कैसे लोकतंत्र को सर्वोत्तम शासन-प्रणाली कहा गया है? इसे तको और तथ्यों से सिद्ध करें।
कैसे लोकतंत्र को सर्वोत्तम शासन-प्रणाली कहा गया है? इसे तको और तथ्यों से सिद्ध करें।
उत्तर :- आज हमलोग इक्कीसवीं सदी में प्रवेश कर चुके हैं। इसे लोकतंत्र क विकास का युग माना जा सकता है। बीसवीं सदी तो लोकतंत्र का युग रहा है। इक्कीसवीं सदी में भी यह सर्वोत्तम शासन-प्रणाली माना जाता रहेगा, इसकी पूण आशा है। अन्य शासन-पद्धतियों से लोकतंत्र को सर्वोत्तम माना जाता रहा है। इस बात की पुष्टि निम्नलिखित तौ और तथ्यों से होती है
(i) जनमत का अत्यधिक महत्व – यह सर्वविदित है कि लोकतंत्र जनता की, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन है। स्वाभाविक है कि जनमत को इसम विशेष स्थान मिलना चाहिए। यह एक तथ्य है कि लोकतंत्र में जनता की सामान्य इच्छा के अनुसार ही शासन चलाया जाता है।
(ii) सचेत नागरिक – लोकतंत्र को सर्वोत्तम शासन-प्रणाली कहे जाने का दूसरा तर्क और तथ्य यह है कि इसके नागरिक सचेत रहते हैं। नागरिकों के बीच राजनीतिक चेतना लोकतंत्र का सबसे बडा लक्षण है। जनता स्वयं सरकार बनाती है। स्वाभाविक है कि लोकतंत्र में जनता को शासन-कार्य और चनाव में भाग लेने के अवसर प्राप्त होते हैं। इससे जनता की दिलचस्पी सार्वजनिक कार्यों में हाथ बँटाने में बढ़ जाती है। अत: राजनीतिक चेतना जनता में अधिक हो जाती है।
(iii) समानता, स्वतंत्रता और विश्ववंधत्व पर आघृत- लोकतंत्र के तीन मुख्य आधार माने जाते हैं – समानता, स्वतंत्रता और विश्वबंधत्व। लोकतंत्र में नागरिकों के बीच रंग, धर्म, वर्ण, जाति, भाषा, प्रांत इत्यादि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता। कानन के समक्ष सभी नागरिकों को समानता प्रदान की जाती हैं। प्रत्येक नागरिक को अनेक स्वतंत्रताएँ—भाषण की, सभा की, मतदान का दी जाती हैं। लोकतंत्र में विश्वबंधुत्व की भावना भी बढ़ती है।
(iv) नागरिक गुणों का विकास- लोकतंत्र में नागरिकों को व्यक्तित्व के विकास के अधिक अवसर प्रदान किए जाते हैं। इससे लोगों में प्रेम, सहानुभूति, सेवा स्वार्थत्याग, सहनशीलता जैसे नागरिक गुणों का विकास हो पाता है।
(v) लोककल्याण का पोषक- लोकतंत्र में राज्य का स्वरूप लोककल्याणकारी हो जाता है। सभी नागरिकों के कल्याण के लिए उचित कदम उठाए जाते हैं।