भारत में लौह एवं इस्पात उद्योग के वितरण का वर्णन करें।
भारत में लौह एवं इस्पात उद्योग के वितरण का वर्णन करें।
उत्तर- खनिज आधारित उद्योगों में लोहा एवं इस्पात का उद्योग काफी महत्त्वपूर्ण है। देश में आधुनिक ढंग का पहला सफल एवं छोटा कारखाना 1874 में कुल्टी (प०बंगाल) में लगाया गया था जबकि आधुनिक ढंग का बड़ा कारखाना 1907 में साकची (जमशेदपुर) नामक स्थान पर टिस्को नाम से खुला। इसके बाद 1919 में बर्नपुर (प०बंगाल) तथा 1923 में भद्रावती (कर्नाटक) में लौह-इस्पात कारखाने खोले गए। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद राउरकेला (उड़ीसा), दुर्गापुर (प०बंगाल) एवं भिलाई (छत्तीसगढ़) में इसके कारखाने लगाए गए। तृतीय पंचवर्षीय योजना में बोकारो (झारखंड) में इसका एक कारखाना लगाया गया जो 1974 से कार्यरत है। 20 वीं सदी के उत्तरार्द्ध में तीन और कारखाने सलेम, विशाखापत्तनम और विजयनगर में स्थापित किया गया। वर्तमान समय में लोहा एवं इस्पात के 10 बड़े एवं 200 से अधिक लघु कारखाने हैं। इनमें जमशेदपुर को भारत का बर्मिंघम कहा जाता है।देश में इस उद्योग के स्थानीयकरण की चार प्रवृत्तियाँ दिखती हैं—
(i) लौह-अयस्क क्षेत्र की निकटता
(ii) कोयला क्षेत्र की निकटता
(iii) दोनों की मध्यवर्ती स्थिति और
(iv) बंदरगाह की निकटता।