Bihar Board Class 9Th Social Science chapter 6 आदिवासी समाज और उपनिवेशवाद Solutions | Bseb class 9Th Chapter 6 आदिवासी समाज और उपनिवेशवाद Notes
Bihar Board Class 9Th Social Science chapter 6 आदिवासी समाज और उपनिवेशवाद Solutions | Bseb class 9Th Chapter 6 आदिवासी समाज और उपनिवेशवाद Notes
1. भारतीय वन अधिनियम कब पारित हुआ था ?
(a) 1850
(b) 1965
(c) 1865
(d) 2000
2. तिलका माँझी का जन्म किस वर्ष हुआ था ?
(a) 1750 में
(b) 1850 में
(c) 1950 में
(d) 2005 में
3. चेरो जनजाति कहाँ का रहने वाला था ?
(a) पटना में
(b) राँच में
(c) पलामू में
(d) गया में
4. संथाली विद्रोह किस वर्ष हुआ था ?
(a) 1855 में
(b) 1857 में
(c) 1959 में
(d) 1650 में
5. अँग्रेज कलक्टर पर आक्रमण करने वाला पहला आदिवासी था।
(a) मील
(b) तिलक माँझी
(c) दशरथ माँझी
(d) राहुल गाँधी
6. किस धारा में आदिवासियों को कमजोर वर्ग में स्थान दिया गया है ?
(a) धारा 342
(b) धारा 420
(c) धारा 402
(d) कोई नहीं
7. झारखंड की स्थापना कब हुई ?
(a) 15 नवंबर 2000
(b) 15 नवंबर 2005
(c) 22 मार्च 2000
(d) इनमें से कोई नहीं
8. तमार विद्रोह किस वर्ष हुआ था ?
(a) 1788
(b) 1789
(c) 1790
(d) 1791
9. बिरसा मुंडा का जन्म कब हुआ था ?
(a) 1874
(b) 1875
(c) 1876
(d) 1974
10. तिलका माँझी को फाँसी किस वर्ष दी गई ?
(a) 1784
(b) 1785
(c) 1786
(d) 1986
प्रश्न- भारतीय वन अधिनियम का क्या उद्देश्य था ?
उत्तर— भारतीय वन अधिनियम 1865 में लागू हुआ था। इसका मुख्य उद्देश्य आदिवासियो को वनों के लाभ से वंचित करना और लकड़ी को व्यवसाय के लिए संरक्षित करना था।
प्रश्न-‘घेरो विद्रोह’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर— चेरो विद्रोह पलामू के चेरो कबीला के आदिवासियों द्वारा किया गया विद्रोह था जो 1800 ई० में राजा के विरूद्ध किया गया था क्योंकि वह अंग्रेजों से मिला हुआ था और आदिवासियों का शोषण करता था।
प्रश्न-‘तमार विद्रोह’ के विषय में लिखें।
उत्तर— तमार विद्रोह ‘उराँव’ जनजाति के द्वारा किया गया विद्रोह था जो सन् 1789 से 1794 तक चलता रहा। यह विद्रोह जमींदारों के खिलाफ था।
प्रश्न- अठारहवीं शताब्दी में भारतीय आदिवासी जनजातियों के जीवन पर प्रकाश डालिये।
उत्तर— वनों में निवास करने वालों को आदिवासी कहा जाता है। इनका जीवन पूर्णत: वन से जुड़ा होता था और ये भोजन, ईंधन, लकड़ी, जड़ी बूटी और पशुओं की चारा के लिए पूर्णतः वन पर आधारित होते थे। आदिवासी जनजाति के लोग जाति के आधार पर अपने को संगठित करके रखते थे। चेरो, कोल, उराँव, हो, चुआर, भील, मुंडा आदि इनकी मुख्य जातियाँ थी। ये बहुत सीधे-साधे और ईमानदार थे परन्तु अंग्रेजों की क्रूरता ने इन्हें विद्रोही बना दिया।
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