संगठित अपराध

संगठित अपराध

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 संगठित अपराध क्या है ?

संगठित अपराध का अर्थ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक या अन्य प्रकार के फायदे के लिए तीन या इससे अधिक व्यक्तियों के संगठित दल द्वारा कुछ समय के लिए एकजुट होकर गंभीर अपराध या जुर्म की घटनाओं को अंजाम देना है।
इसके कई स्वरूप हैं। संगठित अपराध को दो भागों में बांटा जा सकता है- परंपरागत संगठित अपराध और गैर-परंपरागत (आधुनिक) संगठित अपराध |
परम्परागत संगठित अपराधों में अवैध शराब का धंधा, जुआ, अपहरण, जबरन धन वसूली, वैश्यावृत्ति, डांस बार, डकैती, लूटपाट, ब्लैकमेल, रेत माफिया, खनन माफिया, सुपारी पर हत्या तथा अश्लील फिल्म व्यवसाय इत्यादि ।
गैर-परम्परागत संगठित अपराधों में मनी लॉन्ड्रिंग, अर्थव्यवस्था में जाली नोटों का वितरण, हवाला स्थानांतरण, साइबर अपराध, हैकिंग, मानव तस्करी, हथियार तस्करी, मादक पदार्थ तस्करी इत्यादि ।
♦ अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध क्या है ?
संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के अनुसार:
तीन या तीन से अधिक व्यक्तियों का समूह जो सुनियोजित ढंग से बना हो ।
जिसका अस्तित्व कुछ समय से हो ।
किसी ऐसे अपराध जिसमें कम-से-कम चार वर्ष की कठोर सजा है, को अंजाम देने के उद्देश्य से एक साथ काम किया हो ।
प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक या अन्य प्रकार के लाभ के लिए इक्ट्ठे हुए हों।
क्योंकि किसी भी प्रकार से अधिकांश दलों में तीन या तीन से अधिक व्यक्ति कुछ समय के लिए संगठित होकर सामूहिक प्रयास करते हैं, इसलिए संयुक्त राष्ट्र संघ की उपसंधि के अनुसार संगठित अपराधी दलों को विशेष परिभाषित करने वाला गुण उनके लाभ के लिए कार्य करने और गंभीर अपराध को अंजाम देने पर केंद्रित है।
♦ संगठित अपराध तथा आतंकवाद के बीच परस्पर संबंध
आतंकवादी अपने संगठन को वित्तीय मदद देने के लिए संगठित अपराध का सहारा लेते हैं। मादक पदार्थ की तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग, जाली नोट, अनुबंधित हत्या, जबरन धन ऐंठना कुछ ऐसे मुख्य संगठित अपराध हैं जो आतंकवादी धन इकट्ठा करने हेतु करते हैं ।
संगठित अपराधी दल तथा आतंकवादी प्रायः एक ही नेटवर्क ढांचे पर कार्य करते हैं। आतंकवादी अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराधी दलों की आड़ में फलते फूलते हैं। संगठित अपराधी दल तथा आतंकवादी दोनों ही ऐसे क्षेत्र में काम करते हैं जहां न्यूनतम सरकारी नियंत्रण, कमजोर प्रशासन तथा खुली सीमा होती है। संगठित अपराधी दल तथा आतंकवादी संचार के लिए प्रायः समान आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हैं ।
संगठित अपराधी दल मादक पदार्थ तथा डायमंड के बदले में आतंकवादी दलों को तस्करी द्वारा बारूद तथा हथियार देते हैं। आतंकवादी दल विश्व के विभिन्न देशों में अपने सदस्यों को भेजने के लिए संगठित अपराधी दलों द्वारा स्थापित तस्करी जाल का उपयोग करते हैं। संगठित अपराधी दल भी मनी लॉनड्रिंग का कार्य करते हैं। अपने नियंत्रित क्षेत्र में सुरक्षा देने के लिए आतंकवादी दल मादक पदार्थों के तस्करों के ऊपर कर लगाते हैं।
संगठित अपराधी दल तथा आतंकवादी, प्रभावहीन प्रशासन तथा कमजोर कानून व्यवस्था के कारण फलते-फूलते हैं। दोनों के बीच सहजीवी का संबंध है। अधिकांश विकसित देशों में संगठित अपराध बिना किसी आतंकवादी गतिविधि के कार्य करते हैं। अधिकांश विकासशील देशों में संगठित अपराध के विभिन्न स्तरों के साथ आतंकवाद सक्रिय है।
♦ संगठित अपराध तथा आतंकवाद के बीच अंतर
दोनों प्रकार के दलों के बीच का अंतर उनकी कार्यविधि तथा उद्देश्य के ऊपर निर्भर करता है। आतंकवादी वर्तमान व्यवस्था को बदलकर विद्यमान सरकार को उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से काम करता है। दूसरी तरफ संगठित अपराधी विद्यमान सरकार के साथ कार्य करते हुए एक समानान्तर सरकार बनाना चाहते हैं। विद्यमान व्यवस्था में किसी भी प्रकार का परिवर्तन पूर्णतः परिस्थितिजन्य होता है या किसी सहयोग का परिणाम होता है। यह किसी खास गंभीर परिवर्तनशील सिद्धांत का परिणाम नहीं होता। दूसरा, आतंकवादी मुख्य रूप से अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए हिंसा का सहारा लेते हैं जबकि संगठित अपराधी कुछ मामलों के अलावा अधिकांशतः अहिंसक रहना पसंद करते हैं। तीसरा, आतंकवादी अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए क्षेत्रीय, राष्ट्रीय तथा धार्मिक भावनाओं के दुरुपयोग करते हैं। इनका लक्ष्य राजनीतिक उद्देश्य की प्राप्ति है। जबकि इसके विपरीत संगठित अपराधी दलों की गतिविधि का मुख्य उद्देश्य आर्थिक लाभ प्राप्त करना है।
♦ संगठित अपराध के विभिन्न प्रकार
संगठित अपराध के प्रकार में सम्मिलित हैं:
1. मादक पदार्थ तस्करी,
2. हथियार तस्करी,
3.  मानव तस्करी,
4.  स्वर्ण तस्करी,
5. जाली मुद्रा,
6. अपहरण तथा जबरन धन वसूली,
7.  अनुबंधित हत्या/सुपारी हत्या,
8.  साइबर अपराध,
9. मनी लॉन्ड्रिंग,
10. समुद्री डकैती,
 11. सीबीआरएन तस्करी (रासायनिक, जैविक, विकिरण तथा परमाणु सुरक्षा),
12.मानव शरीर अंग तस्करी,
13.  अवैध व्यापार |
इसमें प्रथम पांच का स्पष्ट रूप से आतंकवाद के साथ संबंध है।
♦ संगठित अपराध एवं आतंकवाद के बीच संबंध और भारतीय परिदृश्य में उनकी प्रासंगिकता
आधुनिक युग में संगठित अपराध और आतंकवाद में लिप्त समूह पहले से कहीं ज्यादा मिलकर कार्य कर रहे हैं। इससे आतंकवादी समूहों की राज्य प्रायोजकों और स्थानीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समर्थकों पर निर्भरता घटी है। 1990 में विशेषकर इस दशक के उत्तरार्द्ध में अपराधिक नेटवर्कों से सीख लेने वाले बहुत से आतंकवादी समूह सामने आए। यूरोप और उत्तरी अमेरिका में सहानुभूति वाले संगठनों की आड़ में बहुत से आतंकवादी समूह नकली सीडी एवं वीडियो, फोन कार्डो के व्यापार और क्रेडिट कार्ड घोटालों से भारी मात्रा में धन इकट्ठा करते हैं।
जबकि संगठित अपराधी विभिन्न अपराधिक गतिविधियों में संलिप्त हैं। आतंकवाद से इनके संबंध मादक पदार्थों, मानव और हथियारों की अवैध तस्करी, जाली मुद्रा एवं मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े हैं। आतंकवादी समूहों (चाहें स्थानीय हो अथवा विदेशी) को सुरक्षा बलों के विरुद्ध लड़ाई के लिए पैसे और हथियार की जरूरत होती है। संगठित अपराध में ग्राहक और कोरियर की जरूरत होती है, जो मादक पदार्थों, हथियारों आदि को क्षेत्र अथवा सीमा पार करा सकें।
