पर्यावरण शिक्षा के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
पर्यावरण शिक्षा के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
अथवा
पर्यावरण शिक्षा के लक्ष्य तथा उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर— पर्यावरण शिक्षा के लक्ष्य (Aims of Environmental Education )—
(i) शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक और पारिस्थितिकी की परस्पर अवलम्बिता के बारे में स्पष्ट जानकारी का विकास करना और इसमें रुचि बनाये रखना।
(ii) प्रत्येक व्यक्ति को पर्यावरण संरक्षा और सुधार के लिए वांछनीय ज्ञान, मूल्य, मनोवृत्ति, वचनबद्धता और कौशल प्राप्त करने के अवसर प्रदान करना ।
(iii) पर्यावरण के प्रति व्यक्तिशः समूह और समाज सभी में नये व्यावहारिक दृष्टिकोण का निर्माण करना । विभिन्न पर्यावरण वैज्ञानिकों तथा संस्थाओं ने पर्यावरण शिक्षा के विभिन्न रूपों में उद्देश्य निर्धारित किये हैं, जो निम्नवत् हैं—
(1) स्टेप और उनके साथी – स्टेप और उनके साथियों ने सन् 1970 में पर्यावरण शिक्षा के अधोलिखित उद्देश्य निर्धारित किये—
(i) लोगों को यह अवबोध कराना कि मानव उस व्यवस्था का अभिन्न अंग है, जिसमें मानव, भौतिक एवं जैविक पर्यावरण आते हैं।
(ii) जन सामान्य में पर्यावरण के प्रति समझ उत्पन्न करना ।
(iii) मूलभूत पर्यावरणीय समस्याओं का अवबोध कराना ।
(iv) पर्यावरण के प्रति नागरिकों के उत्तरदायित्व निर्धारित करना ।
(2) विदार्त (Vidart) के अनुसार–विदार्त ने पर्यावरण के उद्देश्यों को निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया—
(अ) ज्ञानात्मक उद्देश्य (Cognitive Aims)—
(i) पर्यावरण का ज्ञान कराना।
(ii) सोचने व समस्या समाधान की क्षमता का विकास करना।
(ब) मानक उद्देश्य (Normative Aims )—
(i) पारिस्थितिक जागरूकता का विकास करना ।
(ii) पर्यावरणीय मूल्यों का निर्माण करना ।
(स) तकनीकी तथा प्रायोगिक उद्देश्य (Technical & Experimental Aims)—
(i) पर्यावरण के संवर्धन व संरक्षण के लिये सामूहिक व्यावहारिक क्रियाओं की योजनाएँ बनाना तथा उन्हें कार्यान्वित करना।
(3) यूनेस्को के अनुसार—
(i) पर्यावरण शिक्षा को औपचारिक शिक्षा के साथ सम्बद्ध किया जाना ।
(ii) करना । पर्यावरण शिक्षा को अन्त: अनुशासनात्मक प्रकृति प्रदान
(iii) समग्रता के दृष्टिकोण का विकास, जिसमें इकोलोजिकल, सामाजिक व सांस्कृतिक पक्ष सम्मिलित हों।
(iv) पर्यावरण शिक्षा को मानव जीवन से सम्बन्धित करना ।
(4) यूनेप (ENEP) के अनुसार—
(i) जागरूकता (Awareness) – पर्यावरण शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य जनसामान्य में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करना है । यह कार्य औपचारिक एवं अनौपचारिक शिक्षा का नियोजन कर सम्पन्न किया जाना चाहिए।
(ii) ज्ञान (Knowledge) – पर्यावरण शिक्षा का महत्त्वपूर्ण कार्य समाज के सभी आयु वर्ग के लोगों में पर्यावरण से सम्बन्धित ज्ञान का प्रचार व प्रसार करना है ताकि लोग पर्यावरण और मानव के सम्बन्ध को समझ सकें और पर्यावरण के संरक्षण की चिन्ता करें ।
(iii) मूल्यांकन (Evaluation) — व्यक्तियों एवं सामाजिक समूहों में पर्यावरण के मूल्यांकन की दक्षता का विकास करना ।
(iv) अभिवृत्तियों में परिवर्तन (Change in Attitude)– पर्यावरण शिक्षा द्वारा लोगों में पर्यावरण के प्रति अनुकूल अभिवृत्तियों एवं मूल्यों का विकास किया जावे। मानव की पर्यावरण के मूलभूत अवयवों – जल, वायु, वनस्पति व पशु-पक्षी जगत के प्रति दोहन व शोषण की प्रवृत्तियों के कारण ही पर्यावरण का सन्तुलन बिगड़ा है। अतः पर्यावरण शिक्षा का प्रमुख कार्य पर्यावरण के प्रति लोगों के दृष्टिकोण में परिवर्तन करना तथा निम्नांकित पर्यावरणीय मूल्यों का विकास करना है (अ) प्रेम, (ब) उदारता, (स) सहअस्तित्व (द) अहिंसा, > (प) करुणा (फ) परस्पर पूरकता, (म) समानता, (य) न्याय, |
(v) कौशलों का विकास (Development of Skills) – इसके अन्तर्गत पर्यावरण शिक्षा द्वारा लोगों में उन कौशलों का विकास किया जाना आवश्यक है, जिनके द्वारा वे पर्यावरणीय समस्याओं की पहचान कर उनको हल करने में समर्थ बन सकें।
(vi) सहभागिता (Participation) – इसके अन्तर्गत पर्यावरण शिक्षा द्वारा प्रदूषण निवारण के लिये वृक्षारोपण, सफाई कार्यक्रमों के संचालन, जनसंख्या, शिक्षा के कार्यक्रमों के नियोजन व कार्यान्वयन में समाज के सभी वर्गों के लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना है।
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