द्रव्य की प्रकृति | द्रव्य पदार्थ की अवस्थाएं | Nature of matter in Hindi

द्रव्य की प्रकृति | द्रव्य पदार्थ की अवस्थाएं | Nature of matter in Hindi

यहाँ द्रव्य की प्रकृति [ Nature of matter in Hindi ] द्रव्य पदार्थ की अवस्थाएं से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।

इस आर्टिकल में द्रव्य की प्रकृति [ Nature of matter in Hindi ] द्रव्य पदार्थ की अवस्थाएं

Q.द्रव्य किसे कहते हैं ?

द्रव्य का वर्गीकरण ( Classification of Matter ) 

( i ) भौतिक अवस्था के आधार पर ( On the basis of Physical State ) 

ठोस ( Solid )

द्रव ( Liquid )

गैस ( Gases )

( ii ) संघटन के आधार पर ( On the basis of Composition ) 

शुद्ध पदार्थ ( Pure substances )

तत्त्व ( Elements )

यौगिक ( Compounds )

मिश्रण ( Mixtures

समांगी मिश्रण ( Homogenous Mixture )

विषमांगी मिश्रण ( Heterogenous Mixture ) को समावेश किया है संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।

द्रव्य की प्रकृति | द्रव्य पदार्थ की अवस्थाएं | Nature of matter in Hindi

द्रव्य की परिभाषा क्या है द्रव्य किसे कहते हैं उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए

हमारे आस – पास स्थित सभी वस्तुएँ द्रव्य से बनी होती हैं , अत : वह वस्तु जिसका द्रव्यमान होता है तथा जो स्थान घेरती है उसे द्रव्य कहते हैं । 

उदाहरण – पेन , पुस्तक , वायु , जीव – जन्तु इत्यादि द्रव्य , छोटे – छोटे कणों से मिलकर बना होता है ।

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द्रव्य की भौतिक अवस्था निश्चित नहीं होती है तथा ताप और दाब के परिवर्तन द्वारा इन्हें एक – दूसरे में परिवर्तित किया जा सकता है ।

?ठोस को गरम करने पर वह द्रव में तथा द्रव को गरम करने पर वह गैसीय अवस्था में परिवर्तित हो जाता है । इसके विपरीत गैस को ठंडा करने पर वह द्रव में परिवर्तित हो जाती है और इसे अधिक ठंडा करने पर यह ठोस में परिवर्तित हो जाता है ।

द्रव्य का वर्गीकरण ( Classification of Matter ) 

द्रव्य का वर्गीकरण दो प्रकार से किया जा सकता है

  • ( i )  भौतिक अवस्था के आधार पर ।
  • ( ii ) संघटन के आधार पर ।

( i ) भौतिक अवस्था के आधार पर ( On the basis of Physical State ) 

भौतिक अवस्था के आधार पर द्रव्य तीन प्रकार का होता है – ठोस , द्रव तथा गैस ।

ठोस ( Solid ) – 

द्रव्य की ठोस अवस्था में कण अत्यधिक निकट तथा क्रमबद्ध रूप से व्यवस्थित रहते हैं तथा इनकी गतिशीलता नगण्य होती है ।

ठोसों का आयतन तथा आकार निश्चित होता है तथा सामान्यत : ये कठोर एवं दृढ़ होते हैं जिनका घनत्व अधिक होता है ।

उदाहरण – साधारण नमक , लकड़ी ,पेन्सिल

द्रव ( Liquid ) –

द्रवों में अवयवी कण ठोसों की अपेक्षा कुछ अधिक दूरी पर होते हैं तथा ये गति कर सकते हैं ।

द्रव का आयतन निश्चित होता है , परन्तु इनका आकार निश्चित नहीं होता है तथा ये उसी पात्र का आकार ग्रहण कर लेते हैं , जिसमें इन्हें रखा जाता है ।

द्रवों का घनत्व ठोसों की तुलना में कम होता है तथा इनमें अन्तराअणुक आकर्षण बल कम होता है । द्रवों में तरलता का गुण भी पाया जाता है क्योंकि इनके अणु अव्यवस्थित होते हैं ।

द्रवों में अणुओं की गतिज ऊर्जा , ठोसों की अपेक्षा अधिक होती है ।

उदाहरण – तेल , जल , दूध तथा ऐल्कोहॉल

गैस ( Gases ) – 

ठोसों तथा द्रवों की अपेक्षा गैसों में अवयवी कण बहुत दूर – दूर होते हैं । ये आसानी से तथा तेजी से गति कर सकते हैं ।

गैसों का आयतन तथा आकार निश्चित नहीं होता तथा ये उस पात्र के आयतन में पूरी तरह फैल जाती हैं जिसमें इन्हें रखा जाता है , जिसके कारण कणों के मध्य अधिकांश स्थान रिक्त रहता है , अतः इनकी सम्पीड्यता अधिक होती है ।

