ठोसों के यान्त्रिक गुण (Mechanical Properties of Solids)
ठोसों के यान्त्रिक गुण (Mechanical Properties of Solids)
ठोसों के यान्त्रिक गुण (Mechanical Properties of Solids)
द्रव्य (Liquid)
द्रव्य अणुओं तथा परमाणुओं से मिलकर बने होते हैं। ये तीन अवस्थाओं में पाए जाते हैं— ठोस, द्रव तथा गैस । ठोसों में, अणु निश्चित स्थितियों (positions) में कम्पन करते हैं। उदारहण पत्थर। द्रवों में, अणु एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाने के लिए स्वतन्त्रतापूर्वक कम्पन करते हैं। उदारहण जल, दूध, तेल, आदि। गैसों में, अणुओं की गति ठोसों तथा द्रवों की अपेक्षा अधिक होती है। उदारहण हाइड्रोजन, सल्फर डाईऑक्साइड, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन आदि।
पदार्थों का व्यापक वर्गीकरण नीचे दिया गया है
प्रत्यास्थता (Elasticity)
किसी पदार्थ का वह गुण जिसके कारण वह किसी बाह्य (विरूपक) बल के द्वारा अपनी अवस्था (आकार या आकृति) में परिवर्तन का विरोध करती है तथा बल हटाने पर अपनी प्रारम्भिक अवस्था को पुनः प्राप्त कर लेती है अथवा प्राप्त करने का प्रयत्न करती है, प्रत्यास्थता कहलाता है।
प्रत्यास्थता से सम्बन्धित कुछ पद (Some Terms Related to Elasticity)
(i) विरूपक बल (Deforming Force) किसी वस्तु पर लगाया गया वह बाह्य बल जो वस्तु के आकार या आकृति अथवा दोनों में परिवर्तन कर दे, विरूपक बल कहलाता है।
(ii) पूर्ण प्रत्यास्थ वस्तु (Perfectly Elastic Body) जो वस्तुएँ विरूपक बल हटा लेने पर अपनी पूर्व अवस्था को पूर्णतः प्राप्त कर लेती हैं, पूर्ण प्रत्यास्थ वस्तुएँ कहलाती हैं। कोई भी वस्तु पूर्णतः प्रत्यास्थ नहीं होती, परन्तु क्वार्ट्ज (quartz) तथा फॉस्फर ब्रांज (phosphor bronze) को लगभग पूर्ण प्रत्यास्थ मानते हैं।
(iii) सुघट्यता (Plasticity) किसी वस्तु का वह गुण जिसके कारण वह विरूपक बल हटा लेने पर अपनी पूर्व अवस्था में आने का प्रयत्न नहीं करती है, सुघट्यता कहलाता है।
(iv) पूर्ण सुघट्य वस्तु (Perfectly Plastic Body) जो वस्तुएँ विरूपक बल को हटा लेने पर अपनी पूर्व अवस्था में नहीं लौटती वरन् सदैव के लिए विरूपित (deformed) हो जाती हैं, पूर्ण सुघट्य वस्तुएँ कहलाती हैं। उदाहरण गीली मिट्टी, मोम का टुकड़ा, आदि।
(v) प्रत्यास्थ उत्तर प्रभाव (Elastic After Effect) विरूपक बल हटा लेने पर वस्तु द्वारा अपनी पूर्व अवस्था को प्राप्त करने में लगी देरी प्रत्यास्थ उत्तर प्रभाव कहलाती है। यह वह समय है जिसमें विरूपक बल हटाने के पश्चात् प्रत्यानयन बल उपस्थित रहता है। पूर्ण प्रत्यास्थ पदार्थों जैसे क्वार्ट्ज, फॉस्फर ब्रांज में प्रत्यास्थ (elastic) उत्तर प्रभाव नगण्य होता है तथा ग्लास फाइबर के लिए यह अधिक होता है।
(vi) प्रत्यास्थ श्रान्ति (Elastic Fatigue) विरूपक बल का पुनः प्रयोग करने पर किसी प्रत्यास्थ वस्तु के प्रत्यास्थता के गुण का कम होना प्रत्यास्थ श्रान्ति कहलाता है।
(vii) प्रतिबल (Stress ) किसी वस्तु पर लगाये गये विरूपक बल के कारण वस्तु के विकृत हो जाने पर वस्तु के अणुओं के बीच एक आन्तरिक प्रतिक्रियात्मक बल क्रियाशील हो जाता है, जोकि वस्तु को पुनः उसी रूप में लाने का प्रयत्न करता है। बाह्य बल के कारण वस्तु के अनुप्रस्थ-काट के एकांक क्षेत्रफल पर कार्य करने वाले आन्तरिक प्रतिक्रिया बल को प्रतिबल कहते हैं।
अतः स्पर्शरेखीय बल की दिशा में किसी परत के विस्थापन तथा उस परत की स्थिर पृष्ठ से दूरी के अनुपात को अपरूपण विकृति कहते हैं।
◆ रबर की अपेक्षा सीसा अधिक प्रत्यास्थ है, क्योंकि इसके एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाले बल के कारण सीसे में उत्पन्न विकृति रबर में उत्पन्न विकृति के सापेक्ष बहुत कम होती है।
◆ जल की प्रत्यास्थता वायु से अधिक होती है क्योंकि प्रत्यास्थता का आयतन, सम्पीड्यता (compressibility) का व्युत्क्रम (reciprocal) होता है।
◆ यदि विभिन्न पदार्थों की ठोस गोलियाँ बनाकर समान ऊँचाई से किसी कठोर फर्श पर गिराएँ, तो फर्श से टकराने पर जिस पदार्थ की गोली अधिक ऊँची उठेगी वह उतनी ही प्रत्यास्थ होगी।
◆ रबर की गोली, गीली मिट्टी की गोली तथा हाथी-दाँत की गोली आदि में हाथी-दाँत की गोली अधिक प्रत्यास्थ होती है।
◆ शुद्ध लोहा लचीला होता है, प्रत्यास्थ नहीं। इस्पात लचीला तथा प्रत्यास्थ दोनों होता है, रबर की अपेक्षा इस्पात अधिक प्रत्यास्थ होता है।
(ix) प्रत्यास्थता की सीमा (Limit of Elasticity) प्रत्यास्थ वस्तुएँ विरूपक बल हटा लेने पर अपनी पूर्व अवस्था प्राप्त कर लेती हैं परन्तु उनमें यह गुण विरूपक बल के निश्चित मान तक ही विद्यमान रहता है। अतः किसी वस्तु पर लगाये गये विरूपक बल की वह अधिकतम सीमा जिसके अन्तर्गत वस्तु में प्रत्यास्थता का गुण विद्यमान रहता है, साथ ही प्रतिबल तथा विकृति समानुपाती होते हैं। उस वस्तु की प्रत्यास्थता की सीमा कहलाती है।
प्रत्यास्थता के गुणों के आधार पर पदार्थों का वर्गीकरण (Classification of Materials Based on the Properties of Elasticity)
प्रत्यास्थता के गुणों के आधार पर पदार्थों के वर्गीकरण निम्न प्रकार हैं
तन्य पदार्थ (Ductile Materials)
इन पदार्थों की प्लास्टिक परास अधिक होती है। ये आसानी से किसी भी आकार में परिवर्तित किए जा सकते हैं तथा इनके पतले तार भी खीचें जा सकते हैं। उदाहरण सीसा, ताँबा, चाँदी, ऐल्युमीनियम आदि ।
भंगुर पदार्थ (Brittle Materials)
इन पदार्थों की प्लास्टिक परास कम होती है तथा ये प्रत्यास्थता की सीमा को पार करते ही टूट जाते हैं। जैसे काँच, उच्च कार्बन स्टील आदि ।
प्रत्यास्थ बहुलक पदार्थ (Elastomers)
इन पदार्थों के लिए प्रत्यास्थता की सीमा में प्रतिबल – विकृति वक्र सरल रेखा नहीं होता। आरोपित प्रतिबल की तुलना में विकृति अधिक होती है। इन पदार्थों की प्लास्टिक परास शून्य होती है तथा भंजन बिन्दु (breaking point) प्रत्यास्थता सीमा के समीप होता है जैसे रबर, इनकी कोई प्लास्टिक परास नहीं होती है।
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