आकांक्षाओं का स्व अन्वेषण में क्या महत्त्व है ?

आकांक्षाओं का स्व अन्वेषण में क्या महत्त्व है ? 

                            अथवा
आकांक्षा का स्वयं की खोज में क्या योगदान है ?
                            अथवा
स्व की खोजबीन अथवा छानबीन आप आकांक्षा की सहायता से कैसे करेंगे?
उत्तर— आकांक्षाओं का स्वयं की खोज में योगदान – प्रत्येक व्यक्ति अपने मन में आकांक्षाओं को पालता है। आकांक्षा विहीन जीवन की कल्पना करना असम्भव होता है। प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी प्रकार की आकांक्षा का दास होता है। आकांक्षाएँ, महत्त्वाकाक्षाएँ मानव अस्तित्व को गतिशीलता प्रदान करने में, उसे जीवन्तता प्रदान करने में मुख्य भूमिका निभाती हैं। ये आकांक्षाएँ ही मानव को उद्यमिता की दिशा में अग्रसर करती हैं। यदि मानवीय अस्तित्व में आकांक्षाओं को निकाल दिया जाए तो ऐसे मानव व खेत में खड़े बिजुके में कोई अन्तर नहीं है ।
आकांक्षाविहीन जीवन बस उसी प्रकार का होता है जैसे लहलहाती फसल में बड़ा बिजुका चारों तरफ फैली हरियाली से आनन्द प्राप्त करने में भी असफल रहता है सर्दी-गर्मी बरसात की अनुभूति से वंचित रहता है तथा अपने ऊपर बैठने वाले मक्खी-मच्छर को भी उड़ा नहीं सकता है।
आपका अस्तित्व, जीवन ईश्वरीय उपहार का एक उत्कृष्ट नमूना है, इस भेंट को अतिरिक्त श्रेष्ठता प्रदान करना आपका प्रमुख कर्त्तव्य है, धर्म है और अपने इस कर्त्तव्य पालन की दिशा में आप तभी अग्रसर हो सकते हैं, जब आप अपने अस्तित्व को एक उत्कृष्ट आकांक्षा की भेंट प्रदान करते हैं ।
यद्यपि आपके जीवन में अनेकानेक आकांक्षाएँ, आती-जाती रहती है, परन्तु अपनी इन आकांक्षाओं का सही आंकलन, मूल्यांकन करने का आप कष्ट नहीं उठाते, अपने अस्तित्व में पदार्पण करने वाली इन्हीं आकांक्षाओं में से एक ऐसी उत्तम आकांक्षा का चयन कीजिए जो वास्तविकता के धरातल पर साकार रूप धारण करने में समर्थ हो, जो बिना किसी अतिरिक्त दबावतनाव के आपको सफलता के शिखर तक पहुँचाने में आपका साथ निभाने में सक्षम हो ।
इसके अतिरिक्त सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि आकांक्षा स्वयं को खोजने में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अवयव है। आप अपनी इस उत्तम आकांक्षा को साकार करने में महासमर्थ है। इस आकांक्षा पूर्ति में आप तब सुगमता से सफल होते हैं, जब आप अपनी प्रवृत्ति में सकारात्मक सुधार लाने का यत्न करते हैं तथा आकांक्षा पूर्ति में सहायक निम्नलिखित तीन अवयवों को आत्मसात् करने का वांछित प्रयत्न करते हैं—
(1) अपनी श्रेष्ठ आकांक्षा को चिह्नित करने हेतु आपको मेधा ( 2 ) अपनी श्रेष्ठ आकांक्षा पूर्ति हेतु उचित साधन की पहचान, आपका ज्ञान (Knowledge); तथा
(3) अपनी श्रेष्ठ आकांक्षा प्राप्ति हेतु मनोयोग से क्रियान्वयन और इन्हीं तीन अवयवों की प्राप्ति में प्रभावी सहयोग करती है यह अद्भुत प्रेरणा जिसे जानना, पहचानना तथा अंगीकार करना आपके लिए परमावश्यक है। यही वह एक प्रतिशत प्रेरणा है, जो कि आपके 99 प्रतिशत परिश्रम को सफलता में परिवर्तित कर सकती है तथा स्वयं को एक दिशा प्रदान करती है ।
जब आप प्रेरणा को अंगीकार करने की दिशा में प्रवृत्त होते हैं, तब अपने अस्तित्व को पारसमणि प्रेरणा का स्पर्श पाकर दमकते हुए कुन्दनसा आभास पाते हैं, प्रेरणा ही आपके तन और मन का अपूर्व पोषण आपके जीवन में उत्साह की अजस्र धारा का सृजन करती है, निरन्तर उत्साह का दरिया प्रवाहित करती है तथा आपको अपने गंतव्य तक पहुँचाने हेतु एक उत्कृष्ट सफलता के मार्ग का दिग्दर्शन करती है ।
