राष्ट्रीय चेतना विकास में शिक्षा की भूमिका बताइये ।
राष्ट्रीय चेतना विकास में शिक्षा की भूमिका बताइये ।
उत्तर— राष्ट्रीय चेतना विकास में शिक्षा की भूमिका निम्नलिखित प्रकार समझ सकते हैं—
(1) प्रजातांत्रिक नागरिकता का विकास करना–प्रजातांत्रिक नागरिकता का अर्थ है- प्रजातन्त्र के योग्य नागरिक के रूप में व्यक्ति को तैयार करना। प्रजातन्त्र के योगय नागरिक से यह भी उम्मीद की जाती है कि वह अपने मौलिक कर्त्तव्यों का पालन करे। शिक्षा द्वारा व्यक्ति में प्रजातांत्रिक नागरिकता के गुणों का विकास करके उसे कर्त्तव्यों के प्रति सचेत किया जा सकता है।
(2) राष्ट्रीय प्रतीक व उनके महत्त्व से परिचित कराना–शिक्षा द्वारा विद्यार्थियों को राष्ट्रीय प्रतीकों की जानकारी देकर उनका महत्त्व भी बताया जा सकता है इससे उनमें इन प्रतीकों के प्रति आदरभाव का विकास करने में मदद मिलेगी।
(3) सांस्कृतिक धरोहर से परिचित कराना– भारत की संस्कृति विश्व की महानतम संस्कृति है। भारतीय होने के नाते विद्यार्थी का इससे परिचित होना आवश्यक है। शिक्षा ही वह साधन है जो ऐसा कर सकती है। भारतीय संस्कृति की विशेषताओं को जानने के बाद विद्यार्थी स्वयं ही उसका सम्मान करने लगेंगे। दूसरे शब्दों में अपने मौलिक कर्त्तव्य का पालन करने लगेंगे।
(4) पर्यावरण प्रदूषण के प्रति सचेत करना– पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण को रोकना भी प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्तव्य है। इस सन्दर्भ में शिक्षा की महत्त्वपूर्ण भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता। इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि शिक्षा के सभी स्तरों पर विद्यार्थियों को किसी-न-किसी रूप में पर्यावरण शिक्षा दी जा रही है । अनेक कक्षाओं में इसे एक पाठ्य-विषय के रूप में पढ़ाया जा रहा है।
(5) राष्ट्रीय एकता एवं विश्व– परिवार की भावना का विकास करना प्रत्येक नागरिक का यह कर्त्तव्य भी है कि वह आपसी मतभेदों व विभिन्नताओं को भुलाकर राष्ट्रीय एकता को बनाए रखें। यही नहीं, मानव होने के नाते पूरी मानवता की भलाई के लिए कार्य करें। शिक्षा विभिन्न विषयों सहगामी गतिविधियों द्वारा विद्यार्थियों में इस सोच का विकास कर सकती है।
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