भारत में सहकारिता के विकास का वर्णन करें।
भारत में सहकारिता के विकास का वर्णन करें।
उत्तर- भारत में सहकारिता की शुरुआत विधिवत रूप से सहकारी साख अधिनियम, 1904 के पारित होने के बाद ही हुई। इसके अनुसार गाँव या नगर में कोई भी दस व्यक्ति मिलकर सहकारी साख समिति की स्थापना कर सकते हैं।
लेकिन 1904 में जो अधिनियम पारित हुआ, उसके क्षेत्र को विस्तृत करने के लिए 1912 में सहकारी समिति अधिनियम पारित किया गया, जिसके अनुसार सहकारी साख एवं गैर-सहकारी साख समितियों की स्थापना की व्यवस्था की गई। 1929 के महान आर्थिक मंदी के कारण इसके विकास में कुछ बाधाएँ आ गई, लेकिन रिजर्व बैंक ने 1935 से ही इसमें सक्रिय सहयोग देकर प्रोत्साहित किया है। भारत में योजना काल के 53 वर्षों की अवधि में सहकारिता की अच्छी प्रगति हुई है। 1950-51 में यहाँ 1.8 लाख सहकारी समितियाँ थी, जिनके सदस्यों की संख्या 173 लाख थी जो बढ़कर 2001-02 में क्रमश: 5.28 लाख हो गयी। इस काल में सहकारी समितियों की संख्या तीन गुनी, समितियों के सदस्यों की संख्या में तेरह गुनी वृद्धि हुई है।