्तर्गत एक ही समय में अधिकांश व्यक्तियों के सम्बन्ध में आँकड़े प्राप्त किए जाते हैं ।
(ix) इस प्रविधि को शाब्दिक तथा गणितीय सूत्रों में भी व्यक्त किया जा सकता है।
(x) इस प्रविधि के अन्तर्गत किसी वैज्ञानिक नियम का निर्धारण नहीं किया जाता है बल्कि समस्या समाधान के लिए उपयोगी सूचनाएँ प्रदान की जाती हैं।
वर्णन प्रविधि की सीमाएँ—वर्णन प्रविधि की निम्नलिखित सीमाएँ है—
(i) वर्णन विधि का अधिक प्रयोग पाठ को नीरस बनाने लगता है।
(ii) वर्णन की भाषा एवं उसकी विषय-वस्तु उपयुक्त न हो तो शिक्षण यांत्रिक बनने लगता है ।
(iii) वर्णन प्रविधि में भी शिक्षक छात्रों की अपेक्षा अधिक सक्रिय होता है। इसमें छात्र की क्रियाशीलता कम होती है ।
(iv) कभी-कभी वर्णन इतना बड़ा और लम्बा हो जाता है कि वह भाषण बन जाता है और उबाऊ लगने लग जाता है।
(v) वर्णन की पर्याप्तता, यथेष्टता तथा व्यापकता का निर्णय करने के लिए शिक्षक में सूझ-बूझ होना आवश्यक है।
(vi) वर्णन प्रविधि के कुशल प्रयोग हेतु शिक्षकों की अभिव्यक्ति की विधि, उनके द्वारा प्रयुक्त शब्दों का प्रयोग, वाक्यों का गठन तथा भाषा एवं विषय-वस्तु पर अधिकार अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।
वर्णन प्रविधि का प्रयोग करते समय सावधानियाँ- वर्णन प्रविधि का प्रयोग करते समय निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी चाहिए-
(i) शिक्षक को पाठ-योजना बनाते समय ही विचार कर लेना चाहिए कि उसे कक्षा में कब, किस स्थल पर, कितना तथा किस स्तर का, किन सामग्रियों तथा किन अन्य प्रविधियों का प्रयोग करना है। इस प्रकार अनावश्यक बातों तथा अवांछित घटनाओं के वर्णन से बचा जा सकता है।
(ii) वर्णन रोचक, मनोरंजक तथा आकर्षक शैली में किया जाना चाहिए । भाषा में सरलता, सहजता तथा शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए।
(iii) वर्णन में क्लिष्टता से बचना चाहिए तथा इसे सजीव बनाने के लिए विशेष प्रयास करने चाहिए।
(iv) वर्णन में पूर्णता एवं व्यापकता होनी चाहिए।
(v) वर्णन के द्वारा छात्रों में उपयुक्त मानस चित्र की रचना करने पर बल दिया जाना चाहिए ।
(vi) वर्णन प्रसंग के अनुसार हो तथा आवश्यक उदाहरणों एवं अनुकूल श्रव्य-दृश्य सामग्री का प्रयोग युक्त हो।
(vii) वर्णन करने से पूर्व शिक्षक को वर्णन की पूरी रूपरेखा तैयार कर लेनी चाहिए और एक निश्चित क्रम में वर्णन करना चाहिए तथा वर्णन को एक तार्किक क्रम में प्रस्तुत करना चाहिए।
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