भारत में इन दोनों के बीच राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संबंध हैं। राष्ट्रीय स्तर पर, आतंकवादियों और अंदर संगठित अपराधी दोनों भारत में सक्रिय हैं जबकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, भारत के भीतर और बाहर दोनों जगह आतंकवादियों और संगठित अपराधियों के संगठन हैं।
♦ उत्तर-पूर्व में संगठित अपराध एवं आतंकवाद के बीच संबंध
भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में, अधिकांश आतंकवादी दल समानांतर सरकार चलाते हैं या उनका अपना एक खास प्रभाव क्षेत्र है, जहां वे लोगों से सीधे धन ऐंठते हैं। कुप्रशासन के कारण सरकारी निधि का अधिकांश धन अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवादी प्राप्त कर लेते हैं। प्रभावित क्षेत्रों में सरकारी कर्मचारियों को धमकी या घूस देकर ऐसे व्यक्तियों को ठेकों पर कार्य देने के लिए बाध्य किया जाता है जिन्हें आतंकवादियों का समर्थन प्राप्त है। ठेकों के अलावा आवश्यक सामग्री, जैसे-चावल और मिट्टी का तेल उग्रवादियों के पास पहुंचता है, जिन्हें वे सीधे अधिक दाम पर आम जनता को बेच देते हैं। यह प्रक्रिया, जो भारत के अन्य भागों में नहीं देखी जाती, संगठित अपराध एवं आतंकवाद के बीच गहरे संबंध का एक स्पष्ट उदाहरण है।
आतंकवादियों की नापाक गतिविधियों को चलाने के लिए जबरन वसूली, अपहरण, ठेकों और कालाबाजारी से मिला धन भी अपर्याप्त होता है। इस कमी को पूरा करने के लिए वे अंर्तराष्ट्रीय मादक पदार्थ और हथियार सिंडिकेट की मदद लेते हैं। भारत में खासकर उत्तर-पूर्व राज्यों में आतंकवादी संगठन अवैध मादक पदार्थ तथा हथियारों और कभी-कभी मानव तस्करी के लिए भी देश के अंदर कोरियर का काम करते हैं जिससे उन्हें धन प्राप्त होता है। दक्षिण-पूर्व एशिया में सबसे प्रसिद्ध स्थान मोरे और चिटगांव का समस्त पहाड़ी इलाका, खासकर कोक्स बाजार, इनके प्रवेश के लिए बदनाम हैं। प्रारंभ में अंर्तराष्ट्रीय अपराधी सिंडिकेट के पास अपना ही नेटवर्क होता था, परन्तु उत्तर-1 – पूर्व के राज्यों में प्रवेश मार्गों पर विभिन्न आतंकवादी संगठनों का वर्चस्व होने के कारण अब वे इन आतंकवादी संगठनों से सांठगांठ करके, घूस देकर अपने माल की आवाजाही करते हैं।
♦ कश्मीर में संगठित अपराध एवं आतंकवाद के बीच संबंध
कश्मीर में संगठित अपराध एवं आतंकवाद के बीच संबंध विभिन्न प्रकार के हैं। उत्तर-पूर्व की अपेक्षा यहां पर जबरन वसूली तथा अन्य संबंधित स्रोतों का उपयोग बहुत कम है। कश्मीर में इन दलों की कोई समानांतर सरकार भी नहीं है जिसके कारण सरकारी स्रोत आतंकवादियों के  हाथ नहीं लगते हैं। तथापि बाहरी देशों से प्राप्त सहायता से इसकी पूर्ति हो जाती है। कश्मीर में संघर्षरत आतंकवादी संगठनों को विभिन्न तरीकों से विदेशी धन प्राप्त होता है। उदाहरण स्वरूप पाकिस्तान तथा अन्य मुस्लिम देशों में एकत्रित किए गए धन को पाकिस्तान स्थित विभिन्न संगठनों के माध्यम से कश्मीर भेज दिया जाता है। उदाहरण स्वरूप मर्काज दावा अल असद, लश्करे तयैबा आदि आतंकवादी संगठनों को पैसा देने के लिए पाकिस्तान के अंदर तथा बाहर धन इकट्ठा करते हैं। इसके अतिरिक्त विदेशी धन को भी कुछेक चयनित संगठनों तथा काश्मीर के खास व्यक्तियों द्वारा आतंकवादियों तक पहुंचाया जाता है। इसमें मनी लॉन्ड्रिंग की अहम भूमिका है। कश्मीर में हवाला लेन-देन बहुत तेज़ी तथा प्रभावशाली रूप से होता है। इसके अलावा यह भी विश्वास किया जाता है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को धन देने के लिए मादक द्रव्य की तस्करी से प्राप्त धन का उपयोग करती है।
संगठित अपराध तथा आतंकवाद के बीच का संबंध, खासकर कश्मीर में, नकली नोट फैलाने से अत्यधिक उजागर होता है। कश्मीर के अंदर आतंकवादी भारतीय जाली नोटों को देश के अन्य भागों में फैलाने के लिए प्रमुख कोरियर का काम करते है। यहां तक की आतंकवादियों को सीमा पार मार्गदर्शन देने वाले सहायकों को भी जाली नोटों का भुगतान किया जाता है। वास्तव में कई बार स्थानीय आतंकवादियों को जाली नोटों में भुगतान किए जाने के कारण इन तथाकथित विदेशी आतंकवादी दलों के साथ झगड़े भी हुए हैं।
♦ भारत के अन्य भागों में आतंकवाद तथा संगठित अपराध के बीच संबंध
कश्मीर तथा उत्तर-पूर्व के अतिरिक्त भारत के अन्य भागों में यदाकदा हिंसक घटनाओं, जैसे-1993 के मुम्बई बम धमाकों ने संगठित अपराध एवं आतंकवाद के बीच के संबंध को उजागर किया है। यह संबंध संगठित अपराध अभिषद तथा स्थानीय अपराधियों के बीच परंपरागत फलते-फूलते संबंध से भिन्न  है।
♦  मुम्बई बम धमाके
1993 में मुम्बई बम धमाके भारत में संगठित अपराधियों द्वारा आतंकवादी गतिविधियों को योजनागत तरीके से अंजाम देने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। 12 मार्च, 1993 को मुम्बई में एक के बाद एक 13 बम धमाके किए गए। भारतीय इतिहास में इस प्रकार का समन्वित हमला सबसे ज्यादा विनाशकारी था। एक दिन के ही हमले में 350 से ज्यादा लोग मारे गए तथा 1200 घायल हुए।
इस हमले में संचालन एवं समन्वय का कार्य दाऊद इब्राहिम द्वारा किया गया था जो उस समय मुम्बई स्थित अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध सिंडिकेट, ‘डी- कम्पनी’ के नाम से प्रसिद्ध था। इस हमले के पीछे दाऊद इब्राहिम की प्रमुख भूमिका थी । दाऊद इब्राहिम कई प्रकार के संगठित अपराध, जैसे-मादक पदार्थ तस्करी, स्वर्ण तस्करी, अनुबंधित हत्या, मैच फिक्सिंग इत्यादि में लिप्त है।
2000 1993 में मुम्बई का बम धमाका भारत में संगठित अपराधियों द्वारा आतंकवादी गतिविधियों को योजनागत तरीके से अंजाम देने का एक प्रमुख उदाहरण है। भारत में मुम्बई के बम धमाके में आतंकवाद तथा संगठित अपराध के बीच विद्यमान संबंध पहली बार सामने आए। पहली बार ही दंगों का बदला आतंकवादी हमले के रूप में लिया गया।
♦ दाऊद इब्राहिम
दाऊद इब्राहिम मुम्बई का सबसे शक्तिशाली माफिया सरगना है। जिसके कारोबार का जाल बड़े पैमाने पर देश और विदेशों में फैला हुआ है। वह संगठित अपराध माफिया का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। है। वह सबसे ताकतवर गैंग का सरगना है जो अंतर्राष्ट्रीय अपराध, जैसे-मादक पदार्थ तस्करी, अनुबंधित हत्या, जबरन धन वसूली में शामिल है। यह माना जाता है कि वह पाकिस्तान में रहता है और उसे दुबई एवं आईएसआई का समर्थन प्राप्त है। यद्यपि आईएसआई इस बात से इंकार करती है।
