पाठ्यक्रम को प्रभावित करने वाले आधारों व कारकों का वर्णन कीजिए।

पाठ्यक्रम को प्रभावित करने वाले आधारों व कारकों का वर्णन कीजिए।

उत्तर  – पाठ्यक्रम को प्रभावित करने वाले कारक  – पाठ्यक्रम को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं
(1) शिक्षा व्यवस्था प्रणाली–शिक्षा के इतिहास से यह विदित होता है कि अतीत काल से ही शिक्षा व्यवस्था और पाठ्यक्रम को प्राय: लीचला तथा परिवर्तनशील कहा है। छोटे बालकों का पाठ्यक्रम अनुभव केन्द्रित रहा है। माध्यमिक स्तर विषय केन्द्रित रहा है। शिक्षा व्यवस्था के बदलने के साथ पाठ्यक्रम का प्रारूप भी बदल जाता है।
(2) सामाजिक परिवर्तन सामाजिक परिवर्तन में आर्थिक परिवर्तन की गति अधिक तीव्र है इसलिये ये आर्थिक तथा भौतिक परिवर्तन भी पाठ्यक्रम को प्रभावित करते हैं। विज्ञान तथा तकनीकी ने सामाजिक जीवन को अधिक प्रभावित किया है। इसलिये व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के साथ तकनीकी के प्रशिक्षण (कम्प्यूटर) आदि सम्बन्धी नये पाठ्यक्रम विकसित किये जा रहे हैं। शिक्षा के अन्तर्गत दूरवर्ती शिक्षा प्रणाली का विकास हुआ है जिसमें माध्यमों तथा सम्प्रेषण को विशेष महत्त्व दिया जाता है।
(3) शासन प्रणाली शिक्षा द्वारा राष्ट्र तथा समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है। शासन प्रणाली बदलने से पाठ्यक्रम के प्रारूप को बदलना होता है। केन्द्र तथा राज्य स्तर पार्टी को सत्ता बदलने से भी पाठ्यक्रम के प्रारूप पर प्रभाव पड़ता है। रूस में शासन सत्ता बदलने से पाठ्यक्रम का प्रारूप बिल्कुल ही बदला जा रहा है। भारत राज्य या प्रदेश द्वारा व्यवस्थित की जाती है। इसलिये शिक्षा का राष्ट्रीय प्रारूप नहीं है। सभी प्रदेशों के पाठ्यक्रम के प्रारूप विभिन्न स्तरों पर अलग-अलग हैं।
(4) राष्ट्रीय आयोग तथा समितियाँ— शिक्षा में सुधार और विकास हेतु राष्ट्रीय स्तर आयोग तथा समितियाँ गठित की जाती हैं। भारत में स्वतन्त्रता के बाद में अनेक आयोग तथा समितियाँ गठित की गई। उन्होंने विश्वविद्यालय, माध्यमिक तथा प्राथमिक स्तर पर सुधार के लिये सुझाव दिये और उन सुझात्रों को लागू करने का प्रयास किया गया जिससे पाठ्यक्रम के प्रारूप को भी बदलना पड़ा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में व्यवसायिक शिक्षा को अधिक महत्त्व दिया है। शिक्षा के आयोगों तथा समितियों के सुझाव के आधार पर भी पाठ्यक्रम का प्रारूप प्रभावित होता है।
( 5 ) परीक्षा प्रणाली— परीक्षा प्रणाली पाठ्यक्रम को प्रभावित करती है। निबन्धात्मक परीक्षा के पाठ्यक्रम का स्वरूप वस्तुनिष्ठ परीक्षा से बिल्कुल ही भिन्न प्रकार का होता है। वस्तुनिष्ठ परीक्षा में पाठ्यवस्तु के सूक्ष्म पाठ्यवस्तु पर ही प्रश्न पूछे जाते हैं जबकि निबन्धात्मक परीक्षा में पाठ्यवस्तु के व्यापक स्वरूप पर प्रश्न पूछे जाते हैं। निबन्धात्मक परीक्षा से उच्च उद्देश्यों का मापन किया जाता है जबकि वस्तुनिष्ठ से निम्न उद्देश्यों का ही आकलन किया जाता है।
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