Bihar Board Class 9Th Hindi chapter 6 बिहार में नायकला Solutions | Bseb class 9Th Chapter 6 बिहार में नायकला Notes

Bihar Board Class 9Th Hindi chapter 6 बिहार में नायकला Solutions | Bseb class 9Th Chapter 6 बिहार में नायकला Notes

प्रश्न- बिहार नाय कला के विकास में प्राथमिक महत्त्वपूर्ण योगदान किसका रहा है।
उत्तर— बिहार नाट्य कला के विकास में प्राथमिक महत्त्वपूर्ण योगदान कशवराम भट्ट का रहा है।
प्रश्न- चतुर्भुज के नाटक के क्षेत्र में योगदान का महत्त्व बताइए।
उत्तर— चतुर्भुज जी के एकल व्यक्तित्व ने जितने गहरे तक हिन्दी रंगमंच को प्रभावित किया अन्य किसी से सम्भव नहीं हो सका। नाटक की प्रस्तुति बख्तियारपुर से प्रारंभ की। स्क पृथ्वीराज कपूर जो फिल्मी जगत के योधा रहे हैं, ने खुलकर उनकी प्रशंसा की। इन्होंने एक नाट्य संस्था की स्थापना की जिसे बिहारी कला के नाम से जाना जाता है। बाद में 1952 में मगध कलाकार नामक संस्था बनायी । रंग-मंच की दृष्टि से उन्होंने अनेक नाटक लिखे तथा उसका मंचन भी किया। इनकी रचनाओं में कलिंग विजय, अरावली का शेर, मेघनाद, कर्ण, जालियाँवाला बाग, कुँवर सिंह, झाँसी की रानी प्रमुख हैं।
प्रश्न- पटना इप्टा की स्थापना किन लोगों ने की थी ? 
उत्तर— डॉ० एस० एम० घोषाल, डा० ए० के० सेन और ब्रज किशोर प्रसाद ने 1947 में पटना इप्टा की स्थापना की।
प्रश्न- पृथ्वीराज कपूर कौन थे ? अपने शिक्षक से जानकारी प्राप्त कर उनका एक संक्षिप्त परिचय लिखें।
उत्तर— पृथ्वीराज कपूर एक फिल्म निर्माता थे ।
प्रश्न- बिहार के देहातों में किस बिहारी नाटककार के नाटक सबसे अधिक लोकप्रिय हुए थे ?
उत्तर— बिहार के देहातों में ‘भिखारी ठाकुर’ के नाटक सबसे अधिक लोकप्रिय हुए थे।
प्रश्न- बिहार के किन्हीं तीन महत्त्वपूर्ण नाटक लेखकों तथा उनके नाटकों के नाम बताइए।
उत्तर— (i) चतुर्भुज जी ने निम्नलिखित नाटक लिखे–कलिंग विजय, अरावली का शेर, कर्ण, मेघनाद, कुंवर सिंह, झाँसी की रानी, सिराजुद्दौला, जालियाँवाला बाग ।
(ii) श्रीकान्त किशोर–’अरण्य कथा’ । (iii) समेश्वर सिंह कश्यपलोहा सिंह ।
प्रश्न- बिहार के नाटक के विकास में ‘केशवराम भट्ट’ के योगदान का परिचय दीजिए।
उत्तर— केशवराम भट्ट ‘बिहार बन्धु’ पत्रिका के सम्पादक थे । वे थियेटर कम्पनियों से प्रभावित होते थे पर उसमें व्याप्त कमी व्यवसायिकता तथा स्तरहीनता की आलोचना करते थे। 1876 में उन्होंने “पटना नाट्य मण्डली” नामक संस्था की स्थापना की। इसी संस्था के माध्यम से बिहार में साहित्यिक-सामाजिक गंभीरता वाले सोद्देश्य रंगमंच का शुभारम्भ होता है। ये एक नाटककार भी थे ।
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