माना जाता है कि दाऊद इब्राहिम का हवाला तंत्र के ऊपर मजबूत नियंत्रण है जिसका उपयोग धन स्थानांतरण तथा बाहरी देशों को भेजने के लिए भारतीय सरकारी तंत्र से छिपाकर किया जाता है। वह वर्तमान में धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र एवं संगठित अपराध अभिषद चलाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय पुलिस की वांछित सूची में शामिल है। 2011 की फोर्ब्स की विश्व के शीर्ष 10 खूंखार अपराधी सूची में दाऊद इब्राहिम का नाम तीसरे स्थान पर है जो 2008 में चौथे स्थान पर था।
संयुक्त राज्य अमेरिका के अनुसार दाऊद इब्राहिम का अलकायदा के ओसामा बिन लादेन के साथ गहरा संबंध था। इसके फलस्वरूप अमेरिका ने 2003 में दाऊद इब्राहिम को विश्वव्यापी आतंकवादी घोषित किया और संयुक्त राष्ट्र संघ की मदद से उसके ऑपरेशन को रोकने के लिए विश्व भर में उसकी धन संपत्ति पर पाबंदी लगाने का प्रयास किया। अमेरिकी प्रशासन ने दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों के ऊपर कई पाबंदियाँ लगाई हैं, खुफिया एजेंसियों ने भारत के अन्य आतंकवादी हमलों, जिसमें नवंबर, 2008 का मुम्बई हमला भी शामिल है, में भी इसके शामिल होने की ओर इशारा किया है।
वर्तमान में इस दल का मुख्य धंधा जबरन धन वसूली, सुपारी पर हत्या, फिल्म बनाने में निवेश, मैच फिक्सिंग, मादक पदार्थों की तस्करी, स्वर्ण तथा कंप्यूटर पार्ट्स की तस्करी और गोला बारूद का अवैध व्यापार है। दाऊद इब्राहिम का दल अपराधियों तथा आतंकवादियों को हथियार देता आ रहा है।
  ♦ मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के बीच संबंध
अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आतंकवादी संगठन अब देश के अंदर सम्मान अर्जित करने पर तथा अंतर्राष्ट्रीय स्वीकृति पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। इसी क्रम में ये आतंकवादी संगठन धीरे-धीरे दृष्टिगत अवैध व्यापार से दूर होकर वैध व्यापार, जैसे- शेयर मार्केट में निवेश, कैपिटल मार्केट, आई. पी. एल. मैच फिक्सिंग आदि में उतर रहे हैं। खासकर संगठित अपराध के मामले में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नेटवर्क बनाकर अपने एजेंडे की प्राप्ति के लिए अब आतंकवादी संगठन वर्तमान कानूनों का फायदा ले रहे हैं। अधिकांश देशों में व्यापार के द्वारा अथवा चैरिटी द्वारा बनाए गए धन को अपराध नहीं माना जाता । अवैध धन के अधिकांश भाग का पता तेजी से बढ़ते मादक पदार्थों के विदेशी तस्करी नेटवर्क से लगाया जाता है, परंतु कानून प्रवर्तन विभागों के लिए अवैध-वैध धन (ऐसा धन जो अपराधिक कार्यकलाप या मनी लॉन्ड्रिंग द्वारा अर्जित किया जाता है) की तुलना में वैध धन (ऐसा धन जो वैध स्थानांतरण द्वारा अर्जित है) का पता लगाना ज्यादा कठिन होता है। वैध धन में कोई अवैध आयाम नहीं होता। सरकार के द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने हेतु अनेक प्रयासों के बाद आतंकवादी संगठनों के लिए आपराधिक गतिविधि से धन इकट्ठा करना कठिन हो गया है। हाल के संयुक्त राष्ट्र का आतंकवाद को आर्थिक सहायता देने से रोकना एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध पर नए अनुबंधों के निर्णय से मनी लॉन्डिंग का कार्यकलाप और भी कठिन हो जाएगा।
पुलिस द्वारा की जा रही अनुसरण की कार्रवाई से बचने के लिए आतंकवादी संगठन अब स्वच्छ धन स्रोत का विकास कर रहे हैं। तद्नुसार भविष्य में कुली- कबाड़ी ‘अवैध-वैध धन मार्ग’ को अपनाएंगे और विशिष्ट दल ‘वैध-अवैध’ धन मार्ग’ का अनुसरण करेंगे। संगठित अपराध की दुनिया में उभरती तस्वीर यह बताती है कि राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच रखने वाले अधिकांश दल अवैध व्यापार, जैसे- नारकोटिक्स तस्करी, अपहरण और जबरन धन वसूली आदि में लिप्त हैं। दूसरी तरफ, अंतर्राष्ट्रीय पहुंच रखने वालों में अधिकांश दल वैध/अर्ध-वैध व्यापार, जैसे- माल बनाना, नकली सीडी / वीडियो तैयार करने में शामिल हैं।
♦ आतंकवाद और मादक पदार्थ तस्करी के बीच संबंध
गोल्डन क्रिसैंट (अफगानिस्तान, ईरान और पाकिस्तान) तथा गोल्डन ट्रैएंगल (म्यांमार, लाओस तथा थाईलैंड) से प्राप्त हेरोइन को एशिया पेसीफिक में संचारित किया जाता है, जो यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका भेजने का मुख्य मार्ग है।
इस क्षेत्र में मादक पदार्थों की बढ़ती खपत के कारण क्षेत्रीय असुरक्षा भी बढ़ी है, क्योंकि इसका कारण आतंकवाद और संगठित अपराध के गठजोड़ को माना जाता है। जहां संगठित आपराधिक दल जिसका संबंध आतंकवादी संगठन से है प्राय: नारकोटिक्स वितरण पर नियंत्रण रखते हैं। दूसरी तरफ, कई आतंकवादी एवं गोरिल्ला संगठन ऐसे क्षेत्रों पर नियंत्रण रखते हैं जहां पर मादक पदार्थों की खेती एवं शोधित किया जाता है। भूतपूर्व तालीबान अफगानिस्तान के ऐसे भागों पर नियंत्रण रखते थे जहां पर हेरोइन की खेती होती है। वे अफीम उपजाने वालों तथा ट्रांसपोर्टरों पर कर लगाते थे। इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र के स्वास्थ्य, आर्थिक तथा कानून व्यवस्था पर मादक पदार्थों के व्यापार से खतरा बढ़ा है।
आतंकवाद तथा संगठित अपराध तंत्रों, खासकर ऐसे संगठन जिनका फैलाव कई देशों में है, के लिए नारकोटिक्स तस्करी एक बड़ी आय का साधन है। जहां म्यांमार के सशस्त्र जनजातीय दल, म्यांमार से बाहर जाने वाले मादक पदार्थों पर नियंत्रण रखते हैं वहीं सशस्त्र इस्लामिक दल अफगानिस्तान से बाहर जाने वाले मादक पदार्थ के संगठित नेटवर्क पर कर लगाते हैं और नियंत्रण रखते हैं। 1990 के मध्य से संगठित अपराध, जो सुदूर-पूर्व एवं दक्षिण-पूर्व एशिया में पहले से व्याप्त है, ने दक्षिण एशिया के अन्य शहरों में भी अपने पांव पसारने आरंभ कर दिए हैं। जापान, हांगकांग तथा पीआरसी के संगठित अपराध तंत्रों ने पश्चिम के देशों में भी घुसपैठ की है। दक्षिण एशिया में बढ़ती बाजारीय में अर्थव्यवस्था की संस्कृति के कारण यह उम्मीद की जाती है कि यहां संगठित अपराध की जड़ें और मजबूत होंगी।
♦  उग्रवाद और संगठित अपराध के संबंध का भविष्य और इसे कैसे तोड़ा जाए?
