विश्वास की अवधारणा स्पष्ट कीजिये।
विश्वास की अवधारणा स्पष्ट कीजिये।
अथवा विश्वास की अवधारणा की व्याख्या कीजिय|
उत्तर – विश्वास की अवधारणा इस प्रकार है-विश्वास को Encyclopaedia of Religion and Ethics में इस प्रकार परिभाषित किया गया है—“विश्वास आश्वासन तथा दृढ़ धारणा की मानसिक स्थिति है। यह अपनी आंतरिक अनुभूतियों के प्रति मन की वह मनोवृत्ति है, जिसमें वह अपने द्वारा निर्दिष्ट वास्तविकता को यथार्थ महत्त्व या मूल्य के रूप में स्वीकृत और समर्थित करता है।”
विश्वास को दो वर्गों में विभक्त किया गया है— (1) बिलिफ इन, (2) बिलिफ दैट। किसी मानव या ईश्वर में विश्वास को बिलिफ इन तथा किसी प्रतिज्ञप्ति में विश्वास को ‘बिलिफ देट’ कहा जाता है।
‘बिलिफ इन’ और ‘बिलिफ दैट’ में मूल अन्तर यह है कि ‘बिलिफ इन’ तर्क से परे है जबकि ‘बिलिफ दैट’ में तर्क और युक्ति का स्थान है।
विश्वास परिवर्तनशील होता है, यह बौद्धिक होता है तथा इसके पीछे तर्क और प्रमाण की खोज करना पूर्णतः मान्य है।
विश्वास को वेब्सटर शब्द कोश में स्पष्ट करते हुए कहा गया है। कि “विश्वास किसी वस्तु की सत्यता की मानसिक स्वीकृति होती है यहाँ यह आवश्यक नहीं है कि वह निरपेक्ष रूप से सत्य हो ।”
अतः यह कहा जा सकता है कि—
(1) विश्वास एक प्रकार की मानसिकता है।
(2) यह मानसिकता किसी तथ्य को स्वीकार करने की है।
(3) विश्वास की स्थिति में निरपेक्ष सत्यता जरूरी नहीं है।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
- Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Facebook पर फॉलो करे – Click Here
- Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
- Google News ज्वाइन करे – Click Here