स्वयं सहायता समूह क्या है? इसमें महिलाएँ अपनी भूमिका किस प्रकार निभाती है ?

स्वयं सहायता समूह क्या है? इसमें महिलाएँ अपनी भूमिका किस प्रकार निभाती है ?

उत्तर- स्वयं सहायता समूह वास्तव में ग्रामीण क्षेत्र में 15-20 व्यक्तियों (खासकर महिलाओं) का एक अनौपचारिक समूह होता है। जो अपनी बचत तथा बैंकों से लघु ऋण लेकर अपने सदस्यों के पारिवारिक जरूरतों को पूरा करते हैं। स्वयं सहायता समूह में 15-20 सदस्य होते हैं जो नियमित रूप से मिलते हैं और बचत करते हैं। एक या दो वर्षों के बाद अगर समूह नियमित रूप से बचत करते हैं तो समूह बैंक से ऋण प्राप्त करने के योग्य हो जाता है। ऋण समूह के नाम पर दिया जाता है और इसका मकसद सदस्यों के लिए स्वरोजगार के अवसरों का सृजन करना है। इससे न केवल महिलाएँ आर्थिक रूप से स्वावलम्बी हो जाती है बल्कि समूह की नियमित बैठकों के जरिए लोगों को सामाजिक विषयों पर चर्चा करने का अवसर भी मिलता है। महिलाएँ दिए गए ऋण के द्वारा छोटे-छोटे कर्ज अपनी गिरवी जमीन छुड़वाने के लिए, कार्यशील पूँजी (बीज, खाद आदि के लिए), घर बनाने, सिलाई मशीन, हथकरघा, पशु इत्यादि सम्पत्ति खरीदने के लिए प्रयोग करती है। इस प्रकार स्वयं सहायता समूह के द्वारा महिलाएँ अपनी जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करती है तथा उनकी स्थिति पहले से बेहतर हो जाती है।

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