आतंकवादियों को राष्ट्र प्रायोजकों से सहायता बंद होने के कारण आतंकवादी संगठनों को हथियार एवं नारकोटिक्स तस्करी छोड़कर अब अपने लिए वित्तीय सहायता के नए रास्ते खोजने होंगे।
निकट भविष्य में आतंवादियों की वित्तीय क्षमता और संगठन को बचाने हेतु संगठित अपराध के ऊपर निर्भरता बढ़ जाएगी। संगठन के तौर पर आतंकवादी संगठन संगठित अपराधी दलों का आईना होगें। आतंकवादी संगठन धन उपार्जन के लिए नई संभावनाओं की तलाश में तेजी से कार्य करेंगे। उपलब्ध वित्तीय संभावनाओं के ऊपर निर्भर होने के कारण राजस्व पैदा करने के लिए इनके स्रोत एवं तरीके एक-दूसरे से भिन्न होगा। राज्य प्रायोजकों से वंचित होने के बाद आतंकवादी संगठन या तो ठोस संगठित अपराध उपकरण विकसित करेंगे या संगठित अपराधी दलों के साथ मिलकर काम करेंगे। एक तरफ आतंकवादी संगठनों का अधिकांश भाग अपने राजनीतिक अस्तित्व को कायम रखेगा दूसरी तरफ कुछ आतंकी संगठनों की शुद्ध अपराधी दल में परिवर्तित कर लेने की आशंका बढ़ जाएगी।
इसलिए अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के साथ प्रभावशाली रूप से लड़ने के लिए राष्ट्र द्वारा की जा रही आतंकरोधी कार्रवाई में आतंकवाद और संगठित अपराध के बीच संबंधों पर भी समुचित ध्यान देना होगा।
इन वर्तमान एवं उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए कुछ प्रमुख संभावित कार्यवाहियाँ हैं:
♦   आतंकवादी दलों को प्रभावहीन बनाने के लिए उत्कृष्ट मिलिट्री और आसूचना निपुणता को विकसित करें। व्यक्ति विशेष को सजा देना परंतु हिंसक दलों को हिंसा करने के लिए छोड़ देने का तरीका ज्यादा कारगर नहीं है।
♦  अंतर्राज्यीय आतंकवाद के नेटवर्क को तोड़ने के लिए एकत्रित सूचनाओं को राज्यों के साथ साझा करें और आतंकवाद को प्राप्त समर्थन तंत्र को तोड़ने के लिए राज्य के साथ मिलकर संयुक्त व्यवस्था का विकास करें।
♦  आतंकवादी संगठनों को प्रारंभिक चरण में ही प्रभावी ढंग से दबाया जा सकता है। प्रभावशाली, विधिपूर्वक तथा नैतिक स्तर पर लड़ने में असफल होने पर, खासकर ऐसे संगठनों द्वारा जो धार्मिक तथा नैतिक रूप से मजबूत हैं, अंधाधुंध हिंसा होने की संभावना होती है जिससे आतंकवादियों को सहायता मिलती है। समय के साथ कोई भी संघर्ष अपनी गति प्राप्त करता है जिससे उन्हें लोकप्रिय समर्थन प्राप्त होता है। ऐसी स्थिति में मिलिट्री समाधान के साथ-साथ पर राजनीतिक समाधान पर भी विचार किया जाना चाहिए।
♦  प्रायः क्षेत्रीय स्वायत्तता दिया जाना या सत्ता में हिस्सेदारी दिया जाना सबसे प्रभावशाली रणनीति रही है, परंतु यह नीति संघर्ष के केवल प्रारम्भिक चरण में कार्य करती है। इस प्रक्रिया को नजदीक से पर्यवेक्षण करने की आवश्यकता होती है खासकर जब इस प्रक्रिया को लागू किया जा रहा हो।
♦  राजनीतिक तौर पर आतंकवादी संगठनों को अलग-थलग करने तथा इन्हें मिल रहे समर्थन और भर्ती को रोकने के लिए राजनीतिक-मिलिट्री तरीका अपनाना, तथा साथ-ही-साथ इन्हें मुख्य धारा में शामिल करने के लिए मिलिट्री दबाव के साथ राजनीतिक एवं आर्थिक सहायता प्रदान करना। प्रायः विदेशी संगठनों के साथ संबंध, राज्य प्रायोजक या विदेश में रह रहे नागरिकों का समर्थन इन्हें लड़ाई के लिए मनोबल प्रदान करता है। अतर्राष्ट्रीय नेटवर्क ऐसे दलों को सुदृढ़ बनाता है।
♦  संगठित अपराध से निपटने के लिए कठोर कानून, जैसे-टाडा, मकोका, गैंगस्टर एक्ट आदि बनाए जाने चाहिए।
♦  कुछ चुनौतियों से राज्यों द्वारा स्वयं ही निपटा जा सकता है, तो अधिकांश चुनौतियों से निपटने के लिए द्विपक्षीय या बहुपक्षीय व्यवस्था की आवश्यकता है।
♦  कई चुनौतियों को उपक्षेत्रीय स्तर पर तो अन्य को क्षेत्रीय स्तर पर निपटाया जा सकता है ।
♦  कई चुनौतियां नई हैं, कई पुरानी हैं, परंतु उन्हें नए आयाम प्राप्त हुए हैं। इसलिए पुरानी एवं उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए बहुमुखी रणनीति बनाने में सक्षम नई संस्थाएं आवश्यक है।
♦ अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र
♦  उपसंधि एवं प्रोटोकोल
यूएनसीटीओसी (UN Convention Against Transnational Organised Crime) अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र उपसंधि (संगठित अपराध उपसंधि) तथा तीन प्रोटोकॉल, जो मानव तस्करी, प्रवासी तस्करी तथा हथियार तस्करी से संबंधित है तथा इन्हें सुदृढ़ बनाते हैं, का संरक्षक है।
यह एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय उपसंधि है जो संगठित अपराध से संबंधित है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध के विरुद्ध लड़ाई के प्रति कटिबद्धता तथा इसे समर्थन देने हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका को दर्शाने हेतु यह एक महत्त्वपूर्ण सफलता है। वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र की आम सभा द्वारा इस उपसंधि को अपनाया जाना तथा 2003 में इसे लागू किया जाना अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का संगठित अपराध के विरुद्ध एक ऐतिहासिक कदम है।
संगठित अपराध उपसंधि राज्यों को संगठित अपराध को रोकने के लिए एवं इस कार्य में सहयोग के लिए एक आधार प्रदान करता है। इस उपसंधि पर हस्ताक्षर करने वाले राष्ट्रों ने संगठित अपराधी दलों जो मनी लॉन्ड्रिंग, भ्रष्टाचार आदि में लिप्त हैं, के खिलाफ कार्रवाई करने के प्रति अपनी कटिबद्धता दोहराई है। यूएनटीओसी के सदस्य बनने पर राष्ट्रों को परस्पर कानूनी सहायता एवं प्रत्यार्पण के लिए सहायता मिलती है, साथ ही कानून पालन को मजबूत बनाने हेतु एक आधार प्राप्त होता है। संगठित अपराध से निपटने के लिए राष्ट्रीय प्राधिकारों को मजबूत बनाने हेतु सदस्य राष्ट्रों ने प्रशिक्षण तथा तकनीकी सहयोग देने के प्रति अपने रूख को स्पष्ट किया है।
♦ मनी लॉन्ड्रिंग
गंभीर अपराध, जैसे- मादक पदार्थों की तस्करी या उग्रवादी गतिविधियों के द्वारा अधिक संख्या में पैदा किए गए धन को वैध स्रोतों से कमाए गए धन की पहचान देने की प्रक्रिया को मनी लॉन्ड्रिंग कहते है। संक्षेप में ‘काले धन’ को ‘सफेद धन’ में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को मनी लॉन्ड्रिंग कहते हैं।
