बिहार के प्रमुख धार्मिक स्थल
बिहार के प्रमुख धार्मिक स्थल
बिहार राज्य सभी धर्मों के एक विशेष केंद्र था, आज भी बिहार में अनेकता में एकता के लिए प्रसिद्ध है। बिहार राज्य भारत के कुछ महान साम्राज्यों और महान महापुरुषों जी जन्म व कर्म भूमि रही है। बिहार के प्रमुख धार्मिक स्थल इस प्रकार है –
मंदिर (Temple)
- आरण्य देवी मंदिर, आरा
- पूरण देवी मंदिर, पूर्णिया
- महावीर मंदिर, पटना
- पटन देवी मंदिर, पटना
- शीतला माता मंदिर, पटना
- चैतन्य महाप्रभु मंदिर, पटना
- महाबोधी मंदिर, बोधगया
- विष्णुपद मंदिर, गया
- अरेराज मंदिर, पूर्वी चम्पारण
- राम जानकी मंदिर, सीतामढ़ी
- नागेश्वर नाथ मदिर, सीतामढ़ी
- हरिहर नाथ मंदिर, सोनपुर
- माधवेश्वर मंदिर, दरभंगा
- कुशेश्वर स्थान, दरभंगा
- अजगैबीनाथ मंदिर, भागलपुर
- देवकुली शिव मंदिर, शिवहर
- सूर्य मदर, औरंगाबाद
मस्जिद (Mosque)
- पत्थर की मस्जिद, पटना
- शेरशाह सूरी मस्जिद, पटना
- सासाराम जामा मस्जिद, सासाराम
- अकबरी मस्जिद, मनेर
- शाही मस्जिद, हाजीपुर
- पत्थर की मस्जिद, वैशाली
- संगी मस्जिद, फुलवारी शरीफ
- झगड्ढा मस्जिद, दरभंगा
गुरुद्वारा (Gurudwara)
- तख्त श्री हरमिंदर साहिब, पटना
- गुरु तेग बहादुर गुरुद्वारा, गायघाट, पटना
- गुरु का बाग, पटना
- गुरुद्वारा गोविंद घाट, पटना सिटी
- गुरुद्वारा मैनी संगत, पटना सिटी
- गुरुद्वारा हांडी साहिब, मुंगेर
गिरजाघर (Church)
- पादरी की हवेली, पटना
- सेंट जोसेफ चर्च; बांकीपुर पटना व जमालपुर
- सेंट टामस दि एपार्सल चर्च, गया
- सेंट फ्रांसिस औसिसी चर्च, मुजफ्फरपुर
बौद्ध धर्म के स्थल (Buddhist Religion Places)
- महाबोधि मदिर, बोधगया
- बोधिवृक्ष, बोधगया
- वज्रासन, बोधगया
- विश्व शांति स्तूप, राजगीर
- गृद्ध कूट पर्वत, राजगीर
- सप्तपर्ण गुफाएं, राजगीर
- वेणुवन विहार, राजगीर
जैन धर्म के स्थल (Jain Religion Places)
- कमलदह, पटना
- कुंडग्राम, वैशाली
- पावापुरी, नालंदा
- गुनावा जी, नवादा
- राजगीर, नालंदा
बिहार के धार्मिक स्थल एवं उनकी विशेषताएं
जहां एक ओर बोधगया, पावापुरी, राजगीर, बिहार, शरीफ, पटना, साहिब आदि अनेक धार्मिक स्थल है, वहीं दूसरी ओर नालंदा वैशाली, पटना, सासाराम आदि महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल भी है। इसके साथ ही मुंगेर, भागलपुर, बेतिया में प्राकृतिक सौंदर्य के लिए परिपूर्ण वन्य जीव अभ्यारण स्थित है।
नालंदा (Nalanda)
बिहार के नालंदा जिले में स्थित विश्वप्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय भारत ही नहीं बल्कि विश्व के प्राचीनतम विश्वविद्यालयों में से एक है। विभिन्न विषयों दर्शनों एवं बौद्ध शिक्षा का प्रसिद्ध केंद्र रहा है। यहां पर देश-विदेश से हजारों छात्र अध्ययन करने आते थे।
प्रसिद्ध चीनी यात्री हेनसांग ने नालंदा विश्वविद्यालय में बौद्ध दर्शन धर्म और साहित्य का अध्ययन किया था। 12 वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी ने आक्रमण करके किस विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया। इसे विश्वविद्यालय के अवशेष इसकी विशालता एवं महत्व के सूचक है।
