संस्मरण के बारे में वर्णन कीजिए।

संस्मरण के बारे में वर्णन कीजिए।

उत्तर— संस्मरण (स्मृति )–भाषा शिक्षण में स्मृति का शिक्ष विधा के रूप में उपयोगी एवं सर्वमान्य महत्त्व है। चूँकि यह विधा न केवल भाषा अपितु अन्य सभी विषयों के शिक्षण हेतु शिक्षक को सहायता प्रदान करती है। कक्षा शिक्षण में स्मृति कौशल शिक्षकों के साथ-साथ विद्यार्थियों हेतु महत्त्वपूर्ण व उपयोगी है। शिक्षक अपने कक्षा-शिक्षण में अनुभवों एवं स्वयं के पूर्व ज्ञान का आदान-प्रदान स्मृति विधा के आधार पर ही कक्षा शिक्षण में करता है।
वस्तुतः स्मृति के द्वारा किसी व्यक्ति अथवा घटना का मार्मिक और साहित्योचित वर्णन करना ही संस्मरण है। संस्मरण में समय का बड़ा महत्त्व होता है। इसमें अतीत का होना अनिवार्य है, यह लेखक के निजी सम्बन्धों और अनुभवों पर आधारित होता है। एक रिक्शा चलाने वाले गरीब व्यक्ति पर संस्मरण तब तक नहीं लिखा जा सकता है, जब तक उस गरीब व्यक्ति के साथ लेखक के निजी सम्बन्ध न बन जाएँ। ऐसा इसलिए जरूरी है कि इसमें व्यक्ति या घटना के मार्मिक बिन्दुओं को होना जरूरी है। अतः तथ्यात्मक इतिवृत्तात्मक पद्धति को छोड़कर जब किसी व्यक्ति के जीवन की चारित्रिक विशेषताओं को प्रकट करने वाली रोचक घटनाओं या परिस्थितियों का वैयक्तिक सम्पर्क के आधार पर लेख-जोखा प्रस्तुत किया जाता है, तो वह संस्मरण होता है। डॉ. गोविन्द त्रिगुणायत ने संस्मरण की परिभाषा देते हुए कहा कि, “भावुक कलाकार जब अतीत की अनंत स्मृतियों में से कुछ रमणीय अनुभूतियों को अपनी कोमल कल्पना से अनुरंजित कर व्यंजनामूलक संकेत शैली में अपने व्यक्तित्व की विशेषताओं से विशिष्ट बनाकर रोचक ढंग से यथार्थ रूप में व्यक्त करता है, तब उसे संस्मरण करते हैं।”
संस्मरण के तत्त्व–संस्मरण के निम्न तत्त्व होते हैं –(1) वर्ण्य, विषय, (2) पात्र और चरित्र चित्रण, (3) परिवेश-चित्रण, (4) शैली, (5) स्मृति (6) उद्देश्य ।
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