20 वीं शताब्दी के किसान आंदोलन का संक्षिप्त परिचय दें।

20 वीं शताब्दी के किसान आंदोलन का संक्षिप्त परिचय दें।

उत्तर ⇒ 20 वीं शताब्दी का किसान आंदोलन किसानों में एक नई जागृति ला दी। वे अपने सामाजिक-आर्थिक हितों के सुरक्षा के लिए संगठित होने लगे। यद्यपि महात्मा गाँधी ने किसानों के हित के लिए चंपारण और खेड़ा में सत्याग्रह भी किया परंतु कांग्रेस शुरू से ही किसानों की समस्याओं के प्रति उदासीन बनी रही। इसी बीच वामपंथियों का प्रभाव किसानों और श्रमिकों पर बढ़ता जा रहा था। अत: उनके प्रभाव में 20 वीं शताब्दी के दूसरे और तीसरे दशक में किसान सभाओं का गठन बिहार. बंगाल और उत्तर प्रदेश में हुआ। जहाँ जमींदारी, अत्याचार और शोषण अपनी पराकाष्ठा पर थी। 1920-21 में अवध किसान सभा का गठन किया गया। 1922-23 में मुंगेर में शाह मुहम्मद जुबेर ने किसान सभा का गठन किया। 1928 में पटना के बिहटा में स्वामी सहजानंद सरस्वती ने किसान सभा का गठन किया। 1929 में उन्हीं के नेतृत्व में सोनपर में प्रांतीय किसान सभा की स्थापना की गयी। 1936 में स्वामी सहजानंद की अध्यक्षता में लखनऊ में अखिल भारतीय किसान सभा का गठन हुआ।
अखिल भारतीय किसान सभा ने किसानों को संगठित करने एवं उनमें चेतना जगाने के लिए किसान बुलेटिन एवं किसान घोषणा पत्र जारी किया। किसानों की मुख्य मांगें जमींदारी समाप्त करने, किसानों को जमीन का मालिकाना हक देने, बेगार प्रथा समाप्त करने एवं लगान की बढ़ी दरों में कमी थी। अपनी मांगों के समर्थन में किसानों ने प्रदर्शन तथा व्यापक आंदोलन किए। सितम्बर, 1936 को पूरे देश में किसान दिवस मनाया गया। उत्तर प्रदेश, बिहार और अन्य स्थानों में किसानों की जमीन को बकाश्त जमीन में बदलने के विरुद्ध एक बड़ा आंदोलन हुआ।

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