सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारणों की विवेचना करें।

सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारणों की विवेचना करें।

उत्तर ⇒ ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ गाँधीजी के नेतृत्व में 1930 ई० में शुरू किया गया सविनय अवज्ञा आंदोलन के महत्त्वपूर्ण कारण निम्नलिखित थे –

(i) साइमन कमीशन- सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में बनाया गया यह 7 सदस्यीय आयोग था जिसके सभी सदस्य अंग्रेज थे। भारत में साइमन कमीशन के विरोध का मुख्य कारण कमीशन में एक भी भारतीय को नहीं रखा जाना तथा भारत के स्वशासन के संबंध में निर्णय विदेशियों द्वारा किया जाना था।

(ii) नेहरू रिपोर्ट- कांग्रेस ने फरवरी, 1928 में दिल्ली में एक सर्वदलीय सम्मेलन का आयोजन किया। समिति ने ब्रिटिश सरकार से डोमिनियन स्टेट’ की दर्जा देने की माँग की। यद्यपि नेहरू रिपोर्ट स्वीकृत नहीं हो सका, लेकिन संप्रदायिकता की भावना उभरकर सामने आई। अतः गाँधीजी ने इससे निपटने के लिए सविनय अवज्ञा का कार्यक्रम पेश किया।

(iii) विश्वव्यापी आर्थिक मंदी- 1929-30 की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी का प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा पड़ा। भारत का निर्यात कम हो गया लेकिन अंग्रेजों ने भारत से धन का निष्कासन बंद नहीं किया। पूरे देश का वातावरण सरकार के खिलाफ था। इस प्रकार सविनय अवज्ञा आंदोलन हेतु एक उपयुक्त अवसर दिखाई पड़ा।

(iv) समाजवाद का बढ़ता प्रभाव- इस समय कांग्रेस के युवा वर्गों के बीच मार्क्सवाद एवं समाजवादी विचार तेजी से फैल रहे थे, इसकी अभिव्यक्ति कांग्रेस के अंदर वामपंथ के उदय के रूप में हुई। वामपंथी दबाव को संतुलित करने के आंदोलन के नए कार्यक्रम की आवश्यकता थी।

(v) क्रांतिकारी आंदोलनों का उभार- इस समय भारत की स्थिति विस्फोटक थी। ‘मेरठ षड्यंत्र केस’ और ‘लाहौर षड्यंत्र केस’ ने सरकार विरोधी विचारधारा को उग्र बना दिया था। बंगाल में भी क्रांतिकारी गतिविधियाँ एक बार फिर उभरी।

(vi) पूर्णस्वराज्य की माँग- दिसंबर, 1929 के कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पर्ण स्वराज्य की माँग की गयी। 26 जनवरी, 1930 को पूर्ण स्वतंत्रता दिवस मनाने की घोषणा के साथ ही पूरे देश में उत्साह की एक नई लहर जागृत हुई।

(vii) गाँधी का समझौतावादी रुख – आंदोलन प्रारंभ करने से पूर्व गाँधी ने वायसराय लार्ड इरावन के समक्ष अपनी 11 सूत्रीय माँग को रखा। परन्तु इरविन ने मांग मानना तो दूर गाँधी से मिलने से भी इनकार कर दिया। सरकार का दमन चक्र तेजी से चल रहा था। अतः बाध्य होकर गाँधीजी ने अपना आंदोलन डांडी मार्च आरम्भ करने का निश्चय किया।

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