आपकी मित्र प्रेरणा, अनन्त शक्ति का स्रोत प्रेरणा आपके अस्तित्व में चार चाँद लगाने हेतु अत्यन्त आतुर है, आप भी तो इसे अंगीकार करने हेतु उद्यत होइए, फिर आप देखिए कि प्रेरणा आपकी वांछित सफलता को किस सुगमता से आपके समक्ष प्रस्तुत करती है और आप अपने श्रमपरिश्रम की सार्थकता पर झूम-झूम उठते हैं।
जब भी आप किसी सफलतम व्यक्ति यथा किसी IAS अधिकारी अथवा किसी सफल उद्योगपति को देखते हैं अथवा उसके सम्बन्ध में पढ़ते हैं, तब आपके मन में किस प्रकार के भाव आवागमन करते हैं ? आपका हृदय प्रसन्नता से भर जाता है, मन-मस्तिष्क में ऊर्जा समाहित होने लगती है तथा आप भी उस आई.ए.एस. अधिकारी अथवा उद्योगपति के समान सफलता प्राप्ति के स्वप्न देखने लगते हैं। वस्तुतः स्वप्न जीवन आनन्द को द्विगुणित करते हैं— “जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए स्वप्न देखिए – निक्यो निवानो, ” परन्तु मात्र स्वप्न देखने में ही व्यस्त न रहिए, वरन् उन स्वप्नों को साकार करने के लिए यत्न करने का भी विचार बनाइए। आप विचार तो बनाते हैं, किन्तु क्या आप यत्न भी करते हैं? आप अवश्य यत्न करते हैं, लेकिन अपने एक-दो प्रयासों में सफलता. के दर्शन न होने से आप निराश से होने लगते हैं।
और आप बस यहीं चूक कर जाते हैं और अपने उत्तम प्रयत्न को तिलांजलि देने के लिए उद्यत हो जाते हैं तथा यह जानने का प्रयत्न नहीं करते कि क्या सभी सफल व्यक्तियों ने अपने प्रथम प्रयास में ही सफलता का वरण कर लिया था ? यदि आप उनका जीवन वृत उठाकर देखें तो आप पाएँगे कि उनके जीवन में बस एक ही घटक का उल्लेखनीय स्थान है और वह घटक है असफलता।
इन सफल व्यक्तियों ने असफलताओं से कभी निराश होना नहीं सीखा, वरन् इन असफलताओं को अपना श्रेष्ठ गुरु माना। इन असफलताओं से प्रभावी ज्ञानार्जन करने का यत्न किया। इन असफलताओं को प्रभावशाली अस्त्र के रूप में उपयोग किया। इन असफलताओं को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया तथा अपने प्रयत्नों में तनिक भी शिथिलता नहीं आने दी, तभी तो आज वे सफलता के शिखर पर आपको दृष्टिगोचर हो रहे हैं।
“सफलता वस्तुतः अनेक असफलताओं की एक गठरी है । ” यदि आपके समक्ष भी कोई कठिनाई, बाधा, असफलता सिर उठाने का यत्न करें तो आपको इससे विचलित होने की तनिक भी आवश्यकता नहीं । यह कठिनाई, बाधा, असफलता तो सड़क के उस गति-अवरोधक के समान है जो पार करने में अवश्य दुर्गम प्रतीत होती है। थोड़ा कष्ट एवं झटका अवश्य प्रदान करती है, परन्तु जैसे ही आप इस गति-अवरोधक को पार करने हेतु उद्यत होते हैं, आपको सामने का मार्ग एकदम साफसुथरा एवं सुगम प्रतीत होने लगता है। यही तो इस जीवन की दुविधा है कि जब भी आप किसी बाधा को पार कर लेते हैं, तब वैसी ही बाधा, कठिनाई, अवरोध आपके सामने बौने नजर आने लगते हैं ।
आपका अस्तित्व अप्रतिम सफलता का अभिलाषी है, अक्षुण्ण प्रसन्नताओं का अनुरागी है। अपने जीवन की आकांक्षा पूर्ति एवं प्रसन्नता – प्राप्ति हेतु जब आप अपना लक्ष्य स्पष्टतः अपने सामने रखते हैं, तब ‘सफलता लक्ष्य पहुँचाने में आपकी अद्वितीय सहायता करती है, आपकी मित्र प्रेरणा, लक्ष्य प्राप्ति हेतु आवश्यक दिशा निर्देश एवं मार्गदर्शन प्रदान करती है, आपकी सखा प्रेरणा तथा आपके अस्तित्व में सफलता की बन्दनवार सजाती है आपकी हितैषी प्रेरणा । ” प्रेरणा आपकी श्रेष्ठ शिक्षक है, लेकिन इसमें बस यही कमी है कि वह आपकी परीक्षा पहले लेती है, तत्पश्चात् आपको पाठ सिखाने का यत्न करती है । “
