“साहित्य में विकास प्रक्रिया उसी तरह सम्पन्न नहीं होती’, जैसे समाज में’ लेखक का आशय स्पष्ट कीजिए।

“साहित्य में विकास प्रक्रिया उसी तरह सम्पन्न नहीं होती’, जैसे समाज में’ लेखक का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :- लेखक कहते हैं कि साहित्य में विकास प्रक्रिया सामाजिक विकास-क्रम की तरह नहीं होती है। सामाजिक विकास-क्रम में पूँजीवादी सभ्यता और समाजवादी सभ्यता में तुलना की सकती है और एक-दूसरे को श्रेष्ठ एवं अधिक प्रगतिशील कहा जा सकता है। लेकिन, साहित्य के विकास में इस तरह की बात नहीं है। यह आवश्यक नहीं है कि सामन्ती समाज के कवि की अपेक्षा पूँजीवादी समाज का कवि श्रेष्ठ है। कवि अपने-अपने पूर्ववर्ती कवियों की रचनाओं का मनन करते हैं लेकिन अनुकरण नहीं करके स्वयं नई परम्पराओं को जन्म देते हैं। औद्योगिक उत्पादन और कलात्मक सौंदर्य ज्यों-का-त्यों नहीं बना रहता । अमेरिका ने एटम बम बनाया, रूस ने भी बनाया पर शेक्सपीयर के नाटकों जैसे चीज का उत्पादन दुबारा इंग्लैंड में भी नहीं हुआ। अतः साहित्य और समाज के विकास-क्रम में समानता नहीं हो सकती है।

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