निम्नलिखित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करें :
निम्नलिखित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करें :
“दास-वृत्ति की चाह चहूँ दिसि चारहु बरन बढ़ाली
करत खुशामद झूठ प्रशंसा मानह बने डफाली।”
उत्तर :- प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि ‘प्रेमघन’ की ‘स्वदेशी’ कविता की है । इन दोहों में राष्ट्रीय स्वाधीनता की चेतना को सहचर बनाया गया है। साथ ही, नवजागरण का स्वर मुखरित किया गया है। उपर्युक्त पंक्तियों में कवि कहता है कि देखा जा रहा है कि यहाँ के लोगों में गुलामी के वातावरण में जीवन-यापन करने की आदत हो गई है। चारों ओर इसी का भाव मिल रहा है। खुशामद करना तथा झूठी प्रशंसा करना, झूठे राग की डफली बजाना यहाँ के लोगों की संस्कृति बन गई है।
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