कला और सौन्दर्य में परस्पर क्या सम्बन्ध है? स्पष्ट कीजिए ।

कला और सौन्दर्य में परस्पर क्या सम्बन्ध है? स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर— कला और सौन्दर्य का परस्पर सम्बन्ध–सौन्दर्य का गुण आनन्द है और उसके आस्वादन की चरमोत्कर्ष परिणति ही रस है। सौन्दर्य का प्रतीक और प्रकृति से प्राप्त प्रेरणा के आधार पर मानव निर्मित कला से भी बहुत गहरा सम्बन्ध है। यह कहा जा सकता है कि सौन्दर्य के बिना कला का निर्माण सम्भव नहीं है। यह आवश्यक नहीं कि कलागत सौन्दर्य ललित, कोमल, मधुर आदि तत्त्वों से युक्त हो; कलागत सौन्दर्य अपनी कुरूपता, घृणा, ग्लानि, दया तथा वीभत्स में भी प्रकट होता है। अतः सौन्दर्य वस्तुत: कला का धर्म है, जो सुखद या दुःखद अनुभूति का कारण बनता है। प्राकृतिक दृश्य, प्राकृतिक अनुभव और मनुष्य के प्राकृतिक सौन्दर्य को कलागत सौन्दर्य का सोपान माना जा सकता है।
कला तथा सौन्दर्य एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, क्योंकि कला में सौन्दर्य, आनन्द और रस होता है। सामाजिक दृष्टि से वही सुन्दरता सौन्दर्य की परिधि में आ सकती है, जो सामाजिकता, नैतिकता और मानव की चारित्रिक उत्थान से सम्बन्धित हो ।
कला में सौन्दर्य के बाह्य स्वरूप को स्पष्ट करने के लिए कलाविदों ने अनेकता में एकता के लक्ष्य को महत्त्व दिया है। प्रत्येक कला में निरन्तरता, मधुरता, नैतिकता, अखण्डता, स्पष्टता, नियमबद्धता, सुव्यवस्था, विविधता, एकरूपता, प्रमाणबद्धता, समय तथा कोमलता सौन्दर्य तत्त्वों में एकता स्थापित हो जाने पर ही सौन्दर्य और रस की सत्ता को मान्यता दी है। इसी प्रकार, सरलता – वक्रता, सुख-दुःख, राग-द्वेष आदि परस्पर विरोधी तत्त्व ही कला में सौन्दर्य के स्वरूप को स्पष्ट करने में सहायक सिद्ध होते हैं। आन्तरिक भावना में ही पूर्ण अवलम्बित होने के कारण सौन्दर्य की कोई निश्चित या नियमित रूपरेखा स्पष्ट करना निश्चित नहीं है, वरन् यह तो अपने संस्कारों, दीक्षावृत्ति एवं इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है, जिसके कारण किसी व्यक्ति को, जो वस्तु एक समय सुन्दर लगती है, विभिन्न परिस्थितियों में असुन्दर लगने लगती है।
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