विभिन्न प्रकार की विज्ञानों को पढ़ने का क्या उद्देश्य है?

विभिन्न प्रकार की विज्ञानों को पढ़ने का क्या उद्देश्य है?

                                अथवा
विज्ञान पठन से आप क्या समझते हैं ? इसके उद्देश्यों को लिखिए।
उत्तर— विज्ञान का पठन–वर्तमान समय में विज्ञान मानव जीवन का मुख्य हिस्सा भाग बन चुका है। सुबह उठने के बाद और रात्रि में सोने के समय तक हम जिन वस्तुओं का उपयोग करते हैं, वे सभी विज्ञान की ही देन हैं। जो हम कपड़े पहनते हैं, जूते एवं चप्पल पहनते हैं, पेन से लिखते हैं, कागज, गाड़ी एवं कृषि के क्षेत्र में जो भी सामग्री उपयोग करते हैं, वह विज्ञान की ही देन हैं।
परिवहन के क्षेत्र, चिकित्सा के क्षेत्र निर्माण के क्षेत्र, अन्तरिक्ष विज्ञान तथा इन्जीनियरिंग के क्षेत्र में विज्ञान का महत्त्व है। विज्ञान हमारे चारों ओर विद्यमान है। दूरदर्शन से टेलीविजन, रेडियो, ग्रामोफोन, मोबाइल फोन, दूसंचार, सोनोग्राफी तथा हवा की गति से भी तीव्र गति वाले बमवर्षक विमान ये सभी विज्ञान के ज्ञान की ही देन हैं।
दूरदर्शन, टेलीफोन एवं ग्रामोफोन आदि में भी विद्युत तथा विज्ञान के ज्ञान का प्रयोग हुआ है। विभिन्न अस्त्र-शस्त्र, कृषि के यन्त्र एवं दवाइयाँ आदि के निर्माण में भी विज्ञान का प्रयोग हुआ है। हमें इसने सुखी बनाया है तथा हमारे मानसिक स्वरूप को परिवर्तित कर नए विश्वास को जागृत किया है।
विज्ञान के पठन के उद्देश्य—विज्ञान पठन के निम्नलिखित उद्देश्य है—
(1) अनुशासनात्मक उद्देश्य—विज्ञान के द्वारा छात्र के मन एवं मस्तिष्क में अनुशासन स्थापित किया जाता है। मानसिक अनुशासन भली-भाँति क्रियान्वयन मानसिक क्रिया द्वारा ही सम्भव है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए छात्र में तार्किक एवं निरीक्षण शक्ति का विकास करना अत्यन्त आवश्यक है ।
(2) व्यावहारिक उद्देश्य—ज्ञान तभी उपयोगी होता है जबकि इसको काम में लाया जा सके। इसके लिए विज्ञान शिक्षा का उद्देश्य केवल यहीं तक सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि छात्रों को वैज्ञानिक सिद्धान्तों एवं तथ्यों का ज्ञान दिया जाए ताकि इस ज्ञान के द्वारा वे अपने परिवेश को ठीक प्रकार से समझ सकें तथा उसका अपने दैनिक जीवन में उपयोग कर सकें।
(3) सांस्कृतिक उद्देश्य—संस्कृति विज्ञान के ज्ञान से प्रभावित है। विज्ञान के ज्ञान द्वारा ही मानव ने प्राकृतिक शक्तियों पर विजय प्राप्त की है। अच्छे नागरिक बनने हेतु मानव जाति का उत्थान करने के लिए भी वैज्ञानिक सिद्धान्तों का ज्ञान होना आवश्यक है।
(4) वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न करना—विज्ञान के ज्ञान का प्रमुख उद्देश्य छात्र में वैचारिक दृष्टिकोण उत्पन्न करना है। किसी वैज्ञानिक तथ्य को समझने के लिए उसमें चिन्तन तथा मनन करने की शक्ति का विकास करना है। यह परीक्षण एवं प्रयोग के आधार पर ही सम्भव है।
(5) मनोवैज्ञानिक उद्देश्य—विज्ञान की शिक्षा में मनोवैज्ञानिक उद्देश्यों की प्रमुख आवश्यकता होती है ताकि उसकी आवश्यकता के अनुरूप रुचियों का विकास हो सके। छात्र में रचनात्मक प्रकृति संग्रह करने की आदत तथा आत्माभिव्यक्ति आदि हृदय की मूल भावनाओं की सन्तुष्टि करने का कार्य सम्पादित होता है। इसमें छात्र सहज भाव से अपनी रुचि एवं आदत के अनुरूप एक निश्चित दिशा में अग्रसर होने लगता है।

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