शिक्षण सूत्रों का कक्षा शिक्षण में प्रयोग स्पष्ट कीजिये ।
शिक्षण सूत्रों का कक्षा शिक्षण में प्रयोग स्पष्ट कीजिये ।
उत्तर— शिक्षण सूत्रों का कक्षा-कक्ष में निम्न प्रकार प्रयोग किया जा सकता है—
(i) सम्पूर्ण से अंश की ओर– शिक्षक के मस्तिष्क पर पहले सम्पूर्ण वस्तु का चित्र बनता है फिर ध्यान उसमें अंशों की तरफ जाता है । जैसे भूगोल में भारत के विभिन्न प्रदेशों की स्थिति देखने से पूर्व भारतवर्ष का मानचित्र दिखलाना उचित होता है।
(ii) विशिष्ट से सामान्य की ओर– इस सूत्र का प्रयोग ज्यादातर गणित, भूगोल, विज्ञान विषयों में किया जाता है; जैसे- गणित में त्रिभुज के तीनों कोण दो समकोण के बराबर होते हैं। यह बताने पर छात्र अलग-अलग प्रकार के त्रिभुज बनाकर उनके कोणों के मापन करते हैं, जिससे यह तथ्य आसानी से स्पष्ट हो जाता है।
(iii) विश्लेषण से संश्लेषण की ओर– व्यक्ति के सामने समस्या आने पर उसका विश्लेषण द्वारा हल ढूँढते हैं फिर परिकल्पना बनती है, बाद में उसके आधार पर संश्लेषण करता है।
(iv) मनोविज्ञान से तर्क की ओर– शिक्षक पहले पाठ्यवस्तु के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बनवाकर फिर उसे तार्किक क्रम में प्रस्तुत करता है।
(v) स्थूल से सूक्ष्म की ओर– शिक्षण में स्थूल से अर्थ वस्तुओं का प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करने से है जैसे गणित में गिनती सिखाने के लिये छोटी-छोटी गेंदों को छूकर बच्चा जल्दी सीख जाता है।
(vi) अनुभव से तर्क की ओर– शिक्षण के माध्यम से छात्रों को चिंतन स्तर तक का ज्ञान देने का प्रयास किया जाता है। जैसे कोई भी वस्तु ऊपर से नीचे ही क्यों गिरती है ? आदि ।
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