सहकारिता के मूल तत्व क्या हैं? बिहार के विकास में इसकी भूमिका का वर्णन करें।

सहकारिता के मूल तत्व क्या हैं? बिहार के विकास में इसकी भूमिका का वर्णन करें।

उत्तर-सहकारिता एक ऐच्छिक संगठन है। इसमें व्यक्ति स्वेच्छा से अपनी आर्थिक उन्नति के लिए सम्मिलित होते हैं। सहकारिता के मूल तत्त्व इस प्रकार हैं

(i) सहकारिता एक ऐच्छिक संगठन है।
(ii) इसमें सभी सदस्यों को समान अधिकार प्राप्त होते हैं।
(iii) इसकी स्थापना सामान्य आर्थिक हितों की प्राप्ति के लिए होती है।
(iv) इसका प्रबंध प्रजातांत्रिक सिद्धांतों के आधार पर होता है।

बिहार एक ग्राम प्रधान राज्य है। यहाँ की लगभग 90 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती हैं। इनमें अधिकांश कृषि एवं इससे संबद्ध क्रियाकलापों द्वारा जीविकोपार्जन करते हैं। बिहार के ग्रामीण परिवारों में बहुत छोटे अथवा सीमांत किसानों तथा भूमिहीन श्रमिकों की संख्या सर्वाधिक है। इस प्रकार के सीमित साधनों वाले व्यक्ति सहकारी संस्थाओं के माध्यम से ही अपने आर्थिक हितों में वृद्धि कर सकते हैं। हमारे राज्य के विकास में सहकारिता की भूमिका कई प्रकार से महत्त्वपूर्ण हो सकती है। वर्तमान में सहकारी संस्थाएँ कृषि-ऋण की आवश्यकताओं का एक बहुत छोटा भाग पूरा करती हैं। परिणामतः महाजनों आदि पर छोटे किसानों की निर्भरता बहुत अधिक है। सहकारिता के विस्तार से ग्रामीण क्षेत्रों में महाजनों और साहूकारों का प्रभुत्व कम होगा तथा ब्याज की दरों में गिरावट आएगी। सहकारी संस्थाएँ कृषि-उपज के विक्रय, भूमि की चकबंदी तथा उन्नत खेती की व्यवस्था करने में भी सहायक हो सकती है। . राज्य के विभाजन के पश्चात बिहार के अधिकांश बड़े और मँझोले उद्योग झारखंड में चले गए हैं तथा अब राज्य में छोटे आकारवाले उद्योगों की ही प्रधानता है। लेकिन, पँजी के अभाव में बिहार के अधिकांश कुटीर एवं लघु उद्योग रुग्न हो गए हैं। इनके पुनरुद्धार में भी सहकारी संस्थाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।

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