Bihar Board Class 9Th Hindi chapter 5 नीर भरी दुख की बदली Solutions | Bseb class 9Th Chapter 5 नीर भरी दुख की बदली Notes
Bihar Board Class 9Th Hindi chapter 5 नीर भरी दुख की बदली Solutions | Bseb class 9Th Chapter 5 नीर भरी दुख की बदली Notes
प्रश्न- महादेवी वर्मा अपने को ‘नीर भरी दुःख की बदली क्यों कहती है ?
उत्तर— कवयित्री को व्यक्तिगत अभावों से पैदा होने वाला दुःख अत्यंत मूल्यावान प्रतित होता है। जैसे बादल स्वयं में जल भरे रखती है वैसा ही कवयित्री भी करूणा रूपी जल आँसुओं द्वारा सभी के हृदयों पर बरसना चाहती है अतः वह स्वयं को ‘नीर भरी दुख की बदली’ कहती है।
प्रश्न- निम्न पंक्तियों का भाव स्पष्ट करें— मैं क्षितिज भृकुटि पर घिर धूमिल चिन्ता का भार बनी अविरल रज-कण पर जल-कण हो बरसी नव-जीवन अंकुर बन निकली।
उत्तर— प्रस्तुत पंक्तियाँ महादेवी वर्मा की कविता ‘मैं नीर भरी दुख की बदली’ से लिए गये है। इन पंक्तियों द्वारा कवियित्री खुद को बादल मानते हुए कहती है कि -“मैं क्षितिज में घिर धूमिल जरूर हूँ, परन्तु जब यही जलकण के रूप में उड़ते हुए धूल पर बरसती हूँ तो वहाँ नया जीवन का संचार होता है । ” अथात वह जहाँ कही भी बरसती है वहाँ जीवन में नया उल्लास और सौन्दर्य भर देती है।
प्रश्न- ‘क्रन्दन आहत में विश्व हंसा से कवियत्री का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर— कवियत्री वेदना में ही संसार का हित देखती है। इसलिए वह कहती है क्रन्दन आहत में विश्व हँसा।
प्रश्न- कवयित्री किसे मलिन नहीं करने की बात करती है ?
उत्तर— कवयित्री जीवन पथ को मलिन नहीं करने की बात करती है । व्यक्ति को जीवन में कई रास्तों से गुजरना पड़ता है यदि वह जीवन पथ गंदा या मलिन हो जायेगा तो व्यक्ति मंजिल तक नहीं पहुँच सकेगा।
प्रश्न- ‘नयनो में दीपक से जलते’ में दीपक का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर— ‘नयनो में दीपक से जलते’ में दीपक उन आँसुओं को कहा गया है जो वेदना के फलस्वरूप उत्पन्न हुए है। महादेवी जानती है कि उसका जन्म वेदना में हुआ है अतः यह दीपक की तरह प्रकाशित है।
प्रश्न- ‘मेरा न कभी अपना होना’ से कवयित्री का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर— कवयित्री खुद को नीर भरी दुख की बदली मानती है और जैसे बदली का जंल खुद के लिए नहीं बल्कि धरती के लिए होता है वैसे ही कवयित्री भी कहती है कि मेरा दुख अपने लिए न हो बल्कि ये दूसरों की भलाई के लिए हो ।
प्रश्न- कवयित्री ने अपने जीवन में आँसू को अभिव्यक्ति का महत्वपूर्ण साधन माना है। कैसे ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर— महादेवी वर्मा दुख को सुख से अधिक मूल्यवान मानती है। वह कहती है कि भले ही असंख्य हँसी हमारे मानसिक विचार को व्यक्त न कर पायें, हमारी एक बूँद आँसू हमारी समस्त दुःख और वेदनाओं को दूसरो के सामने आसानी से अभिव्यक्ति कर देती है।
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