शिक्षण से क्या अभिप्राय है ?
शिक्षण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर— शिक्षण–शिक्षण के विषय में सैद्धान्तिक रूप से कहा जा सकता है कि यह किसी भी अध्यापक के लिए महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है। शिक्षण कार्य वास्तव में एक जटिल प्रक्रिया है। शिक्षण से बालक जहाँ कुछ सीखता है, वहीं बालक को आन्तरिक मनोभावनाओं का समझकर उनको शिक्षण कराना एक कठिन कार्य है। शिक्षण का सीधा-सा अर्थ यदि लगायेंगे तो यही होगा कि बालक विद्यालय प्रांगण में शिक्षण से जो ज्ञान प्राप्त करता है वह शिक्षण है। परन्तु यह अर्थ शिक्षण की परिभाषा प्रस्तुत करने में सम्पूर्ण न होकर अपूर्ण ही है। शिक्षक से पाठ्यक्रम से सम्बन्धित ज्ञान प्राप्त कर लेना शिक्षण नहीं है। यह तो व्यापक है।
शिक्षण का अर्थ–शिक्षण शिक्षा प्राप्त करने की महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है। शिक्षा है, सीखना, अनुभव प्राप्त करना । शिक्षण सामाजिक परम्परा पर आश्रित है। निश्चित स्थान, समय तथा पाठ्यक्रम के आधार पर कराये गये शिक्षण को हम एक अनौपचारिक प्रक्रिया में बाँधकर अधिगम करते हैं। इसमें स्वतंत्रता का अभाव होता है। शिक्षण प्रक्रिया एक सीमा में बँधी होती है और बालक का सर्वांगीण विकास नहीं हो पाता है।
शिक्षण की परिभाषाएँ—नीचे कुछ प्रमुख शिक्षा शास्त्रियों की शिक्षण की परिभाषाएँ प्रस्तुत की जा रही हैं—
जॉन ब्रूबेकर के अनुसार, “शिक्षण उन परिस्थितियों की व्यवस्था एवं संचालन है, जिसमें अन्तराल तथा बाधायें होती हैं, जिन्हें मानव दूर करने के प्रयासों के फलस्वरूप अधिगम करता है।”
क्लार्क के अनुसार, “शिक्षण ऐसी प्रक्रिया है जिसके संचालन और प्रारूप का व्यवस्थापन इस प्रकार किया जाता है जिसमें छात्रों के व्यवहार में परिवर्तन लाया जा सके।”
बी. ओ. स्मिथ के मतानुसार, “क्रियाओं का वह संगठन जो सीखने (अधिगम) के अनुभवों को उत्पन्न करने के लिए उत्प्रेरित करता है, वह शिक्षण है।”
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