राजगीर (Rajgir)
राजगीर का प्राचीन नाम राजगिरी या गिरिब्रज था। यह बिहार में नालंदा जिले में स्थित है। बौद्ध जैन एवं हिंदुओं का संयुक्त तीर्थ स्थल है जो सात पहाड़ियों छठगिरी, रत्नगिरी, सैलगिरि, सोनगिरी, उदयगिरी, वैभर गिरी एवं विपुलगिरी से घिरा हुआ है।
राजगीर में पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र आम्रवन, वेणुवन, मनिआर मठ, सोन भंडार, मगध राजा जरासंध का अखाड़ा, गर्म जल कुंड हैं। राजगीर के चट्टानों में गंधक जैसे तत्व पाए जाते हैं जो इन गुंडों को गर्म रखने में सहायक है। ब्रह्मा कुंड और मखदूम कुंड यहां के दो प्रसिद्ध कुंड हैं।
पावापुरी (Pawapuri)
बिहार के नालंदा जिले में स्थित पावापुरी जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख पवित्र तीर्थ स्थल है। ऐसा माना जाता है कि भगवान महावीर को निर्वाण की प्राप्ति यही हुई थी। जिसे स्थल पर उनका अंतिम संस्कार किया गया था वर्तमान में वहां कमलरूपी तालाब के मध्य जल मंदिर का निर्माण किया गया है।
यहां प्रतिवर्ष दीपावली में भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के अवसर पर पावापुरी में एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें देश विदेश के जैन धर्मावलंबी धर्म संबंधी चर्चा करते हैं।
गया (Gaya)
गया बिहार में स्थित एक ऐतिहासिक एवं धार्मिक शहर है, जो तीन और से छोटी-छोटी पहाड़ियों मंगला-गौरी, शृंगा-स्थान, रामशिला एवं ब्रह्म योनि से गिरा हुआ है। यह शहर सड़क, रेल एवं वायु मार्ग द्वारा अन्य स्थानों से जुड़ा हुआ है, यहां एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी है।
गया स्थित विष्णुपद मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्याबाई होल्कर के द्वारा कराया गया था। दंतककथाओं के अनुसार यहां फल्गु नदी के तट पर भगवान विष्णु के पैरों का निशान है। इस मंदिर के सामने फल्गु नदी के तट पर प्रति वर्ष आश्विन मास में पितृपक्ष मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में देश-विदेश के हिंदू श्रद्धालु अपने पूर्वजों को पिंडदान करने आते हैं।
बोध गया ( Bodh Gaya)
बोधगया बिहार के गया जिले में स्थित बौद्ध धर्म के अनुमानों का प्रमुख तीर्थ स्थल है, जो गया शहर से 12 किलोमीटर की दूरी पर फल्गु नदी के किनारे स्थित है। यहां महाबोधि मंदिर आकर्षण का प्रमुख केंद्र है।
इस मंदिर का निर्माण तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व सम्राट अशोक ने स्तूप के रूप में करवाया था, जिसे बाद में कुशल शासक कनिष्क में भव्य एवं विशाल मंदिर का रूप प्रदान किया। इस मंदिर में पद्मासन की मुद्रा में महात्मा बुध की एक विशाल मूर्ति स्थापित है।
पटना (Patna)
