न्यायपालिका की भूमिका लोकतंत्र की चुनौती है। कैसे, इसके सुधारने के क्या उपाय है ?

न्यायपालिका की भूमिका लोकतंत्र की चुनौती है। कैसे, इसके सुधारने के क्या उपाय है ?

उत्तर :- वर्तमान दौर में न्यायपालिका की भूमिका वास्तव में लोकतंत्र की चुनौती है। अनेक अवसरों पर ऐसा देखा गया है कि न्यायपालिका को कानून एवं विधि व्यवस्था के क्षेत्र में सक्रिय होना पड़ता है और ऐसा तभी होता है जब विधायिका एवं कार्यपालिका अपने अधिकारों एवं दायित्वों के निर्वहन में विलंब, लापरवाही अथवा निष्क्रियता बरतते हैं। लाचार होकर कई बार न्यायपालिका ऐसी स्थिति में उन्ह फटकार लगाती है। अपराधी प्रवृत्ति के व्यक्तियों द्वारा चुनाव लड़े जाने पर रोक हतु न्यायपालिका ने कई बार कड़े कदम उठाए हैं, जबकि अपराधी प्रवृत्ति के लोगों द्वार राजनीति में प्रवेश करने के तरीके से सुधार हेतु कानून निर्माण का कार्य विधायिका को करना चाहिए तथा इसे लागू करने का कार्य कार्यपालिका को करना चाहिए विधायिका एवं कार्यपालिका को अपने अधिकार, कर्त्तव्य एवं उत्तरदायित्वा प्रति सजग रहना होगा ताकि शासन का तीसरा अंग उन पर हावी न हो। जना याचिकाओं की बढ़ती तादाद के कारण भी न्यायपालिका के कार्यों में वृद्धि हुई जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि यह अपनी सीमा लाँघ रही है। अतः स्पष्ट है । न्यायपालिका की भूमिका लोकतंत्र की चुनौती है।

Ajit kumar

Sub Editor-in-Chief at Jaankari Rakho Web Portal

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