चिन्तन क्या है ? सृजनात्मक चिन्तन से यह किस प्रकार भिन्न है ?
चिन्तन क्या है ? सृजनात्मक चिन्तन से यह किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर— चिन्तन (Thinking)– चिंतन एक जटिल मानसिक प्रक्रिया है । दैनिक बोल-चाल की भाषा में सोचने समझने एवं कल्पना को ही चिंतन समझ लिया जाता है। चिंतन की अवधारणा में उपर्युक्त सभी प्रत्यय शामिल हैं। चिंतन को इनसे अलग करना बहुत ही कठिन कार्य है। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने चिन्तन को निम्न प्रकार से परिभाषित किया है—
(i) रॉस के अनुसार, “चिंतन ज्ञानात्मक पक्ष की एक मानसिक प्रक्रिया है।”
(ii) वारेन ने चिंतन को परिभाषित करते हुए बताया कि “चिंतन एक वैचारिक एवं प्रतीकात्मक प्रकृति वाली प्रक्रिया है जो व्यक्ति को किसी समस्या को समझने एवं उसके निष्कर्ष तक पहुँचने के लिए समाधान प्रस्तुत करती है। “
(iii) वेलेन्टाइन के अनुसार, “चिन्तन शब्द का प्रयोग उस प्रक्रिया के लिए किया जाता है जो किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए विचारों की श्रृंखला से जुड़ी हुई है । “
(iv) गैरेट के अनुसार, “चिंतन एक प्रकार का अन्तर्निहित और गुप्त व्यवहार है जिसमें प्रतीक, विचार और प्रत्ययों को सामान्य रूप में प्रयोग किया जाता है । “
सृजनात्मक चिंतन (Creative Thinking)– इस चिन्तन का सम्बन्ध नवीनता से है इसमें विभिन्न घटनाओं व पूर्व-मान्य नियमों का विश्लेषण एवं संश्लेषण कर उनमें सम्बन्ध को खोजा जाता है। इसमें व्यक्ति प्रायः समस्याओं का चयन और उसका समाधान कार्यकारण सम्बन्धों की विस्तृत व्याख्या कर अपने आधार पर नियम प्रस्तुत करता है। वैज्ञानिक आविष्कार इस चिन्तन के फलस्वरूप ही संभव है।
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