ACS एस सिद्धार्थ का नया फरमान, DEO से यह काम छीना; आउटसोर्स कर्मी हटेंगे

ACS एस सिद्धार्थ का नया फरमान, DEO से यह काम छीना; आउटसोर्स कर्मी हटेंगे

बिहार के विद्यालयों अथवा अन्य शैक्षणिक भवनों समेत किसी भी तरह के निर्माण कार्यों की जिम्मेदारी से जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) मुक्त होंगे। नयी व्यवस्था में अब सभी तरह के निर्माण कार्य बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम (बीएसआईडीसी) के माध्यम से ही कराये जायेंगे।

विद्यालय शिक्षा समिति के जरिए होने वाले निर्माण का दायित्व भी बीएसआईडीसी को दिया जा रहा है। नये वित्तीय वर्ष की शुरुआत यानी एक अप्रैल, 2025 से नयी व्यवस्था लागू कर दी जाएगी। इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारियों और अन्य के साथ आयोजित समीक्षा बैठक में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने दिशा-निर्देश जारी किया है। उम्मीद जतायी जा रही है कि जल्द ही इसको लेकर विधिवत पत्र जिलों को जारी कर दिया जाएगा।

इस संबंध में विभागीय पदाधिकारी बताते हैं कि जिला शिक्षा पदाधिकरी अपना पूरा ध्यान शिक्षा के विकास और शैक्षणिक गतिविधियों की मॉनिटरिंग आदि कार्यों में देंगे। इसी मकसद से यह नयी व्यवस्था लागू की जा रही है। निर्माण कार्य के लिए निविदा जारी करने समेत एजेंसियों के चयन आदि कार्यों में डीईओ का काफी समय लगता है। इन कार्यों से मुक्त होने पर वह पूरा समय बच्चों के पठन-पाठन को दुरुस्त कराने में दे सकेंगे।

राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम का गठन वर्ष 2010 में हुआ

बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम का गठन वर्ष 2010 में किया गया था। बेहतर शैक्षणिक भवनों के निर्माण कराने को लेकर ही इस निगम का गठन हुआ था।

50 लाख रुपये से अधिक की लागत के निर्माण निगम के माध्यम से कराये जाते रहे हैं। वहीं, 50 लाख रुपये से कम के निर्माण कार्य जिला स्तर पर किये जाते हैं। इसके लिए डीईओ के स्तर से विभिन्न एजेंसियों को निर्माण कार्य की जिम्मेदारी दी जाती है। वहीं, छोटे-मोटे निर्माण कार्य, जिनमें अतिरिक्त कमरों, शौचालयों आदि का निर्माण शामिल हैं, उसे विद्यालय स्तर पर भी कराये जाते हैं।

इसके लिए विद्यालय शिक्षा समिति गठित है, जो इस पर निर्णय लेती है और निर्माण कार्य कराती है। अब, विद्यालय शिक्षा समिति के द्वारा किया जाने वाला निर्माण भी निगम के माध्यम से होगा।

आउटसोर्स कर्मियों को हटाने की तैयारी

विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिला और प्रखंड स्तर पर आउटसोर्सिंग के जरिये कार्य कर रहे कर्मी 31 मार्च, 2025 के बाद हटाये जा सकते हैं। विद्यालयों के निरीक्षण कार्य के लिए नियोजित किये गये कर्मियों को लेकर पदाधिकारियों की बैठक में इस पर चर्चा हुई है। बैठक में कहा गया है कि एक महीने का नोटिस देकर 31 मार्च के प्रभाव से इन्हें हटाया जाएगा। हालांकि, इस संबंध में अभी आदेश जारी नहीं हुआ है। मालूम हो कि मध्याह्न भोजन योजना के अंतर्गत भी ऐसे कर्मियों को रखा गया है, जिनकी संख्या 582 है। ये कर्मी निदेशालय, जिला और प्रखंड स्तर पर कार्यरत हैं।

प्रधानाध्यापकों के पास रहेगा 50 हजार का अधिकार

विद्यालय के प्रधानाध्यापकों को मरम्मत आदि कार्यों के लिए 50 हजार तक का कार्य कराने का अधिकार दिया गया है। कमरों की मरम्मत, पेयजल के लिए नल आदि को ठीक कराने आदि कार्य के लिए प्रधानाध्यपकों के पास यह अधिकार जारी रखने का निर्णय हुआ है। वहीं, अब 50 हजार रुपये से अधिक लागत के सभी तरह के निर्माण कार्य निगम को दिये जायेंगे।

Source – Hindustan

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