तर्क की प्रक्रिया एवं प्रकारों का उल्लेख कीजिए ।
तर्क की प्रक्रिया एवं प्रकारों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर— तर्क की प्रक्रिया (The Process of Reasoning )– तर्क या चिन्तन में निम्न पद होते हैं—
(1) समस्या का ज्ञान (Awareness of the Problem )– तर्क का आरम्भ समस्या के संज्ञान अथवा कठिनाई के महसूस करने से होता है। समस्या या कठिनाई सैद्धान्तिक या प्रायोगिक हो सकती है। जो व्यक्ति जितना अधिक समस्या के बारे में जानता होगा, उतना ही अधिक वह समस्या के हल को प्राप्त करने में सजग होगा।
(2) कठिनाई को निर्धारित तथा परिभाषित करना (Locate and Define the Problem)– यह प्रक्रिया का दूसरा पद है । जब समस्या या कठिनाई को महसूस किया जाता है तो व्यक्ति उस समस्या या कठिनाई को निर्धारित तथा परिभाषित करने का प्रयत्न करता है । तर्क प्रक्रिया का आवश्यक तत्त्व है उस समस्या की पूरी समझ 3
(3) प्रदत्तों का एकत्रीकरण (Collection of Data)– जब समस्या को स्पष्ट रूप से परिभाषित कर लिया जाता है तथा उसे अच्छी तरह समझ लिया जाता है तो प्रदत्तों के एकत्रीकरण का पद आता है।
सूचनाओं को प्रकाशित पुस्तकों तथा साहित्य के माध्यम से, माध्यम से, रेडियो-टीवी आदि के माध्यम से या निरीक्षण के माध्यम से एकत्र किया जा सकता है।
(4) कल्पना का बनाना (Formation of Hypothesis)जब सूचना को भली-भाँति व्यवस्थित कर लिया जाता है तथा उसे पूरी तरह समझ लिया जाता है तो कल्पना को बनाने की आवश्यकता होती है जिससे कि समस्या को सुलझाया जा सके।
(5) कल्पना का मूल्यांकन/जाँच (Evaluation/Verification of Hypothesis)— गेट्स आदि ने यह सुझाव दिया कि कल्पना के मूल्यांकन तथा जाँच के लिए निम्न तीन पदों का पालन करना चाहिए—
(i) व्यक्ति को यह निर्णय करना चाहिए कि क्या निष्कर्ष समस्या की माँग को पूरी तरह से संतुष्ट करता है या नहीं।
(ii) व्यक्ति को यह जानने का प्रयत्न करना चाहिए कि क्या समस्या अन्य सूचनाओं तथा सिद्धान्तों के अनुरूप है या नहीं ।
(iii) व्यक्ति को उन नकारात्मक तथ्यों को ढूँढने का प्रयत्न करना चाहिए जो निष्कर्ष पर किसी प्रकार के संदेह को व्यक्त कर सकते हों।
(6) हल को लागू करना (Applying the Solution )– अंतिम पद में निष्कर्ष या हल को समान परिस्थितियों में लागू करने का होता है।
तर्क के प्रकार (Kind of Reasoning)– तर्क को दो भागों में विभक्त किया गया है—
(1) आगमन तर्क (Inductive Reasoning)– आगमन तर्क में उपलब्ध जानकारी, तथ्यों एवं प्रमाणों से निष्कर्ष निकाले जाते हैं और उपागमों का प्रतिपादन किया जाता है। अधिकतर वैज्ञानिक खोजें एवं अधिकार आगमन प्रकृति के होते हैं। साधारण घटनाओं के आधार पर सर्वमान्य नियम बनाने का तरीका आगमन तर्क में प्रयुक्त किया जाता है। इस प्रकार आगमन तर्क एक विशिष्ट प्रकार की चिंतन प्रक्रिया जिसमें घटनाओं के प्रत्ययों का वर्गीकरण करके उनके मध्य कार्यकारण सम्बन्धों की व्याख्या की जाती है और नियमों का प्रतिपादन किया जाता है।
(2) निगमन तर्क (Deductive Reasoning)– निगमन तर्क में पहले से प्राप्त कथन के आधार पर निष्कर्ष निकाले जाते हैं । यह आगमन तर्क के विपरीत दशा है जिसमें पहले से खोजे गए ज्ञान को नयी स्थितियों में प्रयुक्त किया जाता है। इस प्रक्रिया में सार्वभौमिक ज्ञान के द्वारा किसी विशेष प्रकार की समस्या का निदान किया जाता है । हैनरी रॉडिमर के निगमन तर्क को अनुकूलित तर्क, वर्गीकृत तर्क एवं रेखोय तर्क के रूप में विभाजित किया है।
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