मादक पदार्थ की तस्करी और आतंकवादी गतिविधियों की सफलता में मनी लॉन्ड्रिंग एक महत्त्वपूर्ण चरण है। मनी लॉन्ड्रिंग तथा आतंकवाद के बीच का संबंध कुछ पेचीदा है, परंतु आतंकवादी संगठनों के स्वरूप को बनाए रखने में मनी लॉन्ड्रिंग की अहम भूमिका है। अधिकांश व्यक्ति, जो वित्तीय रूप से आतंकवादी संगठनों को सहायता करते हैं। सामान्य व्यक्तिगत बैंक चेक काट कर आतंकवादी संगठनों को नहीं देते हैं। वे दिए जाने वाले धन को एक घुमावदार रास्ते में डाल देते हैं जो बिना दाताओं की पहचान बताए आतंकवादियों के पास पहुंच जाता है। दूसरी तरफ आतंकवादी भी हथियार या हवाई जहाज खरीदने के लिए और षडयंत्र की रचना करते हैं। वे साधारणतयाः मनी लॉन्ड्रिंग का मार्ग अपनाते हैं जिससे सरकारी एजेंसियाँ उनके रास्तों का अनुसरण न कर सके और उनके सुनियोजित हमलों को असफल न बना सके। मनी लॉन्ड्रिंग प्रक्रिया को बंद करने से आतंकवादी संगठनों के आमदनी के स्रोतों को बंद किया जा सकता है।
♦  मूलत: मनी लॉन्ड्रिंग के तीन चरण है:
♦  नियोजन (Placement): इस चरण में मनी लॉन्ड्रिंग करने वाला अशुद्ध धन को वैध वित्तीय संस्थानों में डाल देता है। यह प्राय: कैश बैंक डिपॉजिट के रूप में होता है। यह मनी लॉन्ड्रिंग प्रक्रिया का सबसे खतरनाक चरण है, क्योंकि नकद राशि की अत्यधिक मात्रा सबका ध्यान आकर्षित करती है और बैंकों को भी इस प्रकार के उच्च स्तर के लेन-देन के संबंध में जानकारी देनी पड़ती है।
♦  परतीकरण (Layering): इस प्रक्रिया में धन को विभिन्न वित्तीय लेन-देन के द्वारा भेजा जाता है जिससे स्रोतों का अनुसरण करना कठिन होता है। इसमें कई बैंकों के बीच स्थानांतरण होता है, विभिन्न खाते एवं विभिन्न देशों के विभिन्न नामों के बीच ऑन-लाइन ट्रांसफर होता है, जिससे विभिन्न खातों में / से जमा या निकासी की मात्रा भिन्न होती है, मुद्राओं में परिवर्तन किया जाता है तथा धन की पहचान में परिवर्तन लाने हेतु अत्यधिक कीमती वस्तु, जैसे- पानी का जहाज, घर, गाड़ी, हीरे इत्यादि खरीदे जाते हैं। यह मनी लॉन्ड्रिंग प्रक्रिया का सबसे जटिल चरण है जिसमें मौलिक काले धन को अनुसरण के लिए कठिन बना देना इसका उद्देश्य है।
♦  एकीकरण (Integration): इस चरण में धन दृष्टिगत वैध तरीके से आर्थिक व्यवस्था की मुख्य धारा में शामिल हो जाता है। इसमें लेन-देन की सभी प्रक्रियाएं वैध दिखाई पड़ती है। यह स्थानीय व्यापार के खाते में एक अंतिम बैंक स्थानांतरण के रूप में हो सकता है जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग करने वाला लाभ में कटौती के बदले वह निवेश करता है। इस अवस्था में अपराधी इस धन का उपयोग बिना पकड़े हुए कर सकते हैं। यदि पूर्व के चरणों में किसी प्रकार कागजाती सबूत उपलब्ध नहीं है तो एकीकरण के चरण में मनी लॉन्ड्रिंग करने वालों को पकड़ना अत्यधिक कठिन होता है।
♦  राउंड ट्रिपिंग: यह एक नया और मुख्य मार्ग है, जिसके जरिये काला धन सफेद हो कर (मनी लाड्रिंग) भारत में आता है। इस प्रक्रिया में भारत में कमाया और अर्जित किया गया धन टैक्स हैवन (करों के स्वर्ग कहे जाने वाले) देशों में हस्तांतरित किया जाता है। करों का स्वर्ग देश उन्हें कहा जाता है, जिनके यहां कॉरपोरेट कानून बेहद लचर होते हैं और करों की दरें बहुत कम होती हैं। फिर काले धन के जरिये उन टैक्स हैवन देशों में एक कम्पनी खोल ली जाती है। इस माध्यम से यह काला धन सफेद दिखाया जाता है और भारत में ‘विदेशी निवेश’ के नाम पर वापस भेज दिया जाता है। इस निवेश के जरिये भारत में अर्जित होने वाला मुनाफा बिना कोई कर चुकाये वापस उन्हीं टैक्स हैवन देशों में भेज दिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि ऐसे निवेश को ‘दोहरे कराधान से बचाव समझौता’ के अंतर्गत करों से छूट मिली हुई है। अवैध धन को वैध बनाने की (मनी लांड्रिंग) की यह विधि कैपिटल/स्टॉक मार्केट के कायदे-कानून की खामियों का फायदा उठाती है और सहभागी नोट्स (पार्टिसिपेटरी नोट्स) के माध्यम से अपना निवेश करती है। प्रचलित भाषा में पार्टिसिपेटरी नोट को पी-नोट कहा जाता है। (ये निवेश के ऐसे वित्तीय इंस्ट्रूमेंट्स हैं, जिन्हें बाजार नियामक सेबी के पास रजिर्स्टड एफआईआई उन विदेशी निवेशकों को जारी करते हैं, जो भारतीय शेयर बाजार में बिना पंजीकरण कराए निवेश करना चाहते हैं। भारत स्थित ये ब्रोकरेज घरेलू शेयर बाजार में इक्विटी खरीदते हैं और उनके बदले विदेशी निवेशकों को पी-नोट जारी करते हैं। जिन इक्विटी शेयरों के बदले पी-नोट जारी होते हैं, उनमें मिलने वाला लाभांश या पूंजीगत लाभ भी विदेशी निवेशकों के हिस्से में जाता है।) प्रांजय गुहा ठाकुरता ने एक डॉक्यूमेंट्री ‘ए थिन डिवाइडिंग लाइन’ के माध्यम से मनी लांड्रिंग के इस नये तरीके का पर्दाफाश किया है।
♦ मनी लॉन्ड्रिंग के प्रभाव
प्रत्येक वर्ष अपराधी विश्व स्तर पर 500 अरब से 1,000 अरब डालर के बीच में मनी लॉन्ड्रिंग करते हैं जिसका सामाजिक, आर्थिक और सुरक्षा की दृष्टिकोण से विश्व स्तर पर प्रभाव चौकाने वाला है।
♦  समाजिक प्रभावः सामाजिक, सांस्कृतिक पहलुओं के दृष्टिकोण से सफल मनी लॉन्ड्रिंग यह इंगित करता है कि अपराधिक गतिविधियों में काफी फायदे हैं। इसकी सफलता अपराधियों को इस अवैध काम में बने रहने के लिए प्रोत्साहित करता है, क्योंकि ये बिना किसी प्रतिफल के इस प्रक्रिया से प्राप्त लाभों को भोगते हैं। इसका अर्थ है और ज्यादा धोखाधड़ी, अधिक कॉरपोरेट गड़बड़ी (कॉर्पोरेशन के असफल होने पर अधिक कामगारों को पेंशन की हानि), गलियों में मादक पदार्थों की अधिक उपलब्धता, अधिक मादक पदार्थ संबंधी अपराध, कानून व्यवस्था कायम करने वाले स्रोतों का क्षमता से अधिक विस्तार और वैध व्यापारी लोगों में मनोबल का अभाव होना। जो कानून न तोड़कर जल्द लाभ कमाने का प्रयास नहीं करते हैं जैसा कि ये अपराधी लोग करते हैं ।
