GK in Hindi | जैव प्रक्रम : पोषण

GK in Hindi | जैव प्रक्रम : पोषण

◆ वे सारी क्रियाएँ जिनके द्वारा जीवों का अनुरक्षण होता है, जैव प्रक्रम कहलाती हैं।
◆ उपापचयी क्रियाओं के संचालन हेतु आवश्यक ऊर्जा की आपूर्ति के लिए प्रत्येक जीव को जीवनपर्यंत पोषण की आवश्यकता होती है।
◆ ऐसे जीव जो भोजन के लिए अन्य जीवों पर निर्भर न रहकर अपना भोजन स्वयं संश्लेषित करते हैं, स्वपोषी कहलाते हैं।
◆ ऐसे जीव जो अपने भोजन के लिए किसी-न-किसी रूप में अन्य जीवों पर निर्भर रहते हैं, परपोषी कहलाते हैं तथा इस प्रकार का पोषण परपोषण कहलाता है।
◆ मृतजीवी पोषण में जीव मृतजीवों के शरीर से अपना भोजन घुलित कार्बनिक पदार्थों के रूप में अपने शरीर की सतह से अवशोषित करते हैं।
◆ परजीवी पोषण में जीव दूसरे प्राणी के संपर्क में, स्थायी या अस्थायी रूप से रहकर, उससे अपना भोजन प्राप्त करते हैं। .
◆ वैसा पोषण जिसमें प्राणी अपना भोजन ठोस या तरल के रूप में जंतुओं के भोजन ग्रहण करने की विधि द्वारा ग्रहण करता है, प्राणिसम पोषण कहलाता है।
◆ स्वपोषी पौधों (सभी हरे पौधों) में प्रकाशसंश्लेषण करने की क्षमता होती है जिसके तहत सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में पौधे Co2 और H2O का स्थिरीकरण कर कार्बोहाइड्रेट H20 (ग्लूकोस) का संश्लेषण करते हैं।
◆ हरे पौधों में पाए जानेवाले पर्णहरित या क्लोरोफिल सौर ऊर्जा को प्रकाशसंश्लेषण की क्रिया में रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं, जो संश्लेषित ग्लूकोस अणुओं में संचित रहता है।
◆ प्रकाशसंश्लेषण की क्रिया में अनिवार्य भूमिका निबाहनेवाले क्लोरोफिल को प्रकाशसंश्लेषण इकाई कहते हैं एवं हरितलवक को प्रकाशसंश्लेषी अंगक कहते हैं।
◆ प्रकाशसंश्लेषण-प्रक्रिया में जरूरी काम आनेवाले चार कच्चे पदार्थ हैं-CO2, H2O, क्लोरोफिल और सूर्य-प्रकाश।
◆ प्रकाशसंश्लेषण की क्रिया में ऑक्सीजन मुक्त होता है जो वायु को शुद्ध रखता है एवं Co2 तथा 02 के बीच संतुलन बनाए रखता है।
◆ क्लोरोफिल की अनुपस्थिति के कारण सभी जंतु परपोषी होते हैं। परपोषी जंतु मृतजीवी, परजीवी या प्राणिसमपोषी होते हैं।
◆ अमीबा तथा पैरामीशियम प्राणिसमपोषी जंतु हैं।
◆  मनुष्य के आहारनाल की लंबाई करीब 8 मीटर से 10 मीटर तक की होती है तथा यह मुखगुहा, फैरिंक्स, ग्रासनली, आमाशय, छोटी आँत और बड़ी आंत में विभाजित होता है •
◆ मनुष्य के आहारनाल से संबद्ध लारग्रंथि, यकृत तथा अग्न्याशय नामक पाचक ग्रंथियाँ पाई जाती हैं। •
◆ मनुष्य में छोटी आँत ड्यूओडिनम, जेजुनम तथा इलियम में विभाजित होती है और बड़ी आँत कोलन तथा रेक्टम में विभक्त होती है।
◆ मनुष्य में पाचन की क्रिया मुखगुहा से ही शुरू हो जाती है।
◆ आमाशय की गैस्ट्रिक ग्रंथियों से स्रावित होनेवाले गैस्ट्रिक रस में HCl, पेप्सिनोजेन तथा गैस्ट्रिक लाइपेस होते हैं।
◆ ड्यूओडिनम और इलियम की ग्रंथियों से निकलनेवाला रस सक्कस एंटेरीकस कहलाता है।
◆ पचे हुए भोजन का अवशोषण इलियम के विलाई के द्वारा होता है।
◆ अवशोषण के उपरांत पचे हुए भोजन रक्त में मिलकर रक्त-संचार के द्वारा विभिन्न भागों में वितरित हो जाते हैं।

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