Bihar Board Class 9Th Hindi chapter 5 भारतीय चित्रपट : फिल्मों से सवाक् फिल्मों तक Solutions | Bseb class 9Th Chapter 5 भारतीय चित्रपट : फिल्मों से सवाक् फिल्मों तक Notes
Bihar Board Class 9Th Hindi chapter 5 भारतीय चित्रपट : फिल्मों से सवाक् फिल्मों तक Solutions | Bseb class 9Th Chapter 5 भारतीय चित्रपट : फिल्मों से सवाक् फिल्मों तक Notes
प्रश्न- भारतीय चित्रपट में मूक से सवाक् फिल्मों तक के इतिहास में दादासाहब फाल्के का महत्व बताइये।
उत्तर— दादासाहब फाल्के भारतीय फिल्म उद्योग के जनक माने जाते हैं। उन्होंने कई फीचर फिल्मे बनाये और उन्हें उद्योग के रूप में विकसित किया। उनकी तीसरी फिल्म लंकादहन बॉक्स ऑफिस पर हिट साबित हुई थी। दादासाहेब अपनी फिल्मों के निर्माता, निर्देशक, कैमरामैन, प्रचारक, वितरक सबकुछ एकसाथ थे।
प्रश्न- लेखक ने सावेदादा की तुलना में दादासाबह को भारतीय सिनेमा का जनक माना। क्यों ?
उत्तर— दादा साहब से पहले सावेदादा ने छोटी-मोटी डॉक्यूमेंट्री फिल्मे तो बहुत बनायी परन्तु पैसा कमाने के अलावा वो फिल्म उद्योग को विकसित नही कर पाये। दादा साहब ने कई फीचर फिल्मे बनाई व भारत में फिल्म उद्योग को विकसित किया अतः सिनेमा के जनक का खिताब उन्हें ही जाता है।
प्रश्न- भारत में पहली बार सिनेमा कब और कहाँ दिखाया गया ?
उत्तर— भारत का पहला सिनेमा 6 जुलाई, 1896 को बम्बई शहर में दिखाया गया था जहाँ आज प्रिंस ऑफ वेल्स म्यूजियम की ईमारत है।
प्रश्न- 1896 ई. मे पहली बार बंबई की जनता को रूपहले पर्दे पर जो दृश्य देखने मिले उन्हें लिखें।
उत्तर— इन दृश्यों में बंबई की रक्षाबंधन का त्योहार, दिल्ली का लालकिला एवं लखनऊ के इमाम बाड़ा को रूपहले पर्दे पर दिखाया गया था।
प्रश्न- उन्नींसवी और बींसवी सदी ने दुनिया को कौन-कौन से करिश्मे दिखाए। लेखक किस करिश्मे का वर्णन विस्तार से किया है ?
उत्तर— लेखक ‘सिनेमा की करिश्में का वर्णन विस्तार से कर रहे है जो 6 जुलाई 1896 को भारत के बंबई शहर में दिखाया गया था। बिजली, टेलीफोन, रेल – मोटर वगैरह के अलावे सिनेमा का अविष्कार भी उन्नीसवीं और बीसवीं सदी का करिश्मा माना जाता है।
प्रश्न- कलकत्ता में स्टार थियेटर की स्थापना किसने की ?
उत्तर— कलकत्ता में स्टार थियेटर की स्थापना मि० स्टीवेंसन नामक एक अंग्रेज व्यक्ति ने की थी।
प्रश्न- शुरूआती दौड़ में फिल्मों को लोग क्या कहते थे ?
उत्तर— बाईस्कोप ।
प्रश्न- ‘राजा हरिश्चंद्र’ फिल्म में स्त्रियों का रोल भी पुरुषों ने किया था। क्यों ?
उत्तर— शुरूआती समय में सभ्य परिवार की स्त्रियाँ फिल्मो में काम नहीं करना चाहती थी। किसी तरह दादासाहेब कुछ वैश्य वर्ग की स्त्रियों को राजी किये थे। परन्तु कैमरा देख वे भी शरमा गये। अतः स्त्रियों का रोल भी पुरूषों को ही करना पड़ा।
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