♦  आर्थिक प्रभावः इस प्रक्रिया के आर्थिक दुष्प्रभाव अत्यधिक खतरनाक हैं। विकसित देशों को प्रायः आधुनिक मनी लॉन्ड्रिंग का खामियाजा भुगतना पड़ता है, क्योंकि ये देश अभी भी अपने नए निजी वित्तीय सेक्टरों को नियमित करने का प्रयास कर रहे हैं। यह उन्हें सबसे बड़ा लक्ष्य बना देता है। विश्व की आर्थिक व्यवस्था के सामने दूसरी चुनौती बनावटी स्फीतिकारी वित्तीय सेक्टर से जन्मी गलत आर्थिक नीति है। आर्थिक व्यवस्था के खास क्षेत्र में अशुद्ध नकद राशि, जो मनी लॉन्ड्रिंग करने वालों को लक्षित है, का बड़ी भारी संख्या में प्रवेश एक झूठी मांग की स्थिति पैदा करता है और सरकारी तंत्र इस प्रकार की मांगों से जूझने के लिए आर्थिक नीति में बदलाव करते हैं। जब मनी लॉन्ड्रिंग की प्रक्रिया एक खास स्तर पर पहुंचती है या कानून प्रवर्तन प्राधिकारी रुचि दिखाना प्रारम्भ करते हैं, यह सभी धन बिना किसी वांछनीय कारण के गायब हो जाता है और वित्तीय सेक्टर में हाहाकार मच जाता है।
स्थानीय स्तर पर इस प्रकार की कठिनाई का संबंध कर प्रणाली और लघु व्यापार प्रतियोगिता से है। मनी लॉन्ड्रिंग से प्राप्त धन पर सामान्यतया कर नहीं लगाया जाता जिसका अर्थ है कि कर राजस्व में हुए घाटे को पूरा करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त वैध लघु व्यापारी मनी लॉन्ड्रिंग के अग्रणी व्यापारों के साथ प्रतियोगिता नहीं कर सकते, क्योंकि वे अपने उत्पादों को कम दाम पर नहीं बेच सकते। यह कार्य मनी लॉन्डिंग करने वालों के लिए उपयोगी है, क्योंकि उनका लक्ष्य अपने धन को शुद्ध बनाना है, न कि लाभ कमाना। उनके पास प्राप्त धन की इतनी प्रचुरता होती है कि वे अपने उत्पाद या सेवा को लागत मूल्य से कम में भी बेच सकते हैं।
♦ व्यापार आधारित मनी लॉन्डिंग (Trade-Based Money Laundering)
फाईनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के अनुसार व्यापार आधारित मनी लॉन्ड्रिंग (टीबीएमएल) की परिभाषा एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में है जिसमें अपराध से प्राप्त धन और व्यापार में की गई लेन-देन के अवैध स्रोतों को छुपाकर इसे वैधता देने का प्रयास किया जाता है। आसान शब्दों में, टीबीएमएल एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यापारिक लेन-देन के द्वारा धन का स्थानांतरण किया जाता है। वास्तव में यह कार्य मूल्य, संख्या या आयात निर्यात की गुणवत्ता को गलत बताकर किया जा सकता है।
व्यापार आधारित मनी लॉन्ड्रिंग की मूल तकनीक में निम्नलिखित पहलू शामिल हैं1.
1. वस्तु और सेवाओं का ‘अत्यधिक बीजक’ और ‘कम बीजक’: वस्तु और सेवाओं का ‘अत्यधिक बीजक’ और ‘कम बीजक’ के द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग, जो कि सीमाओं के आर-पार धोखे से मूल्यों में स्थानांतरण करने का एक पुराना तरीका है, आज भी यह अभ्यास सामान्य रूप से जारी है। इस तकनीक का मुख्य आयाम आयात एवं निर्यात के बीच अतिरिक्त मूल्यों का स्थानांतरण करने के लिए वस्तु एवं सेवाओं के मूल्यों को झूठे रूप से दर्शाया जाता है। धन का स्थानांतरण करने के लिए निर्यात का ‘अत्यधिक बीजक’ पर आधारित मनी लॉन्ड्रिंग आज भी सबसे सामान्य प्रक्रिया है। इससे यह तथ्य सामने आता है कि अधिकांश कस्टम ऐजेंसियों का प्राथमिक रूप से ध्यान स्वापक पदार्थों के आयात को रोकना और समूचित आयात कर एकत्रित करना है।
2. वस्तु और सेवाओं का आवर्ती बीजकः मनी लॉन्ड्रिंग की दूसरी तकनीक एक वित्तीय प्रक्रिया में शामिल कर लेते  ही व्यापारिक लेनदेन के लिए एक से अधिक बीजक जारी करना है। एक ही वस्तु या सेवाओं पर एक से अधिक बीजक जारी कर मनी लॉन्ड्रिंग करने वाला या आतंकवादी इस बात को तर्कसंगत बनाने में सफल हो जाता है कि उसने एक ही वस्तु या सेवा के उपयोग पर बहुआयामी भुगतान किया है। इस संदर्भ में इस बात को याद रखना आवश्यक है कि सामान्य व्यापारिक बीजक में आयातक या निर्यातक को वस्तु या सेवा के मूल्यों को असत्य रूप से बताना आवश्यक नहीं होता है जो कि ‘अत्यधिक बीजक’ और ‘कम बीजक’ में सामान्य है।
3. वस्तु और सेवाओं का अधिक नौभार ( Shipment) और कम नौभारः आयात एवं निर्यात मूल्यों में परिवर्तन करने के अतिरिक्त मनी लॉन्ड्रिंग करने वाला वस्तुओं की संख्या या सेवाओं के मूल्यों को बढ़ा या कम कर सकता है। इस प्रकार के अतिवाद मामले में एक निर्यातक कोई भी सामान को भेजे बगैर आयातक के साथ सांठ-गांठ कर यह सुनिश्चित कर सकता है कि ‘भूत नौभार’ से संबंधित नौभार और कस्टम कागजातों को सामान्य प्रक्रिया से गुजारा जाए। कई बार बैंक तथा अन्य वित्तीय संस्थान इस प्रकार की भूत नौभार को अनजाने में भी व्यापारिक हैं।
4. वस्तु और सेवाओं का असत्य विवरणः आयात एवं निर्यात मूल्यों में हेरफेर करने के अतिरिक्त मनी लॉन्ड्रिंग करने वाला वस्तु या सेवा के प्रकार और गुणवत्ता संबंधी जानकारी को भी असत्य रूप से दे सकता है। उदाहरण के लिए एक निर्यातक तुलनात्मक रूप से सस्ता सामान भेजकर महंगे सामान या पूर्णतः भिन्न सामान के कागजात तैयार कर सकता है। इस प्रक्रिया में वास्तविक रूप से भेजे गए सामान और नौभार द्वारा भेजे गए कागजातों में दिए गए विवरण के बीच विभिन्न अंतर पैदा होते हैं। इस प्रकार के असत्य विवरणों को अन्य व्यापारिक सेवाओं, जैसेवित्तीय सलाह, कंसल्टिंग सेवाएं और मार्केट रिसर्च में भी उपयोग किया जाता है। सामान्य तौर पर ‘अत्यधिक बीजक’ और ‘कम बीजक’ का उद्देश्य व्यापारिक लेनदेन तथा नौभार में कर का फायदा लेना है।
  ♦  मनी लॉड्रिंग रोक अधिनियम (पीएमएलए) ( Prevention of Money Laundering Act)
