भारत में वैश्वीकरण का वर्णन करें।
भारत में वैश्वीकरण का वर्णन करें।
उत्तर- भारत में वैश्वीकरण की आवश्यकता आज के संदर्भ में अति आवश्यक है। विकास की जो स्थिति है उसके लिए उद्योग एवं व्यापार को नई प्रौद्योगिकी और ज्ञान की आवश्यकता है। ऐसी स्थिति में देश में आधुनिक तकनीकी ज्ञान एवं पूँजी को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए तथा विश्व बाजार में पूँजी और उत्पादित वस्तुओं को भेजने में वैश्वीकरण का महत्त्व काफी बढ़ गया है। भारत के लिए वैश्वीकरण कई कारणों से आवश्यक है।
(i) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को प्रोत्साहन- वैश्वीकरण के द्वारा विदेशी निवेश को प्रोत्साहन मिलता है। भारत जैसे विकासशील देश अपने विकास के लिए पूँजी प्राप्त कर सकेगा।
(ii) मानवीय पूँजी की क्षमता का विकास- वैश्वीकरण के लिए दो मुख्य घटकों का होना अनिवार्य होता है—शिक्षा तथा कौशल । इन दोनों घटकों के द्वारा ही मानवीय विकास को बढ़ावा मिलता है।
(ii) प्रतियोगिता- वैश्वीकरण के संसाधनों के आवंटन में कुशलता आएगी। ‘पूँजी-निपज अनुपात’ घटेगा तथा श्रम की उत्पादकता में वृद्धि होगी। इससे देश में विदेशी पूँजी एवं आधुनिक तकनीक प्रवाहित हो सकेगी।
(iv) अच्छी उपभोक्ता वस्तुओं की प्राप्ति- भारत में वैश्वीकरण की आवश्यकता भारत जैसे विकासशील देशों को अच्छी गुणवत्ता वाली उपभोग की वस्तुओं की तुलना में कम कीमत पर प्राप्त करने के योग्य बनाता है।।
(v) नये बाजार तक पहुँच- भारत जैसे विकासशील देश के लिए विश्व के बाजारों तक पहुँचने का एक आम रास्ता वैश्वीकरण ही है।
(vi) उत्पादन के स्तर को उन्नत करना- वैश्वीकरण के माध्यम से ही संभव हो पाता है क्योंकि वैश्वीकरण के द्वारा अच्छे किस्म के मशीन तथा उन्नत तकनीक के उपयोग से उत्पादन के स्तर को ऊपर उठाया जाता है।
(vii) बैंकिंग तथा वित्तीय क्षेत्रों में सुधार- देश में विदेशी बैंकों के आगमन से देश की बैंकिंग व वित्तीय व्यवस्था में सुधार होगा।