पार्श्वक्रम संयोजन किसे कहते हैं ? प्रतिरोधकों R 1 R 2 तथा R 3 को पार्श्वक्रम में संयोजित करने पर समतुल्य प्रतिरोध का व्यंजक प्राप्त करें।अथवा, समानांतर श्रेणी में संयोजित दो प्रतिरोधों का तुल्य प्रतिरोध ज्ञात करें।

पार्श्वक्रम संयोजन किसे कहते हैं ? प्रतिरोधकों R 1 R 2 तथा R 3 को पार्श्वक्रम में संयोजित करने पर समतुल्य प्रतिरोध का व्यंजक प्राप्त करें।अथवा, समानांतर श्रेणी में संयोजित दो प्रतिरोधों का तुल्य प्रतिरोध ज्ञात करें।

उत्तर ⇒जब तीनों प्रतिरोधकों के प्रथम सिरों को एक बिन्दु पर एवं दूसरे सिरों को एक बिन्दु पर जोड़कर परिपथ पूरा किया जाता है तब इस प्रकार जोड़ने की विधि को पार्श्वक्रम संयोजन कहा जाता है।

पर्तिरोधक

संयोजक तार से चित्रानुसार परिपथ पूरा करते हैं। प्लग में कुँजी लगाकर एमीटर से धारा I एवं वोल्टामीटर से विभवान्तर V ज्ञात करते हैं। माना प्रत्येक प्रतिरोधी तारों का प्रतिरोध क्रमश: R1, R2 एवं R3 तथा संगत धारा क्रमशः I1, I2 एवं I3 है।

इसलिए :-  I = I1 + I2 +I3
माना प्रतिरोधकों के पार्श्व संयोजन का समतुल्य प्रतिरोध R है।
ओम के नियम से,

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