वर्तमान भारतीय समाज की आकांक्षाओं का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए ।

वर्तमान भारतीय समाज की आकांक्षाओं का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए । 

उत्तर– वर्तमान भारतीय समाज की आकांक्षाएँ–वर्तमान भारतीय समाज की आकांक्षाएँ निम्नलिखित हैं—

(1) व्यक्ति से सम्बन्धित आकांक्षाएँ – भारत एक वृहद लोकतांत्रिक व्यवस्था के द्वारा संचालित राष्ट्र है। लोकतंत्र में व्यक्ति सर्वोपरि होता है। अतः प्रथम आकांक्षा व्यक्ति का सर्वतोन्मुखी विकास स्वतंत्र एवं सहज रूप से किए जाने की है। इस आकांक्षा में मुख्य रूप से तीन तथ्य निहित हैं—व्यक्ति के व्यक्ति को गरिमा प्रदान की जाए उसकी स्वतंत्रता अक्षुण्ण रहे तथा तृतीय वैयक्तिक समता को महत्त्व दिया गया।
(2) समाज सम्बन्धित आकांक्षाएँ – भारतीय समाज में सामाजिक संरचना का श्रेष्ठ रूप प्राचीन काल में देखने को मिलता है। उस समय समाज अपने उत्कर्ष पर था। कालान्तर में समाज में उत्पन्न अव्यवस्थाओं के कारण सामाजिक संरचना में परिवर्तन आया तथा यह अनुभव किया जाने लगा कि समाज की आकांक्षाओं की पूर्ति पर ही व्यक्ति का विकास निर्भर है। अनेक समाज सुधारकों ने इस तथ्य को स्वीकार किया सामाजिक न्याय की आवाज उठाई जाने लगी ।
(3) अर्थतंत्र सम्बन्धित आकांक्षाएँ – हमारी आर्थिक आकांक्षाओं में प्राथमिकता के आधार पर आर्थिक न्याय हैं। पं. जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि भूखे व्यक्ति के लिए वोट का कोई महत्त्व नहीं है। प्रजातंत्र को सुचारु रूप में चलाने के लिए सम्पत्तिवान एवं निर्धन वर्ग के मध्य की खाई को पाटना अनिवार्य है। सम्पत्तिवान का वर्चस्व बढ़ने से शोषण व अन्याय की परिस्थितियाँ पैदा होती हैं जिनसे आक्रोश व अस्थिरता पैदा होती है।
(4) राजनैतिक आकांक्षाएँ – सृदृढ़ लोकतंत्र के लिए राजनीतिक आकांक्षाओं की पूर्ति करने की इच्छा होना स्वाभाविक है। भारत जैसे राष्ट्र में राजनीति का आधार वंश या वर्ण व जाति न होकर राष्ट्रहित होना चाहिए। लोकतांत्रिक कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए ‘शक्ति का विकेन्द्रीकरण’ करने की आकांक्षा राजनीतिक आकांक्षाओं में सम्मिलित है। प्रजातंत्र में प्रत्येक वयस्क नागरिक को लिंग, जाति, वर्ण, धर्म के भेदभाव के बिना निष्पक्ष स्वेच्छा से मताधिकार का प्रयोग करने का अवसर मिलना चाहिए।
(5) शैक्षिक आकांक्षाएँ— शिक्षा व्यक्ति के विकास के लिए अनिवार्य है। अतएव शैक्षिक आकांक्षाएँ लोकतंत्र की सफलता के लिए पूर्ण की जानी चाहिए। वर्तमान समय में हमारे समाज में आर्थिक, सामाजिक, असमानता, भ्रष्टाचार, मूल्यहीन आचरण इत्यादि की समस्या दिखाई देती है। इनका मूल कारण अशिक्षा एवं निर्धनता को माना गया है। शिक्षा से सम्बन्धित आकांक्षाओं में लोकतांत्रिक मूल्यों का विकास करने वाली शिक्षा की व्यवस्था को भी सम्मिलित किया गया है क्योंकि स्वतंत्रता, समानता एवं भ्रातृत्व का भाव जाग्रत करने वाली शिक्षा ही राष्ट्र को विकास की ओर ले जाती है।
(6) धार्मिक आकांक्षाएँ  – सम्पूर्ण विश्व में भारत ही एक ऐसा राष्ट्र है जहाँ विभिन्न मतावलम्बी एक नागरिकता प्राप्त कर निवास करते हैं। ऐसे में इन सबको एक सूत्र में बांधने के लिए धार्मिक आकांक्षाओं की पूर्ति अनिवार्य है। प्रत्येक मत’ की अपनी पूजा-अर्चना तथा आस्था को प्रकट करने की शैली होती है। ये शैलियाँ भिन्न-भिन्न हैं किन्तु इनके द्वारा अन्तिम लक्ष्य एक है। एक अदृश्य शक्ति में आस्था तथा मानव मात्र का कल्याण भारत के सभी नागरिक अपने-अपने रीति-रिवाजों एवं आस्था के प्रति भी सहिष्णु एवं सम्मानपूर्ण व्यवहार रखें यह वर्तमान समय की आवश्यकता एवं अपेक्षा है।
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