पीएमएलए एक आपराधिक कानून है जो 01-07-2005 से लागू है। इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित अनुसूचित अपराधों के लिए सजा का प्रावधान है। पीएमएलए के अंतर्गत 28 विभिन्न नियमों के अंतर्गत 156 अपराध हैं जिन्हें अनूसूचित अपराध माना गया है। जब कभी संबंधित ऐजेंसी किसी अनुसूचित अपराध का मामला दर्ज करती है तो प्रवर्तन निदेशालय पीएमएलए के अंदर उपरोक्त अपराध से पैदा किए गए धन का पता करने के लिए एक जांच करता है। ऐसे मामले जिसमें प्रथम दृष्टया अपराध या मनी लॉन्ड्रिंग द्वारा धन पैदा किया गया है तो ऐसे मामले में पीएमएलए के अंतर्गत लॉन्ड्रिंग करने वाले की संपत्ति को जब्त या संलग्न किया जा सकता है। पीएमएलए के अंतर्गत जब्त और संलग्न की कार्रवाई को निर्णायक प्राधिकारी द्वारा देखा जाना चाहिए।
ऐसा व्यक्ति, प्राकृतिक या वैध, जिसके खिलाफ अनुसूचित अपराध से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध स्थापित होता है, के खिलाफ विशेष न्यायालय में कार्रवाई की जा सकती है। पीएमएलए के प्रावधानों के अनुसार मनी लॉन्ड्रिंग अपराध के दोषी व्यक्तियों को तीन वर्ष का कारावास, जिसे 7 साल तक बढ़ाया जा सकता है और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है। स्वापक तस्करी से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में दोषी व्यक्तियों के खिलाफ 10 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है। पीएमएलए के अंतर्गत संलग्न संपत्ति को अनुसूचित अपराध के लिए न्यायालय द्वारा दोषी पाए जाने पर अधिग्रहण किया जा सकता है।
पीएमएलए के अनुसार इस प्रकार के अवैध धन, यदि विदेशों में रखा हुआ पाया जाता है तो विदेशी प्रशासनों के अनुरोध पत्र के द्वारा साक्ष्य एकत्रित करने के पश्चात् पारस्परिक विधि सहायता के द्वारा वापस देश में लाया जा सकता है। पीएमएलए के अंतर्गत अनुबंधित राष्ट्रों के साथ पारस्परिक व्यवस्था के लिए बाहर रखे गए धन की जब्ती, संलग्नता और अधिग्रहण का प्रावधान है। भारत ने 26 देशों के साथ पारस्परिक विधिक सहायता समझौता (एमएलएटी-Mutual Legal Assistance Treaty) किया है और पीएमएलए के प्रावधानों के अनुसार मनी लॉन्ड्रिंग करने वाले व्यक्ति का दोषी पाए जाने के पश्चात् उसकी अवैध संपत्ति को वापस देश में लाने के लिए भारत सरकार पूरी तरह समर्थ है। जब तक किसी व्यक्ति को न्यायालय द्वारा दोषी नहीं  पाया जाता तब तक विदेशों में पाई गई उसकी संपत्ति को विदेश के न्यायालय द्वारा जब्त करने हेतु अनुरोध नहीं किया जा सकता है।
पीएमएलए की धारा-12 के अनुसार वित्तीय संगठन (बैंकिंग संस्थान, वित्तीय संस्थान और बिचौलियों) को अपने ग्राहकों की पहचान की जांच करने कागजातों का रखरखाव करने और संदेहपूर्ण लेन-देन को वित्तीय आसूचना यूनिट-भारत (Financial Intelligence Unit-India) को खबर देने का प्रावधान है। निदेशक, वित्तीय आसूचना यूनिट भारत को धारा-12 का उल्लंघन पाए जाने पर जांच करने और वित्तीय संगठन के ऊपर जुर्माना लगाने का अधिकार है। पीएमएलए के अंतर्गत वित्तीय आसूचना यूनिट भारत प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण करता है और उपयुक्त मामले में संबंधित आसूचना/प्रवर्तन एजेंसियों, जिनमें सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स, सेंट्रल बोर्ड ऑफ अक्साईज एण्ड कस्टम, प्रवर्तन निदेशालय, स्वापक नियंत्रण ब्यूरो, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, आसूचना एजेंसी तथा वित्तीय सेक्टर के रेगुलेटर आदि शामिल हैं, को सूचित करता है।
दोनों अधिनियम, फेमा और पीएमएलए के प्रावधानों में यह विशेषता है कि किसी खास व्यक्ति के खिलाफ जांच की जा सकती है और इस प्रकार की कार्रवाई विशेष सूचना की प्राप्ति के आधार पर की जाती है।
♦ काला धन
जैसे- काला काले धन की कोई एक सर्वमान्य परिभाषा नहीं है। इसके लिए कई पर्यायवाची शब्द, धन, काली आय, अशुद्ध धन, काली संपत्ति, भूमिगत संपत्ति, काली आर्थिक व्यवस्था, समानांतर अर्थ व्यवस्था, छाया आर्थिक व्यवस्था, भूमिगत या गैर-औपचारिक व्यवस्था आदि उपयोग किए जाते हैं। यदि कोई भी धन अपनी उत्पत्ति, स्थानांतरण या उपयोग में किसी कानून का उल्लंघन करता है और जिसे कर के लिए छुपाया जाता है, ऐसे सभी धन काले धन के रूप में शामिल होते हैं। इस शब्द के विस्तृत अर्थ के अंतर्गत ऐसा धन आता है जो भ्रष्टाचार और अन्य अवैध रास्तों, जैसे-मादक पदार्थ तस्करी, नकली नोट, तस्करी, हथियार तस्करी इत्यादि के द्वारा कमाया जाता है। इसके अंतर्गत व्यापार आधारित ऐसे वैध वस्तु और सेवाएं भी आती हैं जिन्हें निम्नलिखित कारणों से सरकारी प्राधिकारी से छुपाया जाता है –
♦  कर (आयकर, आबकारी ड्यूटी, बिक्री कर, स्टाम्प ड्यूटी आदि) भुगतान से बचने के लिए।
♦ अन्य संवैधानिक अंशदानों से बचने के लिए।
♦  न्यूनतम मजदूरी, कार्य घंटे और सुरक्षा मापदंडों से बचने के लिए।
♦  विधि एवं प्रशासनिक प्रक्रियाओं का अनुपालन नहीं करने के लिए ।
काले धन के तीन स्रोत हैं – अपराध, भ्रष्टाचार और व्यापार | काले धन के आपराधिक पहलू के अंतर्गत सामान्य तौर पर ऐसा धन आता है जिसे कई प्रकार की गतिविधियों द्वारा कमाया जाता है। इसमें धोखाधड़ी, जाली नोट एवं नकली सामान की तस्करी, ठगी, जमानती धोखाधड़ी, गबन, यौन उत्पीड़न एवं वैश्यावृति, मादक पदार्थ से प्राप्त धन, बैंक धोखाधड़ी और हथियारों का अवैध व्यापार शामिल है। इस प्रकार के धन का भ्रष्ट पहलू का सीधा संबंध सरकारी कार्यालयों में घूसखोरी और चोरी से है, जैसे कि व्यापार आवंटित करना, घूस देकर भूमि उपयोग बदलना या अवैध निर्माण को नियमित करना, सरकारी सामाजिक खर्च कार्यक्रमों से चोरी करना, सरकारी प्रक्रिया तेज करने या प्रक्रिया तोड़ने-मरोड़ने के लिए पैसा देना, नियंत्रित मूल्य वाली सेवाओं में काला बाजारी करना आदि ।
♦ काले धन की बरामदगी
भारतीय नागरिकों द्वारा विदेश में बैंक खाता खोलने के लिए तथा प्राधिकृत माध्यमों से देश के अंदर या बाहर धन भेजने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा नियंत्रित एक वैध प्रक्रिया है।
अवैध रूप से बनाए गए धन को देश के बाहर स्थानांतरित करने के प्रयास और इस प्रकार की अवैध संपत्ति को संलग्न करने या वापस भारत में लाने से संबंधित और दोषियों को सजा देने के लिए निम्नलिखित कानूनी प्रावधान हैं
♦  पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के अंतर्गत अनुसूचित अपराधों के द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग करने वाले की संपत्ति को जब्त या संलग्न किया जा सकता है और मनी लॉन्ड्रिंग करने वाले या अन्य वैध इकाइयों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। पीएमएलए के प्रावधानों के अनुसार मनी लॉन्ड्रिंग अपराध के दोषी व्यक्तियों को तीन वर्ष का कारावास, जिसे 7 साल तक बढ़ाया जा सकता है और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है और देश से बाहर रखे गए अवैध धन को पारस्परिक कानूनी सहायता, समझौते के अंतर्गत वापस लाया जा सकता है। भारत का 26 राष्ट्रों के साथ इस प्रकार का समझौता है।
♦  फेमा के अंतर्गत भारतीय नागरिकों द्वारा विदेशी मुद्राओं में अवैध कार्य से संबंधित मामलों में कानूनी कार्रवाई की जा सकती है और संबंधित धन का अधिकतम तीन गुणा दंड के रूप में लगाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त देश से बाहर रखे गए धन को जब्त करने और उसे वापस लाने का अधिकार भी फेमा के अंतर्गत प्राप्त है।
♦  फेमा और पीएमएलए के अंतर्गत किसी विशेष सूचना की प्राप्ति पर किसी भी व्यक्ति विशेष, के खिलाफ जांच शुरू की जा सकती है।
♦  सीआरपीसी की धारा 105ए के अनुसार अपराध के द्वारा पैदा किए गए धन को संलग्न या जब्त करने के लिए पारस्परिक व्यवस्था उपलब्ध है। ऐसे मामले में आए धन देश से बाहर रखा गया है और संबंधित राष्ट्र के साथ भारत सरकार का समझौता विद्यमान है, तो उस देश के न्यायालय / प्राधिकार को धन जब्त करने हेतु आदेश देने के लिए अनुरोध किया जा सकता है।
♦  आयकर अधिनियम के अंतर्गत भी ऐसी आय जो कर को बचाने के लिए छिपाई जाती है उसके ऊपर कानूनी कार्यवाही के साथ-साथ दंड और ब्याज लगाने का प्रावधान है।
♦  काले धन से निपटने के लिए रणनीति
काले धन से निपटने की रणनीति में सम्मिलित हैं:
♦  काले धन को सृजन के समय ही रोकना।
♦  काले धन के उपयोग को हतोत्साहित करना ।
♦  काले धन का प्रभावशाली ढंग से पता लगाना।
♦  प्रभावशाली जांच और कानूनी कार्रवाई करना ।
♦ बड़े मूल्य के नोटों के उपयोग को नियंत्रित करना
♦  काला धन पर एसआईटी की सिफारिशें
सर्वोच्च न्यायालय ने काले धन पर अंकुश लगाने के लिए 2014 में एक एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी (पांचवीं) की काले धन पर निम्नलिखित सिफारिशें दीं
1. 3,00,000 लाख रुपये से ज्यादा विनिमय को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए। इस कानून में यह विशेष प्रावधान होना चाहिए कि तीन लाख से ज्यादा की नकद राशि का विनिमय अवैध, अमान्य और कानून के मुताबिक दंडनीय होगा।
2.  किसी भी बैंक से 3,00,000 लाख रुपये से अधिक नकदी की निकासी करने पर सम्बद्ध बैंक को इसे एक संदिग्ध गतिविधि मानना चाहिए और इसकी रिपोर्ट एफआईयू तथा आय कर विभाग में करनी चाहिए ।
3. नकदी रखने की अधिकतम सीमा 10 लाख से लेकर 15 लाख रुपये तक तय की जा सकती है।
4. कोऑपरेटिव बैंक समेत सभी बैंकों को यह निर्देशित किया जा सकता है कि वह 3,00,000 लाख से ज्यादा की आमदनी होने या इतनी रकम की निकासी की सूचना आयकर विभाग के महानिदेशक, राज्य के अधिकारी और एफआईयू को दे।
5. काले धन (अघोषित विदेशी आय और परिसंपत्ति) को रोकने के लिए उचित कदम उठाये जा सकते हैं। इसके लिए कर अधिनियम 2015 के प्रावधान को लागू करना चाहिए, जिसके तहत अघोषित विदेशी आय और परिसंपत्ति को भारतीय संघ में निहित कर दिया जाएगा।
6. विदेश में किसी रकम का निवेश करने या कोई परिसंपत्ति खरीदने के पहले, करदाता को संबंधित राज्य में आय कर विभाग के क्षेत्रीय आयुक्त को अवश्य ही सूचित करना चाहिए।
भविष्य में काले धन से जुड़े किसी मामले की के लिए सर्वोच्च न्यायालय एसआईटी का गठन कर सकता है और एसआईटी से काले धन की रोकथाम के लिए सुझाव मांगा जाएगा।
♦ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम ( मकोका) – 1999
महाराष्ट्र में वर्ष 1999 में संगठित अपराध और आतंकवाद की समस्याओं से निपटने के लिए महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम ( मकोका) – 1999 बनाया गया था। इस अधिनियम की प्रस्तावना के अनुसार ‘वर्तमान कानूनी ढांचा जिसमें दंड संबंधी एवं प्रक्रियात्मक विधि और न्याय व्यवस्था शामिल है, संगठित अपराध को नियंत्रित करने में अपर्याप्त है।’ इसलिए राज्य सरकार ने एक सख्त और हतोत्साहित करने वाले प्रावधानों के साथ एक विशेष कानून बनाने का निर्णय लिया है जिसमें खास परिस्थितियों के अंदर संगठित अपराध को नियंत्रित करने के लिए  बेतार, इलैक्ट्रानिक या मौखिक संवाद को भी इंटरसेप्ट (Intercept) करने का अधिकार प्राप्त होगा। अन्य सामान्य कानून के विरुद्ध इस अधिनियम के अंतर्गत वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के समक्ष की गई स्वीकारोक्ति (कंफेशन), न केवल दोषी व्यक्ति के खिलाफ बल्कि इस मामले में अन्य दोषियों के खिलाफ भी, को न्यायालय में मान्य समझा जाएगा। इस अधिनियम में 6 महीने के लिए आरोपित व्यक्ति को पूर्वापेक्षित जमानत नहीं दिया जाएगा।
मकोका उदार जमानत प्रावधानों के ऊपर प्रतिबंध लगाता है। इस अधिनियम का मूल सिद्धान्त ‘जमानत के बदले जेल । ‘ इसमें पुलिस आरोपित अपराधी के खिलाफ 180 दिन के अंदर आरोप पत्र दाखिल कर सकती है, जबकि अन्य सामान्य मामलों में यह समय सीमा 90 दिन की है। मकोका के अंदर गवाहों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए अनेक व्यवस्थाएं सुझाई गई हैं जिसमें गवाहों की पहचान और पते को गुप्त रखना और न्यायालय में गवाहों को प्रस्तुत नहीं करना आदि शामिल है।
Note: – यह नोट्स ऑनलाइन PDF फाइल से लिया गया हैं !!!!
Credit – Ashok Kumar,IPS
Credit – Vipul Anekant, DANIPS
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Sujeet Jha

Editor-in-Chief at Jaankari Rakho Web Portal

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