अवधारणा मानचित्र के विषय में विवेचना कीजिए।

अवधारणा मानचित्र के विषय में विवेचना कीजिए। 

उत्तर— अवधारणा मानचित्र ( संकल्पना मानचित्र)– संकल्पना मानचित्र द्वारा कक्षा में छात्रों को अर्थपूर्ण अधिगम उपलब्ध कराना सम्भव है। संकल्पना मानचित्र को शिक्षा का अत्यन्त आशाजनक नवाचार स्वीकारा है। संकल्पना मानचित्र छात्रों को सूचना संगठित करने के लिए प्रत्यक्ष दृश्य प्रस्तुत करते हैं ।
संकल्पना मानचित्र एक सक्रिय अधिगम साधन है और विभिन्न रूप से इसका प्रयोग विज्ञान शिक्षण में सम्भव है; जैसे—नियोजन, शिक्षण, संशोधन तथा मूल्यांकन । आज संकल्पना मानचित्र को विज्ञान शिक्षण में एक महत्त्वपूर्ण अति संज्ञानात्मक उपकरण (Meta Cognitive Tool) के रूप में स्वीकारा गया है ।
संकल्पना-मानचित्र का अर्थ–संकल्पना मानचित्र एक आलेखी चित्र प्रणाली है, जिससे सम्प्रत्ययों के सह-सम्बन्ध का बोध होता है । सन् 1960 के दशक में जोसेफ डी. नोवक ने कार्नेल विश्वविद्यालय में संकल्पना मानचित्र तकनीकी का अध्ययन प्रारम्भ किया था। उनका कार्य डेविड आसुबेल के अधिगम सिद्धान्तों पर आधारित है, जिसमें नवीन सम्प्रत्यय सीखने के लिए पूर्वज्ञान के महत्त्व पर बल दिया गया है। नोवक के अनुसार अर्थपूर्ण अधिगम में नवीन सम्प्रत्ययों का आत्मीकरण तथा संयोजन उपस्थित संज्ञानात्मक रचनाओं में सम्मिलित हैं ।
नोवक (1977, 1984) ने संकल्पना मानचित्र विकसित करने की विधि को स्पष्ट किया है, जिसमें छात्र प्रायोगिक कार्य करते हुए विभिन्न सम्प्रत्ययों में सह-सम्बन्ध स्थापित कर सकें। संकल्पना मानचित्र एक. प्रकार का दो आयामी आलेखी रेखाचित्र हैं, जो विभिन्न सम्प्रत्ययों में सह-सम्बन्ध जोड़ता है। संकल्पना मानचित्र लेखाचित्र द्वारा ज्ञान को प्रस्तुत करने की तकनीक है। ज्ञान रेखाचित्र सम्प्रत्ययों की श्रृंखला होते हैं। इन शृंखलाओं में ग्रन्थियाँ तथा कड़ियाँ होती हैं। ग्रन्थियाँ सम्प्रत्ययों का प्रतिनिधित्व करती है तथा कड़ियाँ सम्प्रत्ययों के सम्बन्धों को कभीकभी नामांकित करती हैं। ये कड़ियाँ एकल अथवा दो दिशात्मक हो सकती हैं। सम्प्रत्ययों एवं कड़ियों को श्रेणीबद्ध किया जा सकता है; जैसे— सहचर, विशिष्ट अथवा अनियमित अथवा अस्थायी आदि। संकल्पना मानचित्र पूर्ण विकसित होने पर एक लेखाचित्र दृश्य है, जो किसी प्रकरण अथवा विषय पर सृजन करने वाले का चिंतन प्रस्तुत करता है। किसी व्यक्ति द्वारा ज्ञान किस प्रकार संगठित किया जाता है, ऐसी स्थिति को संकल्पना मानचित्र द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। मार्टिन (1994) के अनुसार, संकल्पना मानचित्र संज्ञानात्मक संरचना के द्वि-आयामी चित्रण हैं, जो किसी विषय अथवा प्रकरण के सम्प्रत्ययों की श्रेणीबद्धता तथा अन्त:सम्बन्ध दिखाते हैं। यह प्रदर्शित करते हैं कि व्यक्ति किस प्रकार को ज्ञान को संगठित करता है ।