आपके अन्दर समाई हुई है अद्भुत प्रेरणा की जादुई शक्ति, इसे जाग्रत करने के लिए प्रयत्न कीजिए। जब तक आप इस जादुई शक्ति को जाग्रत करने की दिशा में प्रयत्नशील नहीं होंगे, तब तक आप सफलता शिखर को स्पर्श करने में कैसे सफल होंगे ? जब आप प्रेरणा की जादुई शक्ति को जान लेते हैं, पहचान लेते हैं तथा इसे अपना लेते हैं तथा आप प्रेरणा का संसर्ग पाकर अपने लक्ष्य प्राप्ति हेतु उचित क्रियान्वयन प्रयास में संलग्न होते हैं और प्रेरणा की शक्ति से अभिभूत आप असम्भव से प्रतीत होने वाले कार्य को भी सुगमता से सम्पन्न करने में सफल हो जाते हैं।
हम और आप में से अधिकांश व्यक्ति मिथ्याधारणा से ग्रस्त रहते हैं कि “जो भाग्य में लिखा है, वही होकर रहेगा,” इस धारणा में कोई अधिक दम नहीं है सफलता और असफलता प्राप्ति में आपके हाथों का सर्वाधिक योगदान रहता है। इन सब बातों से आपके भाग्य का कुछ भी लेना-देना नहीं। भाग्य, सौभाग्य तो अनुकूल परिस्थितियों को, अनुकूल अवसरों को श्रेष्ठ परिणाम में परिवर्तित करने का नाम है। आपका भाग्य तभी आपका साथ निभाता है, तभी आपको अलित समृद्धि प्रदान करता है, जब आप उपलब्ध अवसर का सबुक है। इस अवसर को सफलता पथ का निर्देशन करने हेतु भाग्य की सही अवधारणा को आत्मसात् करने का प्रयत्न करते हैं। एच.सी. मैंकेन के अनुसार, “लोगबाग यदाकदा ही सुअवसर को पहचान पाते हैं, क्योंकि यह अधिकांश: कठिन परिश्रम के आवरण में छिपा रहता है । “
यह प्रेरणा ही है, जो आपके अन्दर जीवन ऊर्जा का संचार करती है। समस्याओं के उत्तम समाधान सुझाती है, कार्य-कौशल में अनुपम निखार लाती है तथा आपके व्यक्तित्व को एक नया चुम्बकीय कलेवर प्रदान करती है। यह प्रेरणा ही है जो अपने अस्तित्व के प्रति आपके अन्तर्मन में श्रेष्ठ आत्मविश्वास का सृजन करती है। इस सृष्टि के रचयिता के प्रति आपके विश्वास को दृढ़ता प्रदान करती है । वह आत्मविश्वास एवं विश्वास जिसकी धरोहर पाकर आप विशालकाय शिलाखण्डों से भी टकराने में नहीं हिचकते। प्रेरणा आपसे बस यही अपेक्षा करती है कि आप उसे सच्चे दिल से अंगीकार करें तथा अपनी आकांक्षाओं को मूर्तरूप प्रदान करने हेतु उत्साहपूर्वक क्रियाशील रहें ।
प्रेरणा की यह अदम्य अभिलाषा है। उत्कृष्ट लालसा है कि आप अपने लक्ष्य की और उत्तरोत्तर गतिशील रहें। लक्ष्य पर शीघ्रातिशीघ्र एवं सुविधापूर्वक पहुँचे और लक्ष्य विजय के उपलक्ष्य में अपनी सफलता की इन्द्रधनुषी पताका फहराएँ ।
अपनी मित्र प्रेरणा को अंगीकार कर अपनी समस्त चिन्ताएँ, दुश्चिन्ताएँ प्रेरणा के कन्धों पर छोड़ दीजिए तथा प्रेरणा की अनन्त शक्ति को अपने अस्तित्व में समाविष्ट कर अपनी अद्वितीय सफलता, अविस्मरणीय सफलता की दिशा में दृढ़ कदम बढ़ाइए ।
हम इस तथ्य से भली-भाँति परिचित हैं कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की आकांक्षाएँ व उद्देश्य अलग-अलग होते हैं। किसी को भौतिक सुख चाहिए व किसी को सांसारिक नश्वर वस्तुओं में कोई रुचि नहीं होती । अतः इनका अपना अलग-अलग लक्ष्य होता है व हर व्यक्ति अपने लक्ष्य की पूर्ति करना चाहता है।
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