समावेश शिक्षा में आई. सी. टी. की भूमिका को समझाइये । ( राज. बी. एड. 2019, अलवर बी.एड. 2018 )

समावेश शिक्षा में आई. सी. टी. की भूमिका को समझाइये । ( राज. बी. एड. 2019, अलवर बी.एड. 2018 )

अथवा

सूचना एवं संचार तकनीकी की शिक्षा में भूमिका को स्पष्ट कीजिए । (भरतपुर बी. एड. 2019, राज. बी. एड. 2017) उत्तर–समावेश शिक्षा में आई. सी. टी. की भूमिका निम्न हैं
(1) शैक्षिक लक्ष्यों या उद्देश्यों का निर्धारण – सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी की सहायता से शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सकती है। इन उद्देश्यों को व्यावहारिक (Behavioural) शब्दावली में लिखा जा सकता है। इन उद्देश्यों को निर्धारित कर विद्यार्थियों के अपेक्षित व्यवहार में परिवर्तन कर उनकी शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है।
(2) दृश्य-श्रव्य सामग्री का चुनाव, उत्पादन और उपयोग – सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी द्वारा शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया के लिए विभिन्न प्रकार की दृश्य-श्रव्य सामग्रियों का चयन, उत्पादन और उपयोग किया जा सकता है। दृश्य-श्रव्य सामग्री के माध्यम से विद्यार्थियों को विशेष लाभ होता है। विद्यार्थी मोबाइल व कम्प्यूटर में श्रव्य सामग्री को सुरक्षित रखते हैं फिर आवश्यकता के अनुसार उसे समय पर सुन सकते हैं।
(3) प्रणाली उपागम का उपयोग – शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न उप-प्रणालियों के मूल्यांकन के लिए प्रणाली उपागम के प्रयोग में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी महत्त्वपूर्ण है। शिक्षा के क्षेत्र में ये उप-प्रणालियाँ कक्षा में कक्षा के बाहर लेकिन विद्यालय के वातावरण में ही प्रयुक्त होती हैं। इन प्रणालियों के तत्त्वों तथा उनकी कार्यपद्धति के अध्ययन में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी की प्रमुख भूमिका होती है।
(4) शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के लिए व्यूहरचनाओं और युक्तियों का चयन – सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी द्वारा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के लिए प्रयोग की जाने वाली नवीन व्यूहरचनाओं और युक्तियों का चुनाव एवं विकास बड़ी आसानी से किया जा सकता है। सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी शिक्षण प्रतिमानों का ज्ञान, विभिन्न विधियों एवं प्रविधियों का ज्ञान और उनके चुनाव करने में सहायता कर सकते हैं।
(5) सामान्य व्यवस्था, परीक्षण और अनुदेशन में उपयोग – सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का प्रयोग हम सामान्य व्यवस्था, परीक्षण और अनुदेशन के कार्य क्षेत्रों में भी करते हैं।
(6) शिक्षक प्रशिक्षण – सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके लिए शिक्षण अभ्यास प्रतिमानों की रचना, सूक्ष्म शिक्षण, अनुकरणीय शिक्षण एवं प्रणाली उपागम का उपयोग किया जाता है।
(7) शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का विश्लेषण – डॉ. एम. एस. कुलकर्णी के अनुसार, सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के कार्य क्षेत्र निम्नलिखित हैं—
(i) शिक्षण-अधिगम का विश्लेषण करना। इस प्रक्रिया में अदा से लेकर प्रदा तक सभी कार्य करने वाले तत्त्वों का विश्लेषण किया जा सकता है।
(ii) इन तत्त्वों से सम्भव कार्यों की जाँच की जा सकती है।
(iii) इन तत्त्वों की इस ढंग से व्यवस्था करना जिससे प्रभावशाली परिणाम प्राप्त हों।
(8) मशीनों और जन सम्पर्क माध्यमों का उपयोग – सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का कार्य क्षेत्र मशीनों एवं अन्य जन-सम्पर्क माध्यमों तक फैला है। सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी इन मशीनों (हार्डवेयर) उपकरणों के उपयोग के लिए कार्य करती है। इन मशीनों में रेडियो, टेलीविजन, टेपरिकॉर्डर, फिल्म प्रोजेक्टर, ओवरहेड प्रोजेक्टर, सेटेलाइट, कम्प्यूटर, इन्टरनेट आदि सम्मिलित हैं। सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी इन सभी के लिए आधार तैयार करती है।
(9) पृष्ठ-पोषण में सहायक – सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी द्वारा मूल्यांकन या पृष्ठ-पोषण विधियों का चयन, विकास तथा उनकी उपयोगिता सम्भव हो सकती है।
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