संकल्पना मानचित्र विकसित करने के सोपान–रे शेनेडर के अनुसार हम सब किसी-न-किसी विचार का मानचित्र अपने मस्तिष्क में उत्पन्न करते हैं। जब हमारे मन में संवेदना हो तो हम विश्व – मत बनाना प्रारम्भ कर देते हैं। यह विकसित किया हुआ मत हमारा अपना होता है तथा भाषा द्वारा उसे दूसरे के साथ बाँटते हैं। इस प्रक्रिया को संकल्पना मानचित्र कहा गया है । यह मात्र विकसित मत को निरूपित करता है, जिससे हम इसे अधिक अच्छा समझ सकें और प्रयोग में ला सकें। यह संकल्पना मानचित्र सम्पूर्ण विषय के लिए, एक इकाई के लिए अथवा एक प्रकरण के लिए विकसित किया जा सकता है। संकल्पना मानचित्र विकसित करने के लिए कोलहन और क्लार्क (1990) ने अनेक सोपान स्पष्ट किये हैं। उस पर आधारित सोपानों पर परिचर्चा की गई है—
(1) जिस विषय अथवा प्रकरण पर संकल्पना मानचित्र विकसित करना है, उसका व्यापक अध्ययन कीजिए। उसमें से 10-15 सम्प्रत्ययों का चयन कीजिए तथा उनमें से केन्द्रीय विचार (सम्प्रत्यय) को पहचानिए । यह केन्द्रीय विचार अन्य सम्प्रत्ययों से अर्थपूर्ण ढंग से सम्बन्धित है अर्थात् सर्वप्रथम, समस्त सम्प्रत्ययों के नाम लिखिए; उदाहरणप्रकाश संश्लेषण, रासायनिक ऊर्जा, सौर ऊर्जा, हरे पौधे का हरित लवक, प्रकाशिक पद, जल, हाइड्रोजन, कार्बन डाईऑक्साइड, अप्रकाशिक पद ।
(2) इन सम्प्रत्यययों के अलावा यदि कोई विशिष्ट तथ्य (उदाहरण) जो छात्रों के सीखने के लिए अनिवार्य है उसे भी लिखिए। चयनित सम्प्रत्ययों की तालिका में से अधीनस्थ (प्रमुख) सम्प्रत्यय को पहचाने और सबसे ऊपर लिखे; उदाहरण— प्रकाश संश्लेषण ।
(3) अधीनस्थ सम्प्रत्यय के नीचे प्रथम स्तर के अधीनस् सम्प्रत्ययों को व्यवस्थित करें। इस स्तर पर संयोजन अथवा
जोड़ने वाले शब्द; जैसे—देता है, प्रकार, इनमें से है, कर सकता है आदि का प्रयोग करें, जिनमें प्रमुख सम्प्रत्यय एवं अधीनस्थ सम्प्रत्ययों में उपयुक्त सम्बन्ध स्थापित हो सके।
(4) एक बार समान सम्प्रत्ययों की पहचान होने के बाद अधीनस्थ सम्प्रत्ययों को व्यवस्थित करना प्रारम्भ कर दीजिए, जो इससे ऊपर के स्तर के सम्प्रत्ययों से सीधे जुड़े हुए हैं। इस प्रकार एक पदानुक्रम बनाए ।
(5) सम्प्रत्ययों के चारों ओर परिधि खींचिए तथा समान, अधीनस्थ सम्प्रत्ययों में सह-सम्बन्ध दिखाने के लिए अनुप्रस्थ रेखाएँ खींचे जिससे इनको जोड़ने वाले शब्दों को रेखाओं के ऊपर लिखें उनका सम्बन्ध स्थापित हो सके। यह सम्बन्ध एक सिद्धान्त बनाते हैं ।
(6) समस्त मानचित्र के चारों ओर कम-से-कम घेरे बनायें तथा मुख्य अध्ययन बिन्दुओं का सन्तुलन बनाये रखें।
संकल्पना मानचित्र में उभरने वाले कुछ संघटनात्मक पैटर्न–
(1) शाखाएँ–एक विचार पास और दूर के सम्बन्धित विचारों को मिलाने के लिए अनेक शाखाओं में विभाजित हो सकता है।
(2) तीर के निशान–विभिन्न शाखाओं से विचार जोड़ने के
लिए आप तीर के निशान का प्रयोग करेंगे।
(3) समूहीकरण–यदि कई शाखाएँ सम्बन्धित विचार हैं तो आप समस्त क्षेत्र पर चारों ओर गोला बनाना चाहेंगे।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *