Bihar Board Class 9Th Hindi chapter 8 मेरा ईश्वर Solutions | Bseb class 9Th Chapter 8 मेरा ईश्वर Notes

Bihar Board Class 9Th Hindi chapter 8 मेरा ईश्वर Solutions | Bseb class 9Th Chapter 8 मेरा ईश्वर Notes

प्रश्न- मेरा ईश्वर मुझसे नाराज है। कवि ऐसा क्यों कहता है ?
उत्तर— कवि का मानना है कि मनुष्य केवल दुःख के क्षणों में ही ईश्वर को याद करता है। अतः कवि किसी भी परिस्थिति में दुःखी न रहने की ठान लेता है जिससे उसे प्रभु वर्ग की गुलामी ना करना पड़े। वह ईश्वर के अस्तित्व को मानने से इंकार करता है जिसके कारण उसे लगता है कि उसका ईश्वर उससे नाराज है।
प्रश्न- कवि ने दुःखी न रहने की क्यों ठान ली है ?
उत्तर— कवि सोचते हैं कि दुःखी मनुष्यों को प्रभु के शरण में जाना पड़ता है। जिससे मनुष्य अपना मूल्य खोकर कठपुतली बन जाता है। वह प्रभु वर्ग की गुलामी करने व कठपुतली बनने से मुक्त होना चाहता है। अतः वह दुःखी न रहने की ठान लेता है।
प्रश्न- आशय स्पष्ट करें:मेरा ईश्वर मुझसे नाराज है, क्योंकि मैने 
उत्तर— प्रस्तुत पंक्तियाँ लीलाधर जगूड़ी की कविता ‘मेरा ईश्वर’ से ली गई है। कवि कहते हैं कि उनका ईश्वर उनसे नाराज है क्योंकि उन्होंने इनके अनुकूल न चलने का निश्चय कर लिया है। कवि दुःखी न रहने की ठान ली है जिससे उसे प्रभु को याद करना नहीं पड़ेगा और वह प्रभु ‘वर्ग की गुलामी से मुक्ति पा लेगा।
प्रश्न- कवि ईश्वर के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न क्यों खड़ा करता है ?
उत्तर— कवि का मानना है कि मनुष्य दुःख मे ही ईश्वर को याद करता है अर्थात् दुःख है तभी ईश्वर है। जो जरूरी नहीं उसे त्याग दे तो मनुष्य कभी दुःखी ही नही होगा। और उसे ईश्वर को याद करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। इस स्थिति में ईश्वर कौन है, उसका क्या आधार है। उसका अस्तित्व है भी या इन बातों पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो जाता है।
प्रश्न- मेरा ईश्वर कविता का केन्द्रीय भाव स्पष्ट करें:-
उत्तर— इस कविता में कवि ईश्वर के अस्तित्व को चुनौती देता है और प्रभुवर्ग द्वारा थोपे गये विचारों को अस्वीकार करता है । जो जरूरी नहीं कवि ने उसे त्यागने का कसम खा लिया है और उसने दुःखी न रहने, की ठान ली है। कवि प्रभुवर्ग की गुलामी करने व कठपुतली बनने से मुक्त होना चाहता है।
प्रश्न- सुख और दुःख में ईश्वर के साथ मनुष्य का क्या संबंध बताया गया है ?
उत्तर— प्रस्तुत पाठ में बताया गया है कि जब मनुष्य सुखी होता है तो ईश्वर को याद नहीं करता है वह उसे भुल जाता है अर्थात् मनुष्य दुःख में ही ईश्वर को याद करता है और प्रभवर्ग के शरण में जाता है।
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