शिक्षा का सार्वभौमिकरण क्यों आवश्यक है ? शिक्षा के सार्वभौमिकरण के लिए किन उपायों को अपनाया जाना चाहिए?
शिक्षा का सार्वभौमिकरण क्यों आवश्यक है ? शिक्षा के सार्वभौमिकरण के लिए किन उपायों को अपनाया जाना चाहिए?
उत्तर— शिक्षा के सार्वभौमिकरण की आवश्यकता — वर्तमान समय में शिक्षा के सार्वभौमिकरण की आवश्यकता के निम्नलिखित कारण हैं—
(1) व्यक्तिगत विकास–व्यक्ति के विकास हेतु न्यूनतम एक निश्चित आयु एवं अवधि तक शिक्षा प्राप्त करना उसकी अनिवार्य आवश्यकता है क्योंकि उसकी जन्मजात मूल प्रवृत्तियों का शोधन एवं नियमन शिक्षा द्वारा ही सम्बद्ध है अन्यथा वह अपने पशुवत अनियन्त्रित स्वेच्छाचारी व्यवहार द्वारा असामाजिक प्राणी बन जाता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है— इस तथ्य में ही शिक्षा की अनिवार्यता निहित है।
(2) समाज का विकास–शिक्षित व्यक्ति ही समाज के उपयोगी सदस्य बन सकते हैं तथा समाज की प्रगति में अपना योगदान दे सकते हैं समाज के विकास हेतु व्यक्ति को न्यूनतम प्राथमिक स्तर की शिक्षा प्राप्त करना वांछनीय है ताकि वह अपने दायित्वों को समझकर समाज का एक प्रबुद्ध एवं जागरूक नागरिक बन सके।
(3) व्यावसायिक प्रगति–अपने व्यवसाय, धन्धे में कार्यकुशलता लाकर अधिक उत्पादन करने में प्राथमिक शिक्षा का योगदान कम महत्त्वपूर्ण नहीं होता। शिक्षित व्यक्ति नवीन तकनीकी व उपकरणों के प्रयोग द्वारा अपनी कार्यक्षमता में वृद्धि कर अधिक आय प्राप्त कर सकता है तथा राष्ट्र की उत्पादकता बढ़ाकर उसकी समृद्धि में सहायक होता है।
(4) साक्षरता का प्रसार–प्राथमिक शिक्षा प्राप्त व्यक्ति स्वयं तो साक्षर होता ही है। किन्तु वह अपने परिवार के बच्चों व स्थानीय समुदाय के निरक्षर प्रौढ़ों को साक्षर बनाने का प्रयास कर सकता है।
(5) राष्ट्रीय विकास–जिस प्रकार समाज के सदस्य के रूप में स्वयं के तथा समाज के विकास के लिए प्राथमिक शिक्षा आवश्यक है, उसी प्रकार राष्ट्र के नागरिक होने के नाते अपने अधिकार एवं कर्त्तव्यों को भली-भाँति समझने तथा उनके अनुकूल राष्ट्र के विकास में अपना योगदान देने हेतु उसे एक न्यूनतम अवधि की शिक्षा की अपेक्षा है।
शिक्षा के सार्वभौमिकरण हेतु आवश्यक उपाय–शिक्षा के सार्वभौमिकरण हेतु निम्नलिखित प्रकार उपाय दिये जा सकते हैं—
(1) शिक्षा के लिए आवंटित बजट में सरकार द्वारा प्राथमिक शिक्षा हेतु आर्थिक धन राशि निर्धारित की जाए। राजस्थान में 250 की आबादी वाली सामान्य ग्राम में प्राथमिक विद्यालय खोले जा रहे हैं ।
(2) मध्याह्न भोजन की व्यवस्था ।
(3) निःशुल्क पाठ्य पुस्तकों का वितरण ।
(4) विद्यार्थी सुरक्षा बीमा ।
(5) दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों में ‘शिक्षा कर्मी’ तथा प्रहर पाठशालाओं में नामांकन बढ़ा है।
(6) शाला प्रवेशोत्सव प्रारम्भ ।
(7) गुरु-मित्र योजना प्राथमिक शिक्षा का नामांकन व ठहराव को सुनिश्चित करने हेतु ।
(8) अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति ।
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