S.I. मात्रक के साथ विद्युत धारा, विभवान्तर और प्रतिरोध को परिभाषित करें, और इनमें संबंध नियम की व्याख्या के साथ स्थापित करें।
S.I. मात्रक के साथ विद्युत धारा, विभवान्तर और प्रतिरोध को परिभाषित करें, और इनमें संबंध नियम की व्याख्या के साथ स्थापित करें।
उत्तर ⇒ विद्युत धारा – विद्युत धारा का S.I. मात्रक एम्पियर है । किसी चालक के अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल से प्रति सेकेण्ड होने वाली आवेश की मात्रा एक कूलॉम हो तो विद्युत धारा 1 एम्पियर कहलाती है।
विभवांतर – विभवांतर का S.I. मात्रक वोल्ट (V) है ।
किसी धारावाही विद्युत परिपथ के दो बिन्दुओं के बीच विद्युत विभवांतर को हम उस कार्य द्वारा परिभाषित करते हैं जो एकांक आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक लाने में किया जाता है।अत: जब 1 जल कार्य है जो एक कलॉम के आवेश को एक बिन्द से दूसरी बिन्दु पर ले जाए तो दोनों बिन्दुओं के बीच 1 वोल्ट विभवांतर होता है।
बिधुत धारा, विभवान्तर और प्रतिरोध में संबंध ओम के नियमानुसार स्थापित होता है। यदि किसी चालक की भौतिक अवस्थाएँ जैसे ताप आदि में कोई परिवर्तन न हो तो उसके सिरों पर लगाया गया विभवान्तर उससे प्रवाहित धारा के अनुक्रमानुपाती होता है।
V∝ I अथवा V = RI जहाँ R एक नियतांक है।
ओम के नियम का सत्यापन – एक चालक, जैसे मैगनीज का प्रतिरोधी तार लेते हैं। इसके श्रेणीक्रम में सेलों की एक बैट्री, एमीटर, धारा नियंत्रक तथा कुंजी लगाते हैं। तार के सिरों पर एक वोल्टमीटर लगाते हैं, कुंजी लगाते ही पूरे परिपथ में विद्युत बहने लगती है। धारा (I) का मान एमीटर से तथा प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर (V) वोल्टमीटर से बढ़कर सारणी में लिख लिया जाता है। अब धारा नियंत्रक द्वारा परिपथ में बढ़ने वाली धारा का मान बदल-बदलकर हर बार एमीटर तथा वोल्टमीटर से पाठ सारणी में लिख लेते हैं, और पाते हैं कि V तथा I में ग्राफ एक सरल रेखा होती है ।