विषय केन्द्रित पाठ्यक्रम से आप क्या समझते हैं ?
विषय केन्द्रित पाठ्यक्रम से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर— विषय केन्द्रित पाठ्यक्रम से आशय—विषय केन्द्रित पाठ्यक्रम में विषय को आधार मानकर पाठ्यक्रम को नियोजित एवं संगठित किया जाता है। इस प्रकार के पाठ्यक्रम का उद्देश्य विषयों के ज्ञान को पृथक्-पृथक् रूप में प्रदान करना होता है । इस पाठ्यक्रम का सूत्रपात प्राचीन ग्रीक तथा रोम के विद्यालयों में हुआ। इसमें सभी विषयों के ज्ञान को अलग-अलग निश्चित कर लिया जाता है तथा उसी के अनुसार पुस्तकें तैयार कर ली जाती हैं। इन्हीं पुस्तकों से बालक विभिन्न विषयों का ज्ञान प्राप्त करते हैं। इस पाठ्यक्रम में पुस्तकों पर अधिक बल दिये जाने के कारण इसे ‘पुस्तक- केन्द्रित पाठ्यक्रम’ भी कहा जाता है। इसमें बालकों की अपेक्षा विषय-ज्ञान को अधिक महत्त्व दिया जाता है। इस प्रकार के पाठ्यक्रम में पाठ्यवस्तु पहले से निश्चित होने के कारण शिक्षक को यह मालूम होता है कि उसे क्या-क्या पढ़ाना है तथा विद्यार्थी भी यह जानते हैं या जान सकते हैं कि उन्हें क्या-क्या पढ़ना है। इसमें निश्चित पाठ्यवस्तु में से ही विद्यार्थियों की परीक्षा ली जाती है तथा इस मूल्यांकन से यह ज्ञात किया जाता है कि बालक ने कितना सीखा है अर्थात् उसकी उपलब्धि क्या रही है। हमारे देश में प्रायः विषय-केन्द्रित पाठ्यक्रम का ही प्रचलन है। इस प्रकार के पाठ्यक्रम की अपनी अनेक विशेषतायें हैं, किन्तु यह पाठ्यक्रम कई तरह की कमियों से भी युक्त है।
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