गैसों में अणुओं के मध्य आकर्षण बल नगण्य होता है तथा इनमें अणुओं की गतिज ऊर्जा अधिक होती है ।

उदाहरण – ऑक्सीजन , नाइट्रोजन , कार्बन – डाइऑक्साइड गैस तथा वायु

( ii ) संघटन के आधार पर ( On the basis of Composition ) 

संघटन के आधार पर द्रव्य को मिश्रण तथा शुद्ध पदार्थ में वर्गीकृत किया जाता है लेकिन इन्हें पुनः उपवर्गों में विभाजित किया जाता है

शुद्ध पदार्थ ( Pure substances ) 

शुद्ध पदार्थों का संघटन निश्चित होता है तथा इनके घटकों को सामान्य भौतिक विधियों द्वारा पृथक् नहीं किया जा सकता ।

उदाहरण – सोना , चाँदी , लोहा , जल , शर्करा तथा ग्लूकोस । ग्लूकोस में कार्बन , हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन एक निश्चित अनुपात में होते हैं ।

शुद्ध पदार्थों को पुनः तत्त्वों तथा यौगिकों में वर्गीकृत किया जाता है

तत्त्व ( Elements ) 

वह पदार्थ जिसमें उपस्थित सभी कण ( परमाणु , अणु या आयन ) एक ही प्रकार के होते हैं , उसे तत्त्व कहते हैं ।

उदाहरण – सोडियम , हाइड्रोजन , ऑक्सीजन , चाँदी तथा ताँबा इत्यादि ।

इन सभी में एक ही प्रकार के परमाणु उपस्थित होते हैं , परन्तु विभिन्न तत्त्वों के परमाणु एक – दूसरे से भिन्न होते हैं ।

सोडियम अथवा ताँबे जैसे कुछ तत्त्वों में एकल परमाणु उपस्थित होते हैं , जबकि अन्य तत्त्वों में दो या अधिक परमाणु मिलकर अणु बनाते हैं , जैसे – हाइड्रोजन , नाइट्रोजन तथा ऑक्सीजन गैसों में अणु उपस्थित होते हैं , जो इनके दो – दो परमाणुओं से मिलकर बने होते हैं । तत्त्व धातु , अधातु या उपधातु हो सकते हैं ।

यौगिक ( Compounds ) –

जब भिन्न – भिन्न तत्त्वों के दो या दो से अधिक परमाणु संयोजित होकर अणु बनाते हैं तो उसे यौगिक ( Compounds ) कहते हैं।

यौगिकों का संघटन निश्चित होता है तथा इनके घटक तत्त्वों को रासायनिक विधियों द्वारा पृथक् किया जा सकता है ।

उदाहरण – अमोनिया $( NH_3 )$ , जल $( H_2O )$ , कार्बन डाइऑक्साइड $( CO_2 )$ तथा शर्करा $( C_{12}H_{22}O_{11} )$

मिश्रण ( Mixtures ) – 

मिश्रण वे होते हैं जिनमें दो या दो से अधिक पदार्थ किसी भी अनुपात में उपस्थित हो सकते हैं तथा उनका संघटन भिन्न हो सकता है ।

हमारे आस – पास उपस्थित अधिकांश पदार्थ मिश्रण हैं । मिश्रण में उपस्थित विभिन्न घटकों को विभिन्न भौतिक विधियों द्वारा पृथक् किया जा सकता है ।

जैसे – छानना , आसवन , क्रिस्टलन इत्यादि । उदाहरण – हवा , जल तथा शर्करा का मिश्रण , नमक तथा शर्करा का मिश्रण ।

द्रव्य की प्रकृति | द्रव्य पदार्थ की अवस्थाएं | Nature of matter in Hindi

मिश्रण दो प्रकार के होते हैं – समांगी तथा विषमांगी । 

समांगी मिश्रण ( Homogenous Mixture ) – 

समांगी मिश्रण ( Homogenous Mixture ) में उपस्थित घटक एक – दूसरे में पूर्णतया मिश्रित होते हैं तथा पूरे मिश्रण का संघटन एक समान होता है ।

उदाहरण – ‘ जल में चीनी का विलयन ‘ , ‘ हवा ‘ तथा ऐल्कोहॉल व जल का मिश्रण ।

विषमांगी मिश्रण ( Heterogenous Mixture ) – 

विषमांगी मिश्रण ( Heterogenous Mixture ) का संघटन सम्पूर्ण मिश्रण में एक समान नहीं होता है अर्थात् इनका संघटन असमान होता है तथा कभी – कभी तो विषमांगी मिश्रण के घटक पृथक् – पृथक् दिखाई भी देते हैं ।

उदाहरण – चीनी तथा नमक , दाल तथा कंकड़ एवं तेल तथा जल का मिश्रण ।

Sujeet Jha

Editor-in-Chief at Jaankari Rakho Web Portal

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