स्व के साथ शान्ति पर टिप्पणी लिखिए।
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उत्तर— स्व के साथ शान्ति–मन की वह अवस्था जिसमें वह क्षोभ, दुःख आदि से रहित हो जाता है या शान्त रहता है । शान्ति केवल युद्ध और संघर्ष की अनुपस्थिति से ही परिभाषित नहीं है। यह एक गतिशील अवधारणा है जिसे सकारात्मक सन्दर्भ में समझने की आवश्यकता है। शान्ति न्याय और सामाजिक सद्भाव की उपस्थिति है। एक सतत् मानव विकास शान्ति के बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता है तथा एक समान और सतत् योजना के बिना शान्ति को प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
आधुनिकीकरण के इस दौर में प्रत्येक उम्र के लोगों में तनाव महसूस करना इन दिनों आम एक समस्या हो गयी है। लोगों की इच्छाएँ बढ़ गयी हैं और जीवन की रफ्तार तेज हो गयी है।
मन को शान्ति तभी मिल सकती है जब हम वर्तमान में जीना शुरू करेंगे, स्वयं को समझेंगे, जानेंगे, जीवन में सामंजस्य लाएँगे । शान्ति के बिना जीवन का आधार नहीं है। स्वार्थ, कायरता, अविश्वास के कारण शान्ति का पतन होता है।
जीवन में शान्ति रखने के लिए भावों क्रियाओं आदि के साथ सामंजस्य बनाए रखना आवश्यक है।
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