पटना गंगा नदी के किनारे बसा बिहार की राजधानी एवं राज्य का सबसे बड़ा नगर है, जो प्राचीन काल में पाटलिपुत्र, पुस्पपुर एवं मध्य काल में अजीमाबाद आदि नामों से जाना जाता था। विश्व की सबसे प्राचीन बसे नगरों में से एक है।
पाटलिपुत्र की स्थापना हर्यक वंश के शासक खुदाई ने लगभग 450 ईसवी पूर्व में की थी। नंद, मौर्य, शुंग, गुप्त तथा पाल वंश के शासनकाल में किस नगर को संपूर्ण भारत में प्रसिद्धि मिली। यही ऐतिहासिक पाटलिपुत्र मध्यकाल में पटना के नाम से जाना जाने लगा।
पटना सीट भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है क्योंकि इसे अंतिम श्री गुरु गोविंद सिंह का जन्म स्थान माना जाता है। गोलघर, तारामंडल, संजय गांधी जैविक उद्यान, बुद्ध स्मृति पार्क, बिहार संग्रहालय, हनुमान मंदिर, आदम कुआं, किला हाउस, शहीद स्मारक आदि पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र है।
वैशाली (Vaishali)
वैशाली में ही विश्व के प्रथम गणतंत्र स्थापित हुआ था, जिसकी स्थापना लिछवी शासक ने की थी। वैशाली भगवान महावीर की जन्मस्थली होने के कारण जैन धर्म के अनुयायियों के लिए पवित्र नगरी है।
वैशाली में अशोक स्तंभ, बौद्ध स्तूप, जैन मंदिर, प्राचीन तालाब, कमल बावन पोखर मंदिर, राजा विशाल का गढ़, हरि कटोरा मंदिर तथा जापान के निप्पोन जी समुदाय द्वारा निर्मित विश्व शांति स्तूप पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण केंद्र हैं।
सीतामढ़ी (Sitamarhi)
प्राचीन ग्रंथों के अनुसार बिहार के सीतामढ़ी जिले में स्थित पुनौरा नामक स्थान पर मिथिला नरेश जनक को ऋषि मुनियों ने हलेस्टी याद कर अपने हाथों से हल चलाने का परामर्श दिया। जब राजा जनक ने हल चलाना आरंभ किया तो हल के सीराऊंर से एक घड़ी की प्राप्ति हुई जिससे एक कन्या रूपी रत्न की प्राप्ति हुई।
हल के सिराऊंर से उत्पन्न होने के कारण इस कन्या रूपी रत्न का नाम सीता पड़ा। भूमि पुत्री सीता के नाम पर ही इस जिले का नाम सीतामढ़ी पड़ा।
सीतामढ़ी जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल जानकी अस्थान मंदिर, हलेश्वर स्थान, बगही मठ, उर्बीजा कुंड एवं पंथ पाखड़ है।
मुंगेर (Munger)
मुंगेर का उल्लेख प्राचीन, मध्यकालीन एवं आधुनिक तीनों युगों में किसी न किसी रूप में मिलता है। हिंदू महाकाव्य महाभारत के दिग्विजय पर्व एवं सभा वर्ष में मोदगिरी के नाम से तथा बौद्ध ग्रंथों में मौदल के नाम से मुंगेर का उल्लेख मिलता है।
पाल वंश के शासक देव पाल के मुंगेर ताम्रपत्र में भी गोदा गिरी के नाम से इस स्थान का उल्लेख हुआ है। 1763 में बंगाल के तत्कालीन नवाब मीर कासिम ने अपनी राजधानी कोलकाता से मुंगेर स्थापित की थी।
बिहारशरीफ (BiharSharif)
नालंदा जिले के मुख्यालय बिहार शरीफ में स्थित पीर पहाड़ी पर हजरत मलिक और शेख मखदूम शाह सरफुद्दीन की बड़ी दरगाह है। इसी के साथ हजरत बदरुद्दीन की छोटी दरगाह, जामा मस्जिद एवं मलिक इब्राहिम बाया का मकबरा भी स्थित है। यहां पर प्रतिवर्ष मेला का आयोजन किया जाता है।
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