संघात्मक शासन-व्यवस्था के कौन-कौन प्रमुख लक्षण हैं? क्या भारत के लिए यह व्यवस्था उपयुक्त है?

संघात्मक शासन-व्यवस्था के कौन-कौन प्रमुख लक्षण हैं? क्या भारत के लिए यह व्यवस्था उपयुक्त है?

उत्तर- संघात्मक शासन-व्यवस्था के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं

(i) लिखित संविधान- लिखित संविधान संघात्मक सरकार का एक अनिवार्य लक्षण है। लिखित संविधान होने से केंद्र और राज्य सरकारों का कार्यक्षेत्र स्पष्ट किया जा सकता है।

(ii) कठोर संविधान- कठोर संविधान होने से कोई सरकार अपने हित में सरलता से संशोधन नहीं कर सकती है। संविधान में संशोधन के लिए एक विशेष प्रक्रिया अपनाई जाती है जो संघीय सरकार के हित में हैं।

(iii) संविधान की सर्वोच्चता- संविधान की सर्वोच्चता से संघीय पद्धति की रक्षा होती है। कोई भी सरकार अपने को सर्वोच्च नहीं समझ सकती, क्योंकि संविधान
का उसपर अंकुश बना रहता है।

(iv) शक्तियों का विभाजन- संघीय सरकार में संविधान द्वारा ही केंद्र और सरकार के बीच शक्तियों का विभाजन कर दिया जाता है। इससे दोनों सरकारें अपने-अपने क्षेत्र में स्वतंत्रतापूर्वक कार्य करती रहती है।

(v) स्वतंत्र न्यायपालिका- संघीय सरकार में न्यायपालिका ही सांविधान का होती है। केंद्र और राज्य दानों सरकारों की संविधान के विरुद्ध कार्य करने ही होता है। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संविधानिक विवादों का अधिकार नहीं होता है। केंद्र और गल का निबटारा वही करती है।

उपर्युक्त सभी तत्त्व भारतीय संविधान में वर्तमान हैं। यहाँ भी एक लिखित. निश्चित और स्पष्ट संविधान है, जो कठोर है। संविधान में संशोधन के लिए एक विशेष प्रक्रिया है। संविधान की सर्वोच्चता मान ली गई है। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन कर दिया गया है। इसी उद्देश्य से तीन सुचियाँ बनाई गई हैं—संघ सूची, राज्य सूची एवं समवर्ती सूची। एक स्वतंत्र न्यायपालिका की भी स्थापना की गई है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय को संविधान का संरक्षक बना दिया गया है। भारत विविधताओं वाला देश है। यहाँ विभिन्न प्रदेश, भाषा और धर्म के लोग निवास करते हैं। अत: भारत के लिए संघीय शासन-व्यवस्था ही सबसे अधिक